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Omicron: आपकी इस आदत से बढ़ा कोविड-19 का खतरा! 74 से 88 प्रतिशत आबादी है चपेट में

Corona virus infection : एनल्स ऑफ बिहेवियरल मेडिसिन जर्नल (Annals of Behavioral Medicine Journal) में पब्लिश स्टडी में बताया गया है कि कोरोना महामारी का खतरा किन लोगों को सबसे अधिक हो सकता है. इस स्टडी में मानसिक स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं का जिक्र किया गया है.

(Image Credit : Pixabay) (Image Credit : Pixabay)
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 18 जनवरी 2022,
  • अपडेटेड 1:00 PM IST
  • कोविड-19 पर हुई एक नई स्टडी सामने आई है
  • रोजमर्रा की एक परेशानी से कोविड का खतरा बढ़ा है
  • भारत में 74 से 88 प्रतिशत लोग हैं इस परेशानी ग्रसित

कोविड -19 (Covid-19) की चपेट में आने के कारणों से तो सभी परिचित हैं, जैसे किसी संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आना, संक्रमित वस्तु को छूना आदि. लेकिन इस वायरस से संक्रमित होने का खतरा उन लोगों में और अधिक बढ़ जाता है जो मानसिक परेशानियों से गुजरते हैं.

दरअसल, कोविड -19 के डेल्टा और ओमिक्रॉन वैरिएंट (Delta and Omicron variants) समेत विभिन्न रूपों से संक्रमित होने का कारण तनाव (Stres), चिंता (Anxiety) और अवसाद (Depression) भी है. हाल ही में एक स्टडी में दावा किया गया है कि जो लोग कोरोना महामारी की शुरुआत में अत्यधिक तनाव, चिंता और अवसाद से गुजरे थे, उनमें कोविड -19 होने का खतरा बढ़ गया था.

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यह स्टडी एनल्स ऑफ बिहेवियरल मेडिसिन जर्नल में पब्लिश हुई है, जिसमें बताया गया है कि कोरोना महामारी के शुरुआती चरण के दौरान अधिक मानसिक परेशानी कोविड-19 संक्रमण और उसके गंभीर लक्षणों को और अधिक बढ़ा सकते हैं. 10 हजार लोगों पर हुई एक रिसर्च के मुताबिक, भारत में 74 से 88 परसेंट लोग स्ट्रेस और एंग्जाइटी का सामना कर रहे हैं. 

क्या कहती है रिसर्च

(Image Credit : Pixabay)

यह स्टडी नॉटिंघम विश्वविद्यालय मेडिसिन स्कूल में प्रोफेसर कविता वेधरा (Professor Kavita Vedhara) ने किंग्स कॉलेज लंदन और न्यूजीलैंड में ऑकलैंड विश्वविद्यालय के सहयोगियों के साथ मिलकर की है. उनके मुताबिक, पिछली रिसर्च से पता चला है कि स्ट्रेस, एंग्जाइटी और डिप्रेशन जैसे मनोवैज्ञानिक कारक, श्वसन संबंधी वायरल बीमारियों और गंभीर लक्षणों को अधिक बढ़ा सकते हैं.

वहीं कोविड -19 महामारी के दौरान मानसिक स्वास्थ में गिरावट आई है और सामाजिक दूरी में भी वृद्धि हुई है. इस अध्ययन का उद्देश्य यह पता लगाना था कि क्या महामारी के दौरान इन कठिनाइयों का अनुभव करने वाले लोगों में कोविड-19 के लक्षणों को अनुभव करने जोखिम अधिक था.

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1100 लोग हुए स्टडी में शामिल

विशेषज्ञों की टीम ने इस रिसर्च में लगभग 1100 वयस्कों को शामिल किया, जिन्होंने अप्रैल 2020 के दौरान सर्वे पूरा किया था और दिसंबर 2020 तक कोविड -19 संक्रमण और उसके लक्षण को अनुभव करने की सेल्फ रिपोर्ट जमा की थी.

रिसर्च के परिणाम से पता चला कि जिन लोगों ने अधिक मानसिक परेशानी का अनुभव किया था, उनमें कोविड -19 संक्रमण के लक्षण अधिक थे. प्रोफेसर वेधरा ने कहा कि हमारा डाटा यह बताता है कि तनाव, चिंता और अवसाद न केवल महामारी के साथ जीने के परिणाम हैं, बल्कि ऐसे कारक कोरोना संक्रमण होने के जोखिम को भी बढ़ाते हैं. सार्वजनिक स्वास्थ्य नीति को भी इस पहलू को ध्यान में रखकर बनाया जाना चाहिए.

लंदन के किंग्स कॉलेज के कोग्निटिव बिहैवरियल साइकोथेरेपी के प्रोफेसर ट्रूडी चाल्डर ने कहा, पिछले कई शोधों में तनाव और वायरल संक्रमण के बीच सीधा संबंध देखा गया है. हमारी स्टडी में कोविड संक्रमण के वो मामले शामिल किए गए थे, जिनमें लोगों ने संक्रमण के लक्षण महसूस होने की जानकारी दी थी. हमारा अगला कदम ये है कि कोविड संक्रमण के पुष्ट मामलों में भी इस संबंध की जांच करें.

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