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लाइफस्टाइल

Corona Virus: क्या चीन कर रहा था खतरनाक प्रयोग जिससे फैला वायरस

aajtak.in
  • 04 फरवरी 2020,
  • अपडेटेड 12:59 PM IST
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चीन के वुहान शहर से शुरू हुए कोरोना वायरस का संक्रमण पूरी दुनिया में तेजी से फैल रहा है. कोरोना वायरस से चीन में अब तक 425 लोगों की मौत हो चुकी है, जबकि 20 हजार से ज्यादा मामलों की पुष्टि हो चुकी है. कोरोना वायरस को रोकने और बचाव के लिए दुनिया भर में प्रयास किए जा रहे हैं. हालांकि, कुछ रिपोर्ट्स में कहा जा रहा है कि कोरोना वायरस चीन के दावे के मुताबिक सीफूड मार्केट से नहीं बल्कि उसकी प्रयोगशाला से फैला है.

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कोरोना वायरस का संक्रमण केंद्र कहे जा रहे हुनान सीफूड मार्केट से थोड़ी ही दूर पर 'वुहान इंस्टिट्यूट ऑफ वायरलॉजी नैशनल बायोसेफ्टी लैब' स्थित है जो इबोला, निपाह व अन्य घातक वायरसों पर रिसर्च करती है. 'वुहान नैशनल बायोसेफ्टी लैबोरेटरी' हुनान सीफूड मार्केट से सिर्फ 32 किमी दूर है और ये यह लैब लेवल-4 सर्टिफाइड भी है. वायरस की उत्पत्ति को लेकर तमाम रिपोर्ट्स में सवाल उठाए जा रहे हैं लेकिन चीन की सरकार ने इस पर चुप्पी साध रखी है.

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ऑनलाइन पोर्टल ग्रेटगेमइंडिया की जांच में भी वायरस की उत्पत्ति को कनाडा और चीनी बायोलॉजिकल वारफेयर प्रोग्राम के दो एजेंट से जोड़कर देखा गया है. हालांकि, अभी तक ये सबूत नहीं हैं कि कोरोना वायरस की उत्पत्ति चीन के ही किसी गलत प्रयोग का नतीजा है. 

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रिपोर्ट के मुताबिक, 13 जून 2012 को सऊदी के एक 60 वर्षीय शख्स को जेद्दाह के प्राइवेट हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया था. उसे 7 दिनों से बुखार, सर्दी, सांस लेने में दिक्कत जैसी शिकायतें थीं. इस शख्स को इससे पहले सांस संबंधी बीमारी भी नहीं थी और ना ही वह सिगरेट पीता था. मिस्त्र के वायरलॉजिस्ट डॉ. अली मोहम्मद जैकी ने उसके फेफड़ों में अज्ञात कोरोना वायरस का पता लगाया. जब जैकी इस वायरस की उत्पत्ति नहीं ढूंढ सके तो उन्होंने नीदरलैंड के एरास्मस मेडिकल सेंटर के एक मशहूर विशेषज्ञ रॉन फुचियर से संपर्क किया.

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फुचियर ने जैकी के भेजे हुए वायरस सैंपल का सीक्वेंस लिया. इसके बाद कनाडा नेशनल माइक्रोबायोलॉजी लैब (NML) के साइंटिफिक डायरेक्टर डॉ. फ्रैंक प्लमर ने फुचियर से सीधे तौर पर वायरस के सैंपल कलेक्ट किया. रिपोर्ट्स में कहा गया है कि ये वायरस कनाडा की ही लैब से चीनी एजेंट ने चुराए थे.

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मार्च 2019 में कनाडा की एनएमएल लैब के वायरस से भरे रहस्यमयी जहाज चीन में दिखे थे. इस घटना के बाद बायोफेयर एक्सपर्ट्स ने सवाल उठाए थे कि कनाडा चीन को खतरनाक वायरस क्यों भेज रहा था. एनएमएल लैब के वैज्ञानिकों ने कहा था कि ये घातक वायरस बहुत ही ताकतवर जैव हथियार हो सकते थे. जांच के बाद पता चला था कि यह घटना एनएमएल लैब में काम कर रहे चीनी एजेंट से जुड़ी थी. चार महीने बाद ही जुलाई 2019 में कनाडा की नेशनल माइक्रोबायोलॉजी लैब ने जबरन चीन के वायरलॉजिस्ट के एक समूह को निकाल दिया था. बता दें कि एनएमएल लैब कनाडा की एकमात्र लेवल 4 की लैब है. ये उत्तरी अमेरिका में दुनिया की खतरनाक बीमारियों इबोला, सार्स, कोरोनावायरस इत्यादि पर रिसर्च के लिए अधिकृत चुनिंदा प्रयोगशालाओं में से एक है.

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जॉर्जटाउन यूनिवर्सिटी के न्यूरोलॉजी प्रोफेसर और अमेरिका के स्पेशल ऑपरेशन कमांड के बायोवारफेयर में सीनियर फेलो जेम्स गियारडानो कहते हैं, चीन का बायोसाइंस में बढ़ता निवेश और जीन एडिटिंग के मामले में नैतिक मूल्यों का उल्लंघन इस संदेह को मजबूत करता है कि चीन अपनी प्रयोगशालाओं को भी हथियार बना रहा है. इसके अलावा, चीन ऐसी कोशिशें भी करता रहा है कि वह ऐसे इलाज या वैक्सीन खोज ले जो दुनिया में सिर्फ उसके पास हों.

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हालांकि, चीनी विशेषज्ञों ने कोरोना वायरस को लैब एक्सपेरिमेंट का नतीजा मानने वाली रिपोर्टस को खारिज कर दिया है. चीनी वैज्ञानिकों का कहना है कि नए कोरोनावायरस संक्रमण का सोर्स प्राकृतिक ही है.

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चीनी विज्ञान अकादमी के तहत वुहान वायरस अनुसंधानशाला की अनुसंधानकर्ता शी जंग ली ने कहा कि नया कोरोनावायरस संक्रमण प्रकृति द्वारा मानव को दी गई एक सजा है. इसका किसी प्रयोगशाला के साथ कोई संबंध नहीं है. शी जंग ली के सहयोगी पीटर दासजेक ने भी कहा कि जब कभी कोई नया वायरस सामने आता है, तभी ऐसी चर्चा सुनाई देती है. यह शर्मनाक बात है.

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23 जनवरी को शी जंग ली ने अनुसंधान का परिणाम जारी किया कि वुहान में फैला नया कोरोनावायरस 'चमगादड़ कोरोनोवायरस' से 96 प्रतिशत मिलता-जुलता है. इसका मतलब है कि वुहान के नए कोरोनावायरस का स्रोत 18 साल पहले फैले सार्स (SARS) की तरह चमगादड़ ही है.

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चीनी जूंगशान विश्वविद्यालय के मेडिकल स्कूल के प्रमुख क्वो ड यीन ने भी कहा कि जीन अनुक्रम के आधार पर किए गए विश्लेषण से पता चलता है कि वायरस का स्रोत प्राकृतिक ही है. दुनिया के अन्य देशों में अनुसंधानकर्ताओं ने इस वायरस के जीन अनुक्रम को साझा किया है. वॉशिंगटन विश्वविद्यालय के जैव सूचना विज्ञान विशेषज्ञ ट्रेवर बेडफोर्ड ने कहा कि वायरस किसी इंसान के शरीर में प्रवेश करने के बाद इंसानों-से-इंसानों के बीच फैलता है.

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