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Sperm & infertility: इस आदत की वजह से पुरुषों के स्पर्म पर हो रहा ऐसा असर, तुरंत छोड़ें

Too much mobile phone use: जब भी आप मोबाइल चलाते होंगे, तब आपके घर वाले भी टोकते ही होंगे, कि क्या दिन भर फोन पर लगे रहते हो. दरअसल, अधिक मोबाइल चलाना सेहत के लिए अच्छा नहीं माना जाता. हालही में एक रिसर्च में दावा किया गया है कि मोबाइल के अधिक प्रयोग से पुरुषों में शुक्राणुओं की संख्या और गुणवत्ता में कमी आने लगती है.

(Image Credit : Pexels) (Image Credit : Pexels)
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 27 जनवरी 2022,
  • अपडेटेड 10:39 AM IST
  • मोबाइल से विद्युत चुम्बकीय तरंगें निकलती हैं
  • विद्युत चुम्बकीय तरंगों से सेहत को खतरा होता है
  • ये तरंगें शुक्राणओं की संख्या और गुणवत्ता पर प्रभाव डालती हैं

आज के आधुनिक समय में मोबाइल (Mobile) काफी जरूरी हो गया है. दुनिया में लाखों ऐसे लोग हैं, जिनका सारा काम मोबाइल पर होता है. इसके अलावा बच्चों की पढ़ाई से लेकर दूर बैठे लोगों से जरूरी बात करने तक, हर काम के लिए मोबाइल जरूरी है. पहले कीपैड मोबाइल (Keypad Mobile) का प्रयोग होता था और इंटरनेट के लिए सिर्फ कंप्यूटर पर निर्भर हुआ करते थे. लेकिन आज के आधुनिक समय में कीपैड मोबाइल की जगह स्मार्ट फोन आ गए हैं. मोबाइल के अधिक प्रयोग से नेटवर्क को भी फास्ट किया गया है, ताकि नेटवर्क प्रॉब्लम न हो.

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कुछ लोग मोबाइल का इस्तेमाल सिर्फ काम के कारण करते हैं, तो कुछ लोग मोबाइल गेम खेलने, मूवी देखने, पढ़ाई करने आदि में करते हैं. पुरुषों का अधिक मोबाइल चलाना उनकी शादी-शुदा जीवन के लिए मुश्किल पैदा कर सकता है. क्योंकि हालही में हुई एक रिसर्च में कहा गया है, कि मोबाइल फोन पुरुषों को बांझ (Infertile) बना रहे हैं. मोबाइल के प्रयोग से पुरुषों में शुक्राणुओं की संख्या और गुणवत्ता (Sperm count and quality) कम हो रही है.  

18 स्टडी के आधार पर निकाला निष्कर्ष

(Image Credit : Pixabay)

दक्षिण कोरिया के रिसर्चर्स ने 4,280 शुक्राणु (स्पर्म) के नमूने वाली 18 रिसर्च का के विश्लेषण के आधार पर सुझाव दिया, कि मोबाइल से निकलने वाली विद्युत चुम्बकीय तरंगें (Electromagnetic waves) शुक्राणु को नुकसान पहुंचा रही हैं, इसलिए पुरुषों को मोबाइल का कम प्रयोग करना चाहिए. 

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शेफील्ड विश्वविद्यालय में एंड्रोलॉजी के प्रोफेसर और शुक्राणु विशेषज्ञ एलन पेसी (Allan Pacey) ने इन शोधकर्ताओं के निष्कर्ष पर सवाल उठाया और कहा, हो सकता है आधुनिक जीवन पुरुषों के शुक्राणुओं के लिए अच्छा न हो, लेकिन यह पूरी तरह स्पष्ट नहीं है, कि मोबाइल फोन के कारण ही शुक्राणुओं की संख्या और गुणवत्ता में कमी आ रही है. यह रिसर्च पिछले दस सालों से चली आ रही बहस को अधिक स्पष्ट नहीं करती है, इसमें अभी भी काफी कन्फ्यूजन है और यह एक अनसुलझा प्रश्न है. लेकिन अगर पुरुष इस निष्कर्ष से परेशान होते हैं, तो उन्हें मोबाइल का कम इस्तेमाल करना चाहिए. 

वहीं पुसान नेशनल यूनिवर्सिटी के प्रमुख शोधकर्ता डॉ. यून हाक किम (Dr. Yun Hak Kim) ने कहा, जो पुरुष मोबाइल फोन का अधिक इस्तेमाल कर रहे हैं, उन्हें अपने शुक्राणु की गुणवत्ता और संख्या को सही रखने के लिए मोबाइल फोन का कम उपयोग करना चाहिए. अभी की डिजिटल दुनिया में नए मोबाइल फोन मॉडल से निकलने वाली विद्युत चुम्बकीय तरंगों के संपर्क में आने से क्या प्रभाव होते हैं, इस पर और अधिक अध्ययन की आवश्यकता है. 

उम्र बढ़ने के साथ भी घटती की है शुक्राणुओं की गुणवत्ता

(Image Credit : Pixabay)

कुछ समय पहले जेनेवा के साइंटिस्ट और ऑस्ट्रेलिया के एक वर्ल्ड लीडिंग IVF क्लीनिक ने करीब 40 हजार से ज्यादा स्पर्म टेस्ट का विश्लेषण करने के बाद दावा किया था, कि उम्र बढ़ने के साथ शुक्राणुओं की गुणवत्ता में कमी आती जाती है. 

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जेनेवा के फर्टिलिटी एक्सपर्ट डॉ. शेरिल फुआ ने कहा था, कि 55 साल से अधिक उम्र के लोगों में सबसे अधिक शुक्राणुओं की कमी पाई जाती है. वहीं इस कारण महिलाओं को भी गर्भधारण में समस्या होती है. स्टडी में यह भी पाया गया था कि 40 फीसदी से ज्यादा इनफर्टिलिटी के मामले मेल रीप्रोडक्शन यानी पुरुषों से जुड़े हैं.

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