
आजकल खराब लाइफस्टाइल और अन्य कारणों के चलते पुरुषों को लो स्पर्म काउंट की समस्या का सामना करना पड़ रहा है. पुरुषों में स्पर्म काउंट कम होने को ओलिगोस्पर्मिया के नाम से जाना जाता है. वहीं, जब बिल्कुल भी स्पर्म ना बन पाए तो उसे एजोस्पर्मिया कहा जाता है. अगर आपके सीमन में प्रति मिलीलीटर 15 मिलियन से कम स्पर्म हैं तो आपके स्पर्म की संख्या सामान्य से कम मानी जाती है. किसी पुरुष में स्पर्म की संख्या कम होने पर कंसीव करने की संभावना काफी कम हो जाती है. लेकिन बहुत से ऐसे मामले भी सामने आए हैं जहां लो स्पर्म काउंट वाले पुरुष भी पिता बने हैं.
लो स्पर्म काउंट के लक्षण
लो स्पर्म काउंट का एक मुख्य संकेत कंसीव में दिक्कत का सामना करना है. इसके अलावा, इसके और कोई संकेत या लक्षण नहीं दिखाई देते हैं. कुछ पुरुषों में, स्पर्म काउंट कम होने के पीछे कई कारण हो सकते हैं जैसे हार्मोन्स का बदलना या स्पर्म के गुजरने वाले रास्ते में ब्लॉकेज.
लो स्पर्म काउंट के ये हैं कुछ लक्षण
सेक्सुअल फंक्शन में दिक्कत जैसे- यौन इच्छा में कमी
टेस्टिकल्स एरिया में दर्द, सूजन और गांठ बनना.
शरीर और चेहरे के बालों का कम होना या फिर क्रोमोसोम या हार्मोन की असामान्यता.
डॉक्टर को कब दिखाएं
अगर आपको अनप्रोटेक्डेट सेक्स करने के बावजूद कंसीव करने में दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है तो इसके लिए आपको डॉक्टर से संपर्क जरूर करना चाहिए. इस स्थिति में भी करें डॉक्टर से संपर्क-
सेक्स करने की इच्छा में कमी या सेक्सुअल फंक्शन में दिक्कत
टेस्टिकल में या इसके आसपास दर्द, गांठ बनना या सूजन.
कोई पुरानी टेस्टिकल्स, प्रोस्टेट और सेक्सुअल परेशानी.
टेस्टिकल्स, पेनिस या स्क्रोटम (अंडकोश) की सर्जरी.
लो स्पर्म काउंट के मेडिकल कारण
हेल्थ प्रॉब्ल्मस और मेडिकल ट्रीटमेंट के चलते आपको लो स्पर्म काउंट की समस्या का सामना करना पड़ सकता है.
वैरीकोसेल (Varicocele)- ये समस्या होने पर नसों में सूजन आ जाती है जिसमें टेस्टिकल्स सूख जाते हैं. पुरुषों में इंफर्टिलिटी का ये सबसे कॉमन कारण है. हालांकि वैरीकोसेल के कारण पुरुषों में इंफर्टिलिटी के सटीक कारण का अभी तक पता नहीं चल पाया है. वैरीकोसेल की समस्या होने पर पुरुषों में स्पर्म क्वॉलिटी कम हो जाती है.
इंफेक्शन- कई बार किसी इंफेक्शन के कारण पुरुषों मे स्पर्म काउंट कम होने लगता है. इसमें सेक्सुअली ट्रांसमिटेड डिजीज, गोनोरिया और HIV शामिल है.
ट्यूमर- कैंसर और गैर-संक्रामक ट्यूमर सीधे पुरुषों में फर्टिलिटी को प्रभावित कर सकते हैं. ट्यूमर के इलाज के लिए सर्जरी, रेडिएशन या कीमोथेरेपी भी पुरुषों में फर्टिलिटी को प्रभावित कर सकती है.
हार्मोन्स का असंतुलन- हाइपोथैलेमस, पिट्यूटरी और टेस्टिकल्स हार्मोन का उत्पादन करते हैं जो स्पर्म बनाने के लिए आवश्यक होते हैं. इन हार्मोनों में परिवर्तन से स्पर्म प्रोडक्शन में कमी आ सकती है.
पर्यावरण संबंधी कारण
- इंडस्ट्री से निकलने वाले केमिकल्स जैसे बेंजीन, टोल्यूनि, ज़ाइलीन, जड़ी-बूटियों, कीटनाशकों, कार्बनिक सॉल्वैंट्स, पेंटिंग मटेरियल के संपर्क से स्पर्म काउंट में कमी आ सकती है.
- रेडिएशन से स्पर्म प्रोडक्शन काफी कम हो सकता है. इसके कारण स्पर्म प्रोडक्शन नॉर्मल होने में काफी सालों का समय लग सकता है. रेडिएशन की हाई डोज के कारण स्पर्म प्रोडक्शन बिल्कुल कम भी हो सकता है.
- लंबे समय तक बैठना, टाइट कपड़े पहनना या लैपटॉप कंप्यूटर पर लंबे समय तक काम करना भी आपके स्क्रोटम के टेंपरेचर को बढ़ा सकता है और स्पर्म प्रोडक्शन को कम कर सकता है.
लाइफस्टाइल संबंधी कारण
मसल्स ग्रोथ के लिए अगर आप स्टेरॉयड्स आदि का सेवन करते हैं तो इससे आपके टेस्टिकल्स सिकुड़ सकते हैं और स्पर्म प्रोडक्शन में कमी आ सकती है. कोकेन और गांजा का इस्तेमाल करने से भी स्पर्म काउंट और क्वॉलिटी पर काफी बुरा असर पड़ सकता है.
शराब का सेवन करने से आपके टेस्टोस्टेरॉन का लेवल कम हो सकता है जिससे स्पर्म काउंट पर काफी बुरा असर पड़ता है.
मोटापा भी एक कारण हो सकता है जो हार्मोन में बदलाव ला सकता है. जिस कारण पुरुषों की फर्टिलिटी कम हो जाती है.
बचाव के तरीके
अगर आप चाहते हैं कि आपके स्पर्म काउंट और क्वॉलिटी पर कोई बुरा असर ना पड़े तो इसके लिए कुछ बातों का खास ख्याल रखें जैसे-
स्मोक ना करें.
शराब का सेवन कम से कम करें.
हेल्दी वेट मेनटेन रखें
स्ट्रेस कम से कम लें, कीटनाशकों, भारी धातुओं और अन्य विषाक्त पदार्थों के संपर्क में आने से बचें.