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कोरोना से महिला का बुरा हाल, लक्षणों ने बढ़ाई डॉक्टरों की उलझन

aajtak.in
  • 28 मई 2020,
  • अपडेटेड 6:41 PM IST
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ब्रिस्बेन की एक महिला डेबी किलरोय को 80 दिन पहले पता चला था कि उसे कोरोना वायरस है. महीनों से कोरोना के दर्दनाक लक्षणों को झेलने के बाद नौवीं बार भी उनका टेस्ट पॉजिटिव आया है. हालांकि इससे पहले कई बार उनका कोरोना टेस्ट निगेटिव आया था लेकिन उनके डॉक्टर को संदेह था कि ये वायरस डेबी के शरीर को लंबे समय तक नुकसान पहुंचा सकता है. इसलिए इनका टेस्ट किया जाता रहा.

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डेबी किलरोय ने कहा, 'मेरे शरीर को बहुत नुकसान पहुंचा है.  मैं पूरी तरह से सुस्त हो चुकी हूं. मुझे सीने में जकड़न है, मुझे नाक, सिर और शरीर में अलग-अलग समय दर्द होता रहता है लेकिन सबसे खराब चीज पूरे समय रहने वाली थकावट है. मेरा ब्लड टेस्ट, एक्स रे और इको टेस्ट हो चुका है और मुझे अभी कई प्रक्रियाओं से गुजरना होगा.'

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क्वींसलैंड विश्वविद्यालय के एक वायरोलॉजिस्ट प्रोफेसर इयान मैके का कहना है कि कोरोना वायरस के लंबे समय तक दिखने वाले प्रभाव के बारे में अभी ज्यादा जानकारी नहीं है लेकिन ऐसे कई मामले सामने आए हैं जब ठीक हुए मरीज कोरोना से दोबारा संक्रमित हो गए हों. उन्होंने कहा कि कोरोना के मरीजों को पूरी तरह से ठीक होने में समय लगता है.

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प्रोफेसर मैके ने कहा, 'पुख्ता तौर पर कोई यह नहीं बता सकता कि ये इंफेक्शन शरीर में कितने दिनों तक रहता है लेकिन ऐसी संभावना है कि यह कम से कम 6 महीने तक शरीर में रहता है.'

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इनक्यूबेशन पीरियड पर सवाल

वहीं पिछले सप्ताह क्वींसलैंड में कोरोना वायरस के दो अजीब मामले सामने आए हैं. इन दोनों मरीजों को 14 दिनों के लिए नहीं बल्कि कई महीनों के लिए क्वारनटीन करना पड़ा है. प्रीमियर एनास्टेसिया पलासज़ुकुक ने पहले मामले का खुलासा करते हुए बताया कि केर्न्स की एक महिला ने रूबी प्रिंसेस क्रूज में सवारी की थी. इसके बाद इस महिला में कोरोना वायरस के लक्षण पाए गए थे.

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ऐसी संभावना जताई जा रही है कि ये महिला जहाज की सवारी के दौरान कोरोना वायरस से संक्रमित थी और इसमें कोरोना वायरस के लक्षण 10 हफ्ते बाद दिखे. वहीं दूसरा मामला क्वींसलैंड की अन्य महिला का है जिसने दो महीने पहले भारत की यात्रा की थी लेकिन वो पिछले सप्ताह कोरोना वायरस पॉजिटिव पाई गई.

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क्वींसलैंड के स्वास्थ्य विभाग का कहना है, 'हमें लगता है कि ये महिला दो महीने पहले भारत से ही संक्रमित होकर आई है.' ऐसे में यह सवाल उठता है कि आखिर 14 दिनों के इनक्यूबेशन पीरियड पर कितना भरोसा किया जाता है और क्या इसमें भी अलग-अलग स्थितियां हो सकती हैं?

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कम लोगों में होती है ये असामान्यता

प्रोफेसर इयान मैके ने संदेह जताया कि हो सकता है इन लोगों ने दो सप्ताह के इनक्यूबेशन पीरियड का पालन ना किया हो. उन्होंने कहा, 'अगर कुछ ऐसे असामान्य मामले हैं तो यह आश्चर्यजनक रूप से दुर्लभ हैं.'

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इयान मैके ने कहा, 'मुझे लगता है कि हमसे कुछ जानकारियां छूट रही हैं जिसे समझना जरूरी है जैसे कि क्या ये लोग जहाज या भारत से अपने परिवार के साथ आए थे या सिर्फ एक कपल की तरह वापस आए थे.

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प्रोफेसर मैके का कहना है कि अभी तक के रिसर्च में 14 दिन के इनक्यूबेशन पीरियड को भरोसेमंद माना गया है. उन्होंने कहा, 'कुछ लोगों को इससे भी ज्यादा इनक्यूबेशन पीरियड की जरूरत पड़ सकती है लेकिन वो भी दो महीने से ज्यादा नहीं.'

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