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'मोहब्बत की दुकान नहीं...', राहुल गांधी के बयान पर बोले आध्यात्मिक गुरु श्री एम

आध्यात्मिक गुरु और समाज सुधारक श्री एम ने इंडिया टुडे कॉन्क्लेव में कहा कि हमारे समाज में जो चीजें खराब होती हैं. झगड़े-फसाद हैं, उनके पीछे कई तरह की चीजें होती हैं. यह आम लोगों की वजह से नहीं है. हमारे देश और संस्कृति में लोगों के बीच हमेशा प्रेम रहा है.

Sri M Sri M
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 26 सितंबर 2024,
  • अपडेटेड 12:39 PM IST

आध्यात्मिक गुरु और समाज सुधारक श्री एम ने इंडिया टुडे कॉन्क्लेव में कहा कि हमारे समाज में जो चीजें खराब होती हैं या जो झगड़े-फसाद हैं, उनके पीछे कई तरह की चीजें होती हैं. यह आम लोगों की वजह से नहीं है. हमारे देश और संस्कृति में लोगों के बीच हमेशा प्रेम रहा है.

भारत की संस्कृति और सनातन संस्कृति प्यार और भाईचारा सिखाती है. पुरानी हिंदू संस्कृति का राजनीति से लेना-देना नहीं था. हमारी संस्कृति सर्वे भवन्तु सुखिनः सर्वे सन्तु निरामया सिखाती है. हमारी संस्कृति पूरी दुनिया की खुशी का पाठ पढ़ाती है. आम भारतीय लड़ाई नहीं चाहता, राजनीति से प्रेरित चीजें समाज में अराजकता का कारण बनती हैं. 

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महाराष्ट्र में चुनावी हलचल के बीच मुंबई के ताज लैंड्स एंड (होटल) में इंडिया टुडे कॉन्क्लेव (India Today Conclave 2024) जारी है. कल इसका पहला दिन था जिसमें राजनीति से लेकर फिल्म और बिजनेस इंडस्ट्री के तमाम दिग्गजों ने शिरकत की. आज कॉन्क्लेव का दूसरा दिन है. आज इसमें राजनीति, खेल, कला और अलग-अलग क्षेत्रों के कई बड़े नाम शिरकत कर रहे हैं जिसमें आध्यात्मिक गुरु और समाज सुधारक श्री एम भी शामिल रहे.

'मोहब्बत की दुकान नहीं, महफिल बनाएं'

कॉन्क्लेव में श्री एम से जब पूछा गया कि राहुल गांधी ने भारतीयों के बीच प्यार, एकता और भाईचारा का संदेश के लिए भारत जोड़ो यात्रा की थी. उन्होंने कहा था कि हम नफरत के बाजार में मोहब्बत की दुकान खोल रहे हैं. यह देश नफरत का नहीं, भाईचारा और मोहब्बत वाला है.

इस पर श्री एम ने कहा, 'हमारी सनातन संस्कृति यही सिखाती है. लेकिन हमें मोहब्बत की दुकान नहीं बल्कि महफिल करनी चाहिए. प्यार बहुत महान है, उसकी दुकान नहीं खोल सकते, दुकान का मतलब व्यापार है. लेना-देना. ऐसा नहीं कर सकते. मोहब्बत की महफिल बनाएं. दुकान बिजनेस है. मुझे लगता है कि इसमें हमारी संस्कृति में कोई कमी नहीं है. हमारी संस्कृति कहती है 'लोकः समस्ताः सुखिनो भवन्तु' यानी ईश्वर करे कि पूरी दुनिया खुश रहे. सभी सुखी रहें. सभी जो दिख रहे हैं, वो कीमती हैं. यही हमारी संस्कृति है.'

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फसाद राजनीति से प्रेरित होते हैं

श्री एम का कहना है कि आम भारतीय लड़ाई-झगड़ा या फसाद नहीं चाहता. ये सब चीजें राजनीति से प्रेरित होती हैं. उन्होंने कहा, 'अगर कोई चीज आपको तोड़ने की कोशिश करे तो आपको खुद से इतना समझदार होना चाहिए कि आप उसके बहकावे में ना आएं. ये दोनों तरफ के लोगों के लिए है. फिर चाहें तो मेजोरिटी हो या माइनॉरिटी. इस देश की नींव, सनातन संस्कृति की नींव बेहद मजबूत है. सनातन हमेशा से भाईचारा सिखाता रहा है. सनातन सर्वे भवन्तु सुखिनः का संदेश देता है जिसका मतलब है कि पूरी दुनिया खुश रहे.'

वो आगे कहते हैं, 'मैं हमेशा कहता हूं कि कि अपनी जड़ों पर वापस जाइए, वहां आपको हर सवाल का जवाब मिलेगा. हिंदू शब्द तो अरबों ने गढ़ा है. भारत का धर्म तो सनातन है. ये सनातन संस्कृति है. हमें उपनिषद से सीखना चाहिए. दो हजार साल पहले हमारी संस्कृति ने हमें क्या सिखाया था, हमें उसका पालन करना चाहिए. मैं मानता हूं कि हमें आज के समय में संस्कृत को जानने की जरूरत है जिसे लोग भूल चुके हैं. विज्ञान ने भी संस्कृत को माना है. संस्कृत को कंपल्सरी कर देना चाहिए.' 

खुशी आपके अंदर है

श्री एम से जब खुशी और शांति के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा, 'मैंने बहुत अमीर भी देखे हैं और गरीब भी देखे हैं. मैं बड़े-बड़े नेताओं और बिजनमैन से मिला हूं. खुशी कहीं नहीं है. जिस व्यक्ति का दिमाग सेटल (स्थिर) है. वहीं खुशी है. बहुत पैसा खुशी लेकर नहीं आता है. आप दुनिया से खुशी की उम्मीद नहीं कर सकते.' 

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श्री एम कहते हैं, 'कस्तूरी मृग (हिरण) बनाता है, ये उसके अंदर बनती है. जब हवा में ये कस्तूरी फैलती है तो वो इधर-उधर देखता है. उस खुशबू को बाहर ढूंढ़ता है जबकि ये उसी के अंदर से आ रही होती है. हम भी वैसे ही करते हैं. अगर हम अपने अंदर झांकते हैं तो हमें अपने अंदर शांति मिलती है. लेकिन हम उसे बाहर ढूंढते हैं. अगर आप अपने मन की शांति को पहचान लेंगे तो आपको इससे अच्छा काम करने में मदद मिलेगी. शांति अंदर से आती है. अगर आप शांत नहीं होंगे तो दूसरों को भी खुशी या शांति नहीं दे सकते हैं.' 

कार्मिक दुनिया में क्या करना चाहिए
अगर आप जवान हैं या मिडल एज के हैं तो कोशिश करें कि सभी काम निपटाने के बाद कुछ दिन के लिए प्रकृित के पास जाएं और खुद को पहचाने की कोशिश करें. आपको सन्यांसी नहीं बनना है. आप वैसा नहीं बन सकते. आपको बस अपने लिए कुछ दिन का समय निकालना है. उसके बाद आप अपने अंदर बदलाव महसूस करेंगे. आपको अपने जीवन का लक्ष्य पता चलेगा कि आप वास्तव में क्या करना चाहते हैं. इससे आपके काम में तेजी आएगी.

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