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दुनिया के सबसे अमीर जानवर अपनी जायदाद का हिसाब-किताब कैसे रखते हैं?

Elon Musk को पीछे छोड़ फ्रांसीसी बिजनेसमैन बर्नार्ड अरनॉल्ट दुनिया के सबसे अमीर इंसान बन गए. हर साल फोर्ब्स अमीर लोगों की लिस्ट जारी करता है. अक्सर इनके पास पालतू कुत्ते या बिल्ली भी होते हैं, जो अपने मालिक से कम रईस नहीं होते. यहां तक कि आखिरी समय पर मालिक अपनी प्रॉपर्टी का एक हिस्सा इनके नाम भी कर जाते हैं.

जर्मन शेफर्ड नस्ल का ये कुत्ता दुनिया में सबसे अमीर है, फिलहाल इसका कोई मालिक भी नहीं. (Instagram) जर्मन शेफर्ड नस्ल का ये कुत्ता दुनिया में सबसे अमीर है, फिलहाल इसका कोई मालिक भी नहीं. (Instagram)
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 15 दिसंबर 2022,
  • अपडेटेड 7:22 PM IST

फिलहाल भारत समेत ज्यादातर देशों का कानून इसकी इजाजत नहीं देता कि सीधे-सीधे किसी जीव-जंतु के नाम पैसों का बड़ा या छोटा हिस्सा किया जा सके. इसकी वजह ये है कि वे खुद ही किसी की प्रॉपर्टी हैं, और पैसे खर्चने के लिए दूसरों पर निर्भर हैं. यानी किसी हद तक उनकी स्थिति छोटे बच्चे जैसी है. हालांकि बच्चों के वयस्क होने के बाद विरासत उन्हें मिल जाती है, लेकिन जानवरों के मामले में ऐसा नहीं होता. 

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अक्सर ट्रस्ट ही देखभाल करता है
पेट्स के नाम पर मालिक अगर पैसे छोड़े तो होता ये है कि उनके नाम पर ट्रस्ट बनाया जाता है. ये पेट ट्रस्ट इस बात को सुनिश्चित करता है कि जानवर की हर जरूरत और शौक भी पूरा हो सके. ट्रस्ट का सिर्फ यही काम होता है. इसमें ट्रस्टी भी होता है, जो लगातार चेक करता है कि पशु को वही ऐशोआराम मिल सके तो मालिक के जीवित रहते हुए मिलता रहा. पेट की मौत के बाद मामला बदल जाता है. तब ये संपत्ति किसी चैरिटी को दी जा सकती है, जो एनिमल-वेलफेयर पर काम करती हो. 

कई सौ मिलियन डॉलर वाली बिल्ली
कई जगहों पर जानवर के नाम प्रॉपर्टी छोड़ी जा सकती है, जैसे साल 2019 में एक मशहूर फैशन डिजाइनर कार्ल लेगरफेल्ड ने अपनी बिल्ली चौपाटी के नाम संपत्ति का एक हिस्सा कर दिया. वो भी छोटा-मोटा नहीं, 3 सौ मिलियन डॉलर. आमतौर पर पेट गार्जियन तय होता है. ये मरने वाले का कोई भरोसेमंद दोस्त या रिश्तेदार होता है जो पालतू जीव के नाम किए पैसों को उन्हीं पर खर्च करता है. 

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चूंकि पशु खुद प्रॉपर्टी समझे जाते हैं, इसलिए ज्यादातर देशों में सीधे उनके नाम पर संपत्ति नहीं हो सकती. सांकेतिक फोटो (Pixabay)

कई बार सबमें बंटने के बाद जानवरों की बारी
ऐसा भी होता है कि लोग विरासत न बनाएं, या फिर पेट का नाम विरासत में न हो. ऐसे में विल में मेंशन सारे लोगों का हिस्सा बंटने के बाद रेजिड्यूरी बेनिफिशियरी के तौर पर पेट को भी कुछ हिस्सा मिलता है. लेकिन ये भी तब होता है, जब बाकी सारे इंसानी दावेदार अपना हिस्सा ले चुके हों. 

जान का भी खतरा रहता है
अमीरों का पेट होने के फायदे हैं तो कई नुकसान भी हैं. जैसे कई बार ऐसा होता है कि मालिक की मौत के बाद केयरटेकर पेट से मिलता हुआ दूसरा जानवर ले आता है और उसे असल पेट से रिप्लेस कर देता है. पैसों के कारण जानवरों की जान को खतरा रहता है. अगस्त 2007 में ऐसा ही एक मामला आया, जिसमें अमेरिकी बिजनेसवुमन लिओना हेम्स्ले की मौत के बाद परिवार के बाकी सदस्यों ने उनके पालतू कुत्ते को जान से मारने की कोशिश की. असल में लिओना ने अपनी प्रॉपर्टी का बड़ा हिस्सा कुत्ते हैरी के नाम कर दिया था, जिससे रिश्तेदार भड़क गए थे. मामला कोर्ट में पहुंचा और जज ने डॉग को मिला हिस्सा घटाकर रिश्तेदारों में बंटवा दिया. 

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पैसे खत्म हो जाएं तब क्या होता है?
कुछ जीवों की लाइफ-साइकिल काफी लंबी होती है. जैसे कछुए. ऐसे मामले भी हो चुके, जहां विरासत के पैसे खत्म हो गए, लेकिन पेट जीवित है. इस मामले में उसे स्थानीय एनिमल वेलफेयर संस्था को दे दिया जाता है. 

कई बार अमीर मालिक की मौत के बाद पेट्स पर हमला भी होता है ताकि पैसों का बंटवारा न हो. सांकेतिक फोटो (Pixabay)

इस कुत्ते के पास अपनी दौलत है
अब जानते हैं उस जर्मन शेफर्ड के बारे में, जो दुनिया का सबसे अमीर जानवर है. गुंटर VI के पास 5 सौ मिलियन डॉलर से ज्यादा की संपत्ति है. हर साल वो किसी न किसी टूरिस्ट प्लेस पर जाता और स्टार होटलों में ठहरता है. सबसे बड़ी बात, वो उस घर का मालिक है, जहां पहले मैडोना रह चुकीं. 

आखिर कैसे इतना रईस बना ये डॉग
साल 1992 में गुंटर VI के दादा गुंटर III को अपने मालिक कार्लोटा लेबेन्सटियन से लंबी-चौड़ी संपत्ति मिली. 80 मिलियन डॉलर जायदाद आगे चलकर बढ़ते हुए 5 सौ मिलियन में बदल गई. अब गुंटर सोशल मीडिया, खासकर इंस्टाग्राम के जरिए खुद भी अच्छा-खासा कमा लेता है. उसके पास केयर-टेकर्स की एक टीम है, जिसमें डिजाइनर कपड़े छांटने और खाना देने से लेकर ये तय करने वाले तक हैं कि ये जर्मन शेफर्ड लगातार अपनी प्रॉपर्टी को कैसे बढ़ाए. इस डॉग का कोई मालिक नहीं, बल्कि ये खुद मालिक है, जिसके पास बोर्ड मेंबर्स हैं, जो पैसों का हिसाब रखते हैं.

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