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Parenting: बच्चे की परवरिश में ना करें ये 5 गलतियां, नहीं तो बड़े होने पर हर काम में होंगे फेल

Parenting Tips: एक्सपर्ट्स के अनुसार, पेरेंट्स की कुछ आदतें बच्चों की जिंदगी हमेशा के लिए खराब कर सकती हैं. वहीं मानसिक रूप से मजबूत बच्चे अपनी समस्याओं को खुद सुलझाने में सक्षम होते हैं और जीवन के हर क्षेत्र में बेहतर प्रदर्शन कर पाते हैं. एक्सपर्ट्स के अनुसार बच्चों की परवरिश में पेरेंट्स को ये 5 गलतियां बिल्कुल भी नहीं करनी चाहिए.

बच्चों की परवरिश में रखें सावधानियां बच्चों की परवरिश में रखें सावधानियां
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 12 अक्टूबर 2021,
  • अपडेटेड 6:34 PM IST
  • बच्चों की परवरिश पर दें ध्यान
  • गलतियों से बिगड़ सकता है बच्चा
  • मानसिक क्षमता पर असर

Parenting Mistakes: अक्सर मां-बार अपना तनाव या गुस्सा बच्चों पर निकाल देते हैं. पेरेंट्स की मन की भड़ास बच्चों पर गहरा असर डालती है. एक्सपर्ट्स के अनुसार पेरेंट्स की कुछ आदतें बच्चों की जिंदगी हमेशा के लिए खराब कर सकती हैं. वहीं मानसिक रूप से मजबूत बच्चे अपनी समस्याओं को खुद सुलझाने में सक्षम होते हैं और जीवन के हर क्षेत्र में बेहतर प्रदर्शन कर पाते हैं. एक्सपर्ट्स के अनुसार, बच्चों की परवरिश में पेरेंट्स को ये 5 गलतियां बिल्कुल भी नहीं करनी चाहिए.

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बच्चे की भावनाओं को दबाना- बच्चे की भावनाओं को कभी नहीं दबाना चाहिए. बच्चा जैसे भी बात करता है, खुद को व्यक्त करता है, उसे करने दें. थेरेपिस्ट के अनुसार जब पेरेंट्स बच्चों से कहते हैं कि 'इस चीज पर ज्यादा रो मत या फिर ये कोई बड़ी बात नहीं है' तो वो एक तरह से ये संदेश देते हैं कि भावनाएं ज्यादा महत्व नहीं रखती हैं और उन्हें दबा लेना चाहिए. इसके बजाय बच्चे से पूछें कि इस समय वो क्या उम्मीद करते हैं ताकि वो बेहतर महसूस कर सकें. इससे उन्हें भावनाओं को खुद समझने और संभालने में मदद मिलेगी.

बच्चों को हमेशा असफलता से बचाना- बच्चों को चुनौतियों से जूझते हुए देखना पेरेंट्स के लिए मुश्किल भरा काम होता है. अक्सर असफलता से बचाने के लिए पेरेंट्स बच्चों की मदद कर देते हैं जो कि गलत है. जैसे कि अगर बच्चा पढ़ाई में अच्छा नहीं कर रहा है और आप उसके सारे होमवर्क करके दे देते हैं तो वो कभी भी अपनी कमी नहीं जान पाएगा. बच्चे को जब स्कूल में खुद से परीक्षा देनी होगी तो आप वहां जाकर उसकी मदद नहीं कर सकते. असफलता भी सफलता का एक हिस्सा है और ये बात बच्चे को समझने दें. बच्चे में इस भावना का विकास करें कि असफलता के बाद भी सफलता मिल सकती है.

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बच्चों की सारी इच्छाएं पूरी करना- बच्चे अक्सर पेरेंट्स से किसी ना किसी चीज की मांग करते रहते हैं और हर मांग पूरी करना पेरेंट्स अपना फर्ज समझते हैं. हालांकि रिसर्च बताते हैं कि बच्चों की हर मनमानी पूरी करने से उनकी मानसिक क्षमता प्रभावित होती है और वो आत्म अनुशासन नहीं सीख पाते हैं. बच्चों को लगने लगता है कि वो जो भी चाहेंगे उन्हें मिल जाएगा. बच्चों में छोटे-छोटे नियम के जरिए अनुशासन की आदत डालें. जैसे टीवी देखने से पहले होमवर्क पूरा करना, कहीं जाने से पहले अपना सारा सामान समेट कर रखना.

परफेक्शन की उम्मीद रखना- हर पेरेंट्स की ख्वाहिश होती है कि उनका बच्चा हर काम परफेक्ट तरीके से करे. एक्सपर्ट्स के अनुसार पेरेंट्स की इन आदतों से बच्चों में आत्म-सम्मान और आत्मविश्वास की कमी हो जाती है. बच्चों को परफेक्ट की परिभाषा समझाएं और अगर वो उस हद तक कामयाब नहीं हो पाता है तो उसे समझाएं कि उसमें कहां कमी थी और अगली बार उसे उस हिसाब से प्रदर्शन करना चाहिए.

बच्चों को हमेशा सहज महसूस कराना- कई ऐसी चीजें हैं जो बच्चों को असहज लग सकती हैं जैसे कि कोई नया काम करना, कुछ नया खाना, नए दोस्त बनाना, कोई नया खेल खेलना या फिर किसी नए स्कूल में जाना. आपको हमेशा बच्चों का सुरक्षा कवच बनने की जरूरत नहीं है. इससे उनकी मानसिक क्षमता कमजोर होती है. बच्चों को खुद ही नई चीजें करने की कोशिश करने दें. हो सकता है कि शुरू में उन्हें उस चीज में कठिनाई हो लेकिन धीरे-धीरे वो उसमें सहज महसूस करने लगेंगे.
 

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