
Type 2 Diabetes: दुनियाभर में करोड़ों लोग डायबिटीज-2 का शिकार हैं. यह बीमारी एक ऐसा साइलेंट किलर है जिसमें मरीज को पूरी जिंदगी सावधानी से रहना पड़ता है. उम्र और आनुवांशिक कारणों को छोड़ दिया जाए तो इस बीमारी को संभवत: काफी हद तक रोका जा सकता है. बीमारी को गंभीर स्तर पर जाने से रोकने के लिए लोगों को अपने लाइफस्टाइल और खान-पान में बड़े बदलाव करने पड़ते हैं. इसमें धूम्रपान-एल्कोहल पर रोक और वजन घटाने जैसे कई प्रयास कारगर साबित होते हैं.
एक शोध के मुताबिक, टाइप-2 डायबिटीज में संतरा और सेब बहुत फायदेमंद होते हैं, लेकिन इस बीमारी में फलों से निकले जूस का असर बिल्कुल उल्टा होता है. इस स्टडी के तहत अमेरिका में 1 लाख 87 हजार पुरुषों और महिलाओं पर करीब 25 साल तक फलों के प्रभाव को देखा गया है.
स्टडी के दौरान शोधकर्ताओं ने पाया कि 6.5 फीसदी लोगों में मोटापे की वजह से टाइप-2 डायबिटीज की बीमारी विकसित हुई. इसके अलावा, हर दिन फलों की एक या एक से ज्यादा सर्विंग लेने वाले वॉलंटियर्स में टाइप-2 डायबिटीज का खतरा 21 फीसद बढ़ा. लेकिन जिन लोगों ने सप्ताह में कम से कम दो बार ब्लूबैरी, अंगूर, और सेब जैसे फलों को छिलके समेत खाया, उनमें टाइप-2 डायबिटीज का खतरा महीने में एक सर्विंग लेने वाले वॉलंटियर्स की तुलना में 23 फीसद कम देखा गया.
शोधकर्ताओं ने पाया कि सप्ताह में फलों के जूस की तीन सर्विंग की जगह पूरा फल खाने से डायबिटीज की बीमारी का खतरा 7 प्रतिशत तक होता है. हारवर्ड स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ के शोधकर्ता और इस स्टडी के प्रमुख लेखक इसाओ मुराकी कहते हैं, 'हमारा डेटा डायबिटीज से बचने के लिए फलों के रस की बजाए, पूरे फल को खाने की सिफारिशों का समर्थन करता है.'
यह स्टडी साल 2013 में ब्रिटिश मेडिकल जर्नल में प्रकाशित हुई थी. इसमें शोधकर्ता देखना चाहते थे कि डायबिटीज की बीमारी में हर एक फल खाने का कैसा प्रभाव पड़ता है. तब से अब तक कई अन्य स्टडीज ने भी डायबिटीज में फलों का जूस ना पीने का समर्थन किया है. इस साल जून में सामने आई एक स्टडी में दावा किया गया था कि दिन में फलों की दो सर्विंग लेने से टाइप-2 डायबिटीज का खतरा 36 प्रतिशत तक कम होता है. स्टडी की प्रमुख लेखक डॉ. निकालो बॉन्डोनो ने ये भी कहा था कि उन्होंने फलों के रस से इस प्रकार के फायदे होते नहीं देखा है.
उन्होंने कहा, 'हायर इंसुलिन सेंसिटिविटी और डायबिटीज का कम खतरा केवल उन लोगों में देखा गया जिन्होंने फलों का जूस नहीं, बल्कि पूरे फल का सेवन किया था. ऐसा इसलिए भी संभव है क्योंकि फलों के जूस में शुगर लेवल हाई होता है, जबकि फाइबर की मात्रा घट जाती है.'
नेशनल हेल्थ सर्विस (NHS) के मुताबिक, सब्जी या फलों के जूस की क्वांटिटी का हिसाब रखना बहुत जरूरी है. एक इंसान को दिन में 150 एमएल (एक छोटा ग्लास) से ज्यादा सेवन नहीं करना चाहिए. वहीं, जूस की बजाए पूरा फल खाने से शरीर को उसके सभी पोषक तत्व मिलते हैं और फाइबर की कमी भी नहीं होती है. टाइप-2 डायबिटीज, आंत का कैंसर, स्ट्रोक और दिल की बीमारियों से बचाव के लिए फाइबर को डाइट का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा माना जाता है.