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अक्सर कई घंटे तक ऑफिस में काम करने के बाद हम घर आकर बिस्तर पर लेट जाते हैं. उस वक्त हमारे अंदर उठने की भी हिम्मत नहीं होती. ऐसा दुनिया में लगभग हर व्यक्ति के साथ होता है. शारीरिक तौर पर बहुत मेहनत के बाद सभी लोग थकान और सुस्ती महसूस करते हैं. लेकिन कई बार बुखार, सर्दी या वायरल संक्रमण की वजह से भी व्यक्ति थकान का अनुभव करता है. लेकिन अगर आपको बिना किसी वजह के लगातार कमजोरी और थकान हो रही है तो आपको सावधान हो जाने की जरूरत है. क्योंकि ये स्थिति खून की कमी, दिल की बीमारी, अवसाद, कैंसर, संक्रमण समेत किसी बीमारी का लक्षण हो सकती है और इससे बचने के लिए आपको तुरंत डॉक्टर के पास जाने की जरूरत है.
थकान और सुस्ती क्यों होती है?
थकान बहुत ज्यादा शारीरिक श्रम करने के बाद हर व्यक्ति को महसूस होती है. इस स्थिति में व्यक्ति खुद में ऊर्जा की कमी महसूस करता है. वो ठीक से कुछ काम नहीं कर पाता. कई बार व्यक्ति को हल्का दर्द भी महसूस हो सकता है. कभी-कभी बुखार या नींद ना पूरी होने पर भी हम ऐसा ही महसूस करते हैं. अगर आपके अंदर ये परेशानी लंबे समय से है या आप सिस्टीमैटिक एक्सर्शन इंटॉलेरेंस डिसीस (SEID) से जूझ रहे हैं तो आप रात को सोने के बाद सुबह-सुबह भी थकान महसूस कर सकते हैं. आपको ऐसा महसूस होगा कि जैसे आप सोए ही नहीं है. इस स्थिति में आप अपने घर और बाहर के काम तक ठीक से नहीं कर सकते. ज्यादातर मामलों में थकान और सुस्ती एनीमिया, अवसाद, फाइब्रोमायल्गिया, किडनी, लीवर और फेफड़े की बीमारी की वजह से हो सकती है. इसके अलावा ऐसा वायरल और बैक्टीरियल डिसीस की वजह से भी हो सकता है. इस खबर में हम आपको थकान और सुस्ती के कुछ सामान्य कारण और उनसे निपटने के तरीकों के बारे में बताएंगे.
एलर्जी
अगर व्यक्ति को किसी प्रकार की एलर्जी हो जाती है तो उसे थकान, कमजोरी, सुस्ती, सिरदर्द, नाक बंद जैसी परेशानियां हो सकती हैं. इसके अलावा एलर्जिक राइनाइटिस में शरीर को किसी चीज से एलर्जी हो जाती है और उसकी आंखों और नाक से पानी बहने लगता है. इस स्थिति में व्यक्ति को काफी थकान होती है. लेकिन एलर्जिक राइनाइटिस का अक्सर आसानी से इलाज किया जा सकता है और खुद से ठीक किया जा सकता है. आप डॉक्टर की भी सलाह ले सकते हैं जो चेकअप के बाद आपको एलर्जी की वजह का पता लगाकर इलाज कर सकता है. एलर्जिक राइनाइटिस के लक्षणों को कम करने आप उस चीज का सेवन तुरंत बंद कर दें जिनसे आपको एलर्जी हुई है. इसके अलावा एलर्जी की दवा खाकर इसे पूरी तरह ठीक किया जा सकता है. इसके अलावा कई तरह के स्टीरॉयड्स से भी ये परेशानी दूर की जा सकती है.
डायबिटीज और थकान
टाइप 2 डायबिटीज में अक्सर मरीज को सुस्ती की समस्या रहती है. उन्हें भूख-प्यास ज्यादा महसूस होती है, बार-बार टॉयलेट जाना पड़ता है और तेजी से वजन कम होता है. अगर आप इस बीमारी से ग्रसित हैं तो आपको अपने डॉक्टर से परामर्श कर उचित खानपान और शारीरिक गतिविधि करनी चाहिए. इसके अलावा वजन पर काबू, कसरत करना, ब्लड ग्लूकोस लेवल पर काबू, कार्ब्स के सेवन में कमी और दवाइयों का सख्ती से सेवन करना चाहिए.
नींद ना पूरी होना
अगर आप अच्छी नींद नहीं लेते हैं तो आपको लंबे समय तक थकान की समस्या रह सकती है. इसके अलावा आपको सुबह उठने पर सुस्ती और नींद में खर्राटे भी हो सकते हैं. लंबे समय तक ये परेशानी शरीर को नुकसान पहुंचा सकती है. इसलिए इसके लक्षणों पर ध्यान देना और उनका इलाज करना जरूरी है. अगर व्यक्ति को लंबे समय से नींद की समस्या है तो उसे अपने खानपान और जीवनशैली में सुधार करना चाहिए. इसके बाद भी अगर परेशानी रहती है तो व्यक्ति को डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए.
खून की कमी
खून की कमी से व्यक्ति के शरीर के कई फंक्शन्स प्रभावित होते हैं और शरीर बेहद थका और कमजोर महसूस करता है. इससे पीड़ित व्यक्ति को चक्कर, ठंड लगती है और शरीर ढीला महसूस होता है. एनीमिया की पुष्टि करने के लिए आपको ब्लड टेस्ट कराना होगा. अगर आपकी थकान का कारण आयरन की कमी है तो आपको अपनी डाइट में आयरन सप्लीमेंट शामिल करना होगा. इसके अलावा, आपको अपनी रोज की डाइट में पालक, ब्रोकली और रेड मीट भी शामिल करना होगा.
वायरल या बैक्टीरियल संक्रमण
इस कंडीशन में व्यक्ति को अत्यधिक थकान, बुखार, सिर और शरीर में दर्द होता है. ये फ्लू से लेकर एचआईवी तक के संक्रमण का लक्षण हो सकता है. अगर आपको कोई फ्लू है तो आपको बुखार, सिर या शरीर में दर्द, सांस लेने में तकलीफ या भूख न लगना जैसे लक्षण होंगे. ऐसी स्थिति में पीड़ित अक्सर घर में मौजूद दवाइयां और एंटीबायोटिक खा लेता है. लेकिन अगर आपके अंदर वायरल या बैक्टीरियल डिसीज के लक्षण हैं क्योंकि वायरल और बैक्टीरियल डिसीज लंबे समय तक रहती हैं और आसानी से ठीक नहीं होती.
कैंसर
कैंसर से पीड़ित व्यक्ति में ये थकान सामान्य लक्षण है. ये इलाज के साइडइफेक्ट की वजह से भी होती है. कैंसर में थकान और सुस्ती सामान्य तौर पर होने वाली थकान की तरह नहीं होती बल्कि काफी दर्दनाक होती है. इसमें मरीज चलने-फिरने में दिक्कत और बेहद कमजोरी महसूस करता है. ये लक्षण फेफड़े, पेट और स्तन कैंसर में मरीज में दिखाई देते हैं. इसके अलावा दिमाग, रीढ़ की हड्डी के कैंसर और रक्त कैंसर में भी ये लक्षण कभी-कभी दिखाई पड़ते हैं.