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यूरीनेशन से जुड़े ये 5 लक्षण बेहद घातक, पुरुषों को नहीं करना चाहिए इग्नोर

उम्र के साथ-साथ यूरीनरी एंड रीप्रोडक्टिव सिस्टम से जुड़ी दिक्कतें भी बढ़ती जाती हैं. इसके लक्षण बेहद सामान्य होते हैं और इन्हें एजिंग का ही एक नैरुचल पार्ट माना जाता है. आइए आज आपको बताते हैं कि यूनीरनेशन से जुड़े कौन से लक्षण कभी इग्नोर नहीं करने चाहिए.

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aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 19 सितंबर 2021,
  • अपडेटेड 3:05 PM IST
  • यूरीनरी एंड रीप्रोडक्टिव सिस्टम से जुड़ी दिक्कतें ना करें इग्नोर
  • ये शारीरिक समस्या एजिंग का ही एक नैरुचल पार्ट होती है

यूरीनेशन प्रोसेस को कई बार लोग गंभीरता से नहीं लेते हैं. इससे जुड़ी दिक्कतें कई बार इंसान की मुश्किलें खड़ी कर सकती हैं. उम्र के साथ-साथ यूरीनरी एंड रीप्रोडक्टिव सिस्टम से जुड़ी दिक्कतें भी बढ़ती जाती हैं. इसके लक्षण बेहद सामान्य होते हैं और इन्हें एजिंग का ही एक नैरुचल पार्ट माना जाता है. आइए आज आपको बताते हैं कि यूनीरनेशन से जुड़े कौन से लक्षण कभी इग्नोर नहीं करने चाहिए.

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यूरीन में ब्लड- यदि किसी इंसान के पेशाब में खून आ रहा है तो उसे डॉक्टर से संपर्क करने में बिल्कुर देरी नहीं करनी चाहिए. ये ब्लैडर कैंसर, किडनी कैंसर या किडनी स्टोन (पथरी) का लक्षण हो सकता है. पहली बार पेशाब में खून आते ही मरीज को तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए.

यूरीनेटिंग के समय दर्द या जलन- पेशाब करते वक्त दर्द, जलन या चुभन किसी बड़ी समस्या का संकेत हो सकते हैं. यह यूरीनरी ट्रैक्ट में इंफेक्शन का लक्षण हो सकता है. हालांकि कई बार ऊतक की क्षति या कैंसर की वजह से भी ऐसा होता है. यदि आप लगातार इस तरह तरह के दर्द को महसूस कर रहे हैं तो आपको जरूर डॉक्टर के पास जाना चाहिए.

यूरीनेटिंग में तकलीफ- यूरीनेशन में बदलाव के लिए कई कारण जिम्मेदार हो सकते हैं. यूरीनरी फ्रीक्वेंसी, तुरंत पेशाब आना, पेशाब का दबाव या कमजोर यूरीनरी प्रवाह जैसे लक्षणों पर ध्यान देना जरूरी है. ये प्रोस्टेट से जुड़े बदलाव हो सकते हैं. कई मामलों में ये लक्षण न्यूरोलॉजिक डिसीज, डाइट या दवाओं से जुड़े भी हो सकते हैं.

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प्रोस्टेट स्पेसिफिक एंटिजेन (PSA) लेवल- रेगुलर प्राइमरी केयर विजिट के हिस्से के रूप में आपको एक PSA टेस्ट के लिए भेजा जा सकता है. दरअसल PSA टेस्ट प्रोस्टेट कैंसर की स्क्रीनिंग के लिए करवाया जाता है. आमतौर पर ब्लडस्ट्रीम में PSA का लेवल बहुत कम पाया जाता है. खून में PSA के लेवल में बदलाव से डॉक्टर्स बीमारी को पकड़ पाते हैं.

अंडकोष में दर्द- अंडकोश में किसी भी तरह का दर्द या गांठ होने पर भी इसकी जांच यूरोलॉजिस्ट एक्सपर्ट से कराई जानी चाहिए. यदि इसे समय रहते पहचान लिया जाए तो इसका इलाज संभव है. इसकी जांच कराने में बिल्कुल देरी ना करें. यदि आपको ऊपर बताए तमाम लक्षण महसूस होते हैं तो इनकी फौरन जांच कराएं.

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