
आजकल के दौर में मोटापा, हाई ब्लड प्रेशर, डायबिटीज और कोलेस्ट्रॉल जैसी बीमारियां तेजी से बढ़ रही हैं. दुनिया भर में हुए विभिन्न अध्ययनों में बताया जा चुका है कि ये बीमारियां इतनी खतरनाक हैं कि ये धीरे-धीरे व्यक्ति के अंदर पनपती रहती हैं और फिर किसी बड़ी बीमारी का कारण बन सकती हैं. हाल ही हुई एक नई रिसर्च में सामने आया है कि हाई ब्लड प्रेशर, कोलेस्ट्रॉल, बढ़ा हुई शुगर और पेट की चर्बी जैसी कंडीशन्स हार्ट अटैक और स्ट्रोक जैसी बीमारियों का रिस्क बढ़ाती हैं और ये उस व्यक्ति के जल्दी मरने के जोखिम को बढ़ाती हैं.
यहां हुई ये रिसर्च
यूरोपियन सोसाइटी ऑफ कार्डियोलॉजी कांग्रेस 2023 बैठक में पेश की गई एक रिसर्च में बताया गया कि इन तीन या इससे अधिक हानिकारक कंडीश जैसे हाई ब्लड प्रेशर कोलेस्ट्रॉल, ब्लड शुगर का बढ़ना और मोटा पेट मध्यम आयु वर्ग के व्यक्तियों में इसी उम्र के सामान्य सेहत वाले लोगों की तुलना में दो साल पहले हार्ट अटैक और स्ट्रोक का खतरा बढ़ा सकता है.
रिसर्च में डॉक्टरों ने क्या कहा
स्वीडन के वास्टमैनलैंड काउंटी की डॉक्टर और इस रिसर्च की प्रमुख लीना लोनबर्ग ने कहा, ''40 और 50 वर्ष की उम्र के बहुत से लोगों के शरीर में पेट के आसपास थोड़ी चर्बी होती है. साथ ही ब्लड प्रेशर, कोलेस्ट्रॉल और शुगर थोड़ी बढ़ी हुई होती है लेकिन वो आम तौर पर स्वस्थ होते हैं.''
उन्होंने बताया, '' ऐसे लोग जोखिमों से अनजान होते हैं जिसकी वजह से वो चिकित्सीय सलाह नहीं लेते हैं. इस स्थिति को मेटाबॉलिक सिंड्रोम कहा जाता है जो पश्चिमी आबादी में एक बढ़ती हुई समस्या है. यहां लोग अनजाने में जीवन में बाद के लिए बीमारियां इकट्ठा कर रहे हैं. ये कंडीशन्स हार्ट अटैक और स्ट्रोक को पहले ही रोक लेने का बड़ा मौका होती हैं.''
माना जाता है कि मेटाबॉलिक सिंड्रोम दुनिया भर में 31 प्रतिशत लोगों को प्रभावित करता है. पिछले शोध से पता चला है कि जिन लोगों को मेटाबॉलिक सिंड्रोम होता है, उनमें डायबिटीज, हार्ट अटैक, स्ट्रोक और जल्दी मरने का खतरा अधिक होता है. इस अध्ययन के लिए तीन दशकों तक 40 और 50 वर्ष के मिडल ऐज के लोगों में असिम्पटोमैटिक (बिना संकेतों वाले) मेटाबॉलिक सिंड्रोम और हृदय रोग और समय से पहले मरने के खतरे के बीच के संबंध का आकलन किया गया था.
इतने लोगों पर हुई थी स्टडी
इस अध्ययन में 40 और 50 वर्ष के 34,269 वयस्कों को शामिल किया गया था जिन्होंने 1990 से 1999 तक स्वीडिश काउंटी वास्टमैनलैंड में कार्डियोवस्कुलर स्क्रीनिंग कार्यक्रम में भाग लिया.
हेल्थ सेंटर में प्रतिभागियों का नियमित परीक्षण किया गया जिसमें उनकी ऊंचाई, वजन, ब्लड प्रेशर, टोटल कोलेस्ट्रॉल, ब्लड शुगर और कमर व कूल्हे पर चढ़े फैट की जांच की गई. इस दौरान उनकी जीवनशैली और खानपान की आदतों, हृदय रोग और मधुमेह के इतिहास और शिक्षा जैसे सामाजिक आर्थिक कारकों की भी जानकारी ली गई.
ये हैं रिस्क फैक्टर
ऐसे प्रतिभागियों को मेटाबॉलिक सिंड्रोम से ग्रसित लोगों के रूप में वर्गीकृत किया गया था जिनमें चार में तीन कंडीशन थीं यानि जिन पुरुषों की कमर का साइज 102 सेमी या उससे अधिक, महिलाओं का 88 सेमी या उससे अधिक, 2 टोटल कोलेस्ट्रॉल 6.1 mmol/l या उससे अधिक, ब्लड प्रेशर 130 mmHg या 85 mm Hg और फास्टिंग प्लाज्मा ग्लूकोज 5.6 mmol/l या उससे अधिक पाया गया था.
डॉ लोनबर्ग ने कहा, ''चूंकि मेटाबॉलिक सिंड्रोम जोखिम कारकों का एक समूह है इसलिए इनमें से किसी भी कंडीशन के लेवल को गंभीर रूप से बढ़ाना नहीं चाहिए. वास्तव में इस दौरान रिसर्च में अधिकांश लोग ऐसे लक्षण दिखने से पहले कई वर्षों तक थोड़े बढ़े हुए स्तर के साथ भी रहे थे जिन्हें बाद में दिक्कत बढ़ने पर डॉक्टर के पास जाना पड़ा.''
उन्होंने आगे कहा, ''हमारा अध्ययन बताता बै कि मेटाबॉलिक सिंड्रोम वाले मध्यम आयु वर्ग के वयस्कों को करीब ढाई साल पहले हार्ट अटैक या स्ट्रोक आने का रिस्क होता है. इस रिसर्च में ब्लड प्रेशर सबसे बड़ा जोखिम कारक के तौर पर सामने आया जिस पर विशेषकर 40 वर्ष से अधिक उम्र की महिलाओं को ध्यान देना जरूरी है.''