जिम्बाब्वे में तमाम महिलाएं सेक्स वर्कर हैं.लेकिन यहां यौन संक्रमण और एचआईवी के मामले भी उतनी तेजी से ही बढ़ रहे हैं. अब यहां सेक्स वर्कर्स को स्थायी रूप से ब्वॉयफ्रेंड बनाने से मना किया जा रहा है. चिरेद्जी के एंटी एचआईवी सेक्स वर्कर्स ग्रुप की मांग है कि सेक्स वर्कर्स को एचआईवी और यौन संचारित संक्रमणों के बारे में जागरूक किया जाए. इस ग्रुप से अब तक 1000 लोग जुड़ चुके हैं.
(प्रतीकात्मक तस्वीर)
ग्रुप की मुख्य सदस्य कॉस्टेंस माडा का कहना है, 'हम सेक्स वर्कर्स में परमानेंट ब्वॉयफ्रेंड बनाने के विचार को खत्म करना चाहते हैं क्योंकि ब्वॉयफ्रेंड बनने के बाद दोनों के बीच असुरक्षित यौन संबंध का खतरा ज्यादा बढ़ जाता है.'
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माडा ने कहा, 'हम सेक्स वर्कर को इस बात के लिए भी प्रोत्साहित करते हैं कि वो एचआईवी टेस्ट कराएं, साथ ही हम खराब क्लाइंट्स से निपटने के तरीके भी बताते हैं. माडा ने बताया कि कुछ बेकार क्लाइंट्स की वजह से सेक्स वर्कर्स रेप और लूट जैसी घटना की भी शिकार होती हैं.'
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नेशनल एड्स काउंसिल के साथ काम करने वाली माडा का कहना है कि सिस्टर क्लिनिक के खुल जाने से सेक्स वर्कर्स को अब अच्छी स्वास्थ्य सुविधाएं मिलने लगीं हैं.
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लोकल क्लिनिक में इन सेक्स वर्कर्स के साथ भेदभाव और उत्पीड़न होता है जिससे परेशान होकर ये सेक्स वर्कर्स वहां जाने से कतराती हैं.
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माडा ने बताया कि उनके साथ करीब 1148 सेक्स वर्कर्स अब तक रजिस्टर्ड हैं. ये सेक्स वर्कर उनसे हर बुधवार को मिलती हैं और अपने पेशे से जुड़ी जानकारी देती हैं.
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माडा और उनका ग्रुप सोशल मीडिया पर भी इनके प्रति जागरुकता बढ़ाने का काम करता है. माडा ने बताया कि NAC के तहत सेक्स वर्कर्स को शिक्षित करने पर बहुत काम हुआ है. इसके अलावा मुफ्त में कंडोम भी बांटे गए हैं.
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सेक्स वर्कर्स अब अपने स्वास्थ्य के प्रति भी जागरुक रहती हैं. इन सबकी वजह से ही 2014 के मुकाबले यौन संक्रमण के मामलों बहुत कमी आई है.
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2014 में पूरे देश में यौन रोग के मामले बहुत ज्यादा थे लेकिन लोगों तक सूचना पहुंचाने और देह व्यापार में लिप्त लड़कियों को शिक्षित करने की वजह से इन मामलों पर रोक लगी है.
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हालांकि माडा ने ये भी स्वीकार किया कि अभी भी कई युवा सेक्स वर्कर उनके ग्रुप द्वारा दी गई सलाह को मानने से इंकार कर रही हैं क्योंकि उन्हें लगता है कि हम उनके क्लाइंट को कम करना चाहते हैं.
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माडा का कहना है कि अब इन्हीं युवा सेक्स वर्कर तक अपनी बात सही तरीके से पहुंचाना उनके लिए सबसे बड़ी चुनौती है क्योंकि वो उनकी बात ही नहीं सुनना चाहती हैं.
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'हमारी बातों को नजरअंदाज करने और न मानने का ही नतीजा है कि युवा सेक्स वर्करों से जुड़े कम से कम 4 मामले हमारे पास हर दिन आते हैं.
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