महिला हो या पुरुष, इनफर्टिलिटी की समस्या दोनों के लिए एक चिंता का विषय है. खासतौर से जब आप फैमिली प्लानिंग करने की सोच रहे हों. आजकल के लाइफस्टाइल का सीधा असर फर्टिलिटी पर ही पड़ता है. खराब रहन-सहन और खान-पान की वजह से पुरुषों में स्पर्म काउंट कम होता जा रहा है. स्मोकिंग और ज्यादा शराब पीने के अलावा भी कुछ ऐसी आदतें हैं, जो स्पर्म की संख्या को कम करती हैं. आइए जानते हैं उनके बारे में.
टाइट फिटिंग के कपड़े
हमेशा टाइट कपड़े पहनने से बचें फिर चाहे वो जींस हो या अंडरवियर. टाइट कपड़े स्पर्म काउंट और फर्टिलिटी पर बुरा असर डालते हैं. टाइट कपड़ों की वजह से बॉडी की हीट बाहर नहीं आ पाती जिसका असर टेस्टिकल्स पर पड़ सकता है.
डेस्क जॉब
पुरुषों में बढ़ती इन्फर्टिलिटी के पीछे कहीं कहीं उनका जॉब भी जिम्मेदार है. हमेशा ऐसा काम करें जिसमें ज्यादा से ज्यादा एक्टिव रहना होता हो. कई जॉब्स ऐसे हैं जिनमें रेडिएशन, टेंशन या अन्य कारणों से स्पर्म काउंट पर असर पड़ता है.
बेड पर एक्टिव नहीं रहना
एक हेल्दी सेक्स लाइफ होने से भी स्पर्म काउंट अच्छा होता है. आप जितना ज्यादा सेक्स करेंगे, उतना ज्यादा आप स्पर्म प्रोड्यूस करेंगे.
कई सारे सप्लीमेंट्स लेना
अगर आप में फिटनेस का जुनून है तो संभव है कि आप अपने लुक को मेंटेन रखने के लिए कुछ सप्लीमेंट्स भी लेते हों. कई सारे सप्लीमेंट्स आपके टेस्टोस्टेरोन लेवल को खराब कर सकता है जिसका सीधा असर आपके स्पर्म काउंट पर पड़ेगा.
पर्याप्त विटामिन सी नहीं लेना
आप जितना अधिक विटामिन सी का सेवन करेंगे, आपके शरीर में उतना ही स्पर्म बनेगा. विटामिन सी के अलावा भी सही न्यूट्रिशन वाले सब्जियां और फल खाने से स्पर्म काउंट हेल्दी होता है.
सिगरेट पीना
स्मोकिंग बॉडी को कई तरीके से प्रभावित करती है. स्मोकिंग से कैंसर जैसी गंभीर बीमारी भी हो सकती है. इसके अलावा स्मोक करने से स्पर्म काउंट भी कम हो जाता है. सिगरेट पीने से शरीर में कार्बन मोनोऑक्साइड बढ़ता है जो स्पर्म को डैमेज करता है.
ज्यादा शराब पीना
ज्यादा शराब पीने से ऐसे टॉक्सिन बनने लगते हैं जिसका खराब असर बॉडी पर पड़ता है. ये न केवल स्पर्म काउंट को कम करता है बल्कि स्पर्म को नुकसान भी पहुंचाता है.
स्पर्म की क्वालिटी को बेहतर बनाने में कई चीजें बेहद मददगार मानी जाती हैं. वैज्ञानिकों का दावा किया है कि टमाटर में पाया जाने
वाला एक तत्व पुरुषों में प्रजनन संबंधी समस्याओं से निपटने में मदद करता
है. पुरुषों के एक वर्ग पर की गई स्टडी में इस बात का खुलासा हुआ है.
रिसर्च से पता चला है कि लाइकोपीन, जिसकी वजह से ही टमाटर का रंग लाल होता है, वो स्पर्म की क्वालिटी को और बेहतर करता है.
शोधकर्ताओं का कहना है कि उनके इस रिसर्च से भविष्य
में फर्टिलिटी ट्रीटमेंट कराने वाले पुरुषों को मदद मिलेगी क्योंकि
इन्फर्टिलिटी के 40 फीसदी से भी ज्यादा मामले में स्पर्म की खराब क्वालिटी
की वजह से होते हैं.
शेफील्ड विश्वविद्यालय की टीम ने 19 से 30 वर्ष की
आयु के 60 लोगों पर ये स्टडी की. 12 सप्ताह के परीक्षण के दौरान, आधे
प्रतिभागियों ने 14 एमजी लेक्टोलाइकोपीन लिया.
ये दवा कैम्ब्रिज न्यूट्रास्युटिकल्स लिमिटेड द्वारा
बनाई गई थी जिसमें जिसमें टमाटर के तत्व थे. वहीं आधे प्रतिभागियों ने
प्लेसबोस लिया. शोधकर्ताओं की टीम ने परीक्षण के पहले और बाद के स्पर्म
सैंपल्स लिए.
यूरोपियन जर्नल ऑफ न्यूट्रीशन में प्रकाशित परिणामों
के अनुसार लैक्टोलाइकोपीन लेने वाले प्रतिभागियों में 40 फीसदी अधिक और
अच्छे क्वालिटी के स्पर्म पाए गए.
शेफील्ड यूनिवर्सिटी के हेड प्रोफेसर और मुख्य लेखक
एलन पेसी ने कहा, 'हमें वास्तव में यह उम्मीद नहीं थी कि अध्ययन के अंत में
टैबलेट और प्लेसबो लेने वाले पुरुषों के बीच स्पर्म की क्वालिटी में कोई
अंतर पाया जाएगा'.
एलन पेसी ने कहा, 'जब हमने
स्टडी के रिजल्ट को डिकोड किया, तो मैं हैरान रह गया. स्पर्म की साइज और
क्वालिटी में अविश्वसनीय सुधार पाया गया. पेसी का मानना है कि लाइकोपीन के
एंटी-ऑक्सीडेंट गुण स्पर्म्स को क्षतिग्रस्त होने से रोक सकते हैं.
शोध करने वाली इस टीम का अब अगला चरण इनफर्टाइल पुरुष
होंगे और शोधकर्ताओं की कोशिश ये देखने की होगी की ये सप्लीमेंट उन पर
कैसे काम करता है.
टीम ने कहा कि उनका अगला शोध इस बात को ध्यान में
रखकर किया जाएगा कि क्या ये सप्लीमेंट फर्टिलिटी ट्रीटमेंट के काम आ सकेगा,
जिससे उन कपल्स की दिक्कत दूर हो सके जिन्हें बच्चा पैदा करने में दिक्कत
होती है.