
आजकल के समय में बच्चे के पैदा होने के बाद से ही पेरेंट्स को उनकी स्कूलिंग की चिंता सताने लगती है. साथ ही अब स्कूल में बच्चों का एडमिशन कराना भी काफी मुश्किल हो गया है. बच्चों के लिए बेस्ट स्कूल में एडमिशन के लिए पेरेंट्स को लाखों रुपए डोनेशन देना पड़ता है. लेकिन आज हम आपको एक ऐसी महिला के बारे में बताने जा रहे हैं जिसे ना बच्चों के एडमिशन की चिंता रहती है और ना ही उन्हें स्कूल पहुंचाने की. हाल ही में इस महिला ने अपनी स्टोरी शेयर की है और बताया है कि वह बिना स्कूल भेजे किस तरह से अपने बच्चों को एजुकेट कर रही है.
महिला ने बताया कि सोशल मीडिया पर मैं कई पेरेंट्स को देखती हूं कि वह अपने बच्चों के लिए स्कूल यूनिफॉर्म और स्कूल में इस्तेमाल होने वाली चीजें खरीदती हैं. हर साल पेरेंट्स को ये करते हुए देखना मुझे काफी पसंद है. लेकिन मैंने खुद कभी भी ऐसा नहीं किया. मुझे बच्चों को बस स्टॉप तक नहीं छोड़ना पड़ता और ना ही लास्ट मिनट पर स्कूल प्रोजेक्ट के लिए टेंशन लेनी पड़ती है. ऐसा इसलिए क्योंकि मैंने कभी भी अपने बच्चों को स्कूल नहीं भेजा. महिला ने बताया, मेरे दो बच्चे हैं जिनकी उम्र 9 साल और 6 साल है. दोनों ही बच्चे स्कूल नहीं जाते हैं.
हमारी गर्मियां काफी धीरे खत्म होती हैं
महिला ने बताया कि बाकी पेरेंट्स की तुलना में हमारी गर्मियां काफी तनावमुक्त गुजरती हैं. गर्मियों में हम आइसक्रीम खाते हैं, पार्क में घूमने जाते हैं और लाइब्रेरी भी जाते हैं. साथ ही हम आगे आने वाले महीने को लेकर भी डिस्कस करते हैं.
अगर किसी की जियोलॉजी में रुचि है तो हम स्प्रिंग के दौरान नेचुरल हिस्ट्री म्यूजियम में जाते हैं. सप्ताह के बाकी दिनों में सुबह के समय यहां बच्चों की भीड़ ना के बराबर होती है. हम गर्मियों में कैंपिंग कर सकते हैं. महिला ने बताया कि हम कई छोटी और बड़ी ट्रिप्स पर भी जाते हैं.
हम अपने बच्चों को साल भर पढ़ाते हैं
महिला ने बताया कि होमस्कूलिंग में हम अपने बच्चों हर दिन और पूरे साल भर पढ़ाते हैं. हमारा मानना है कि बच्चे हमेशा सीखते हैं. स्प्रिंग्स के दौरान हम बच्चों को खेतों में काम करने के लिए भी ले जाते हैं ताकि उन्हें पता हो कि फसल कैसे उगाई जाती है. महिला ने बताया कि मेरे 6 साल के बच्चे को प्रकृति से जुड़ीं चीजें प्रेरित करती हैं जबकि मेरे 9 साल के बेटे को वीडियो गेम्स खेलना काफी पसंद है. जिसमें प्लेयर्स खेती करते हैं, फसल उगाते और उन्हें बेचते हैं. महिला ने यह भी बताया कि रात में डिनर के समय हम इकोनॉमिक्स, पॉलिटिक्स और इकोलॉजी के बारे में भी बातें करते हैं.
महिला ने बताया कि हमें यह होमस्कूलिंग का कॉन्सेप्ट काफी अच्छा लगता है. गर्मियों में हमारी छुट्टियां काफी आरामदायक तरीके से गुजरती हैं. इस दौरान हम रिलैक्स करते हैं जबकि बाकी पेरेंट्स को अपने बच्चों को तैयार करने स्कूल भेजने की जल्दी होती है.
आइए जानते हैं क्या हैं होमस्कूलिंग के फायदे
बच्चों की पढ़ाई पर होता है माता-पिता का कंट्रोल.
होमस्कूलिंग के जरिए पेरेंट्स और बच्चों के बीच एक मजबूत रिलेशनशिप बनता है.
होमस्कूलिंग में एक फिक्स टाइमिंग में पढ़ाई के बजाय आप कभी भी अपने बच्चे को पढ़ा सकते हैं.
होमस्कूलिंग के जरिए पेरेंट्स बच्चों पर ज्यादा ध्यान देते हैं.
इसमें पेरेंट्स अपने बच्चों के छुपे हुए टैलेंट के बारे में जान पाते हैं.
होमस्कूलिंग में पेरेंट्स बच्चों को उन सब्जेक्ट में ज्यादा हेल्प कर सकते हैं जिनमें वह काफी कमजोर हैं.
यह माता-पिता और बच्चों के बीच डिस्कशन शुरू करने में भी मदद करता है जहां माता-पिता भी बच्चों से सीख सकते हैं.
इसके जरिए माता-पिता बच्चों को बता सकते हैं कि बिना टेंशन के एंजॉय करके भी पढ़ाई की जा सकती है.