चिड़ियाघर, झील और घने जंगलों की वजह से बर्लिन का टियर गार्टन पार्क टूरिस्ट के बीच अपनी खास पहचान बनाए हुए है. हालांकि बीते कुछ समय से ये टूरिस्ट स्पॉट मेल सेक्स वर्कर की मंडी में तब्दील हो गया है. टियर गार्टन पार्क के रास्ते से होकर गुजरने वाले राहगीरों का कहना है कि यहां पैसे लेकर देह व्यापार करने वाले मेल सेक्स वर्कर्स की तादाद बढ़ती जा रही है.
Photo credit: Heba Khamis Facebook
साल 2017 में मिस्र की एक फोटोग्राफर हेबा खमीस ने इन मेल सेक्स वर्कर की जिंदगी को टटोलने की कोशिश की थी. हेबा ने करीब डेढ़ साल तक टियर गार्टन के इन घने जंगलों की काली सच्चाई से पर्दा उठाने का प्रयास किया.
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हेबा का कहना है, 'जर्मनी की मीडिया जिन मेल सेक्स वर्कर्स को लोगों के लिए खतरा बता रही है, दरअसल वो हालातों के सताए हुए अफगानी और ईरानी शरणार्थी हैं. हेबा ने अपने एक फारसी भाषा के जानकार दोस्त के साथ यहां आने वाले लोगों से उनका नजरिया जानने की भी कोशिश की.
Photo credit: Heba Khamis Instagram
जंगल में चल रही मेल सेक्स वर्कर की इस मंडी को लेकर शुरुआत में यहां लोग कुछ बोलने को तैयार ही नहीं थे. लेकिन बाद में धीरे-धीरे इस सच्चाई से पर्दा उठने लगा और मेल सेक्स वर्कर की हकीकत के सारे राज सामने आते गए.
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हेबा जंगल की तरफ रोजाना जाने लगी और उनका ट्रांसलेटर वहां सेक्स की मंडी लगाने वाले लड़कों से कॉन्टैक्ट करने की कोशिश करने लगा. हेबा को पता लगा कि यहां ज्यादातर सेक्स मेल वर्कर अफगानिस्तान के शिया समुदाय के थे.
(प्रतीकात्मक तस्वीर)
तालिबानियों द्वारा सताए गए इन लोगों में ज्यादातर लड़के 15 से 32 साल की उम्र के थे. मेल सेक्स वर्कर की जिंदगी का नजदीक से अनुभव करने के बाद हेबा ने उनकी छिपी हुई पहचान को इन घने जंगलों से बाहर निकाला.
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जर्मन सरकार ने 2002 में वेश्यावृत्ति को लीगल कर दिया था. 2017 में मानव तस्करी और शोषण पर लगाम कसने के लिए लोकल ऑथोरिटी को यौनकर्मियों का रजिस्ट्रेशन करने से जुड़ा कानून भी पारित किया.
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लेकिन मेल सेक्स वर्कर को संरक्षण देने वाला ये कानून आज तक सफल नहीं हो पाया है. यहां का सपोर्ट सिस्टम इतना कमजोर है कि मेल सेक्स वर्कर को अभी तक अपने डॉक्यूमेंट नहीं मिल पाए हैं.
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डॉक्यूमेंट न मिलने की वजह से न तो ये कहीं नौकरी कर सकते हैं और न ही किसी स्कूल या कॉलेज में पढ़ाई के लिए आवेदन कर सकते हैं. अब मुस्लिम शरणर्थियों को जीने के लिए मजबूरन ये रास्ता अपनाना पड़ रहा है.
हेबा ने यहां जितने भी लोगों से बातचीत की उनमें से एक अहमद भी है. अहमद ने यहां पिछले तीन सालों से मेल सेक्स वर्कर के रूप में मौजूद हैं. इन लोगों से बातचीत करने के बाद ही हेबा को मेल सेक्स वर्कर का दर्द समझ आया.
(प्रतीकात्मक तस्वीर)
हेबा का कहना है कि यहां ज्यादातर मेल सेक्स वर्कर नशे की लत के शिकार हो चुके हैं. ये लोग बेहद डिप्रेशन में हैं. इनके जिस्म पर सिगरेट के जले और ब्लेड से कटे निशान बयां करते हैं कि ये कितने दर्द में जी रहे हैं.
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यहां कुछ लोगों को उनकी पहचान साबित करने वाले डॉक्यूमेंट मिल गए हैं. वे सभी एक इज्जतदार जिंदगी की तलाश में यहां से बाहर जा चुके हैं, लेकिन बहुत से ऐसे भी हैं जिन्हें अभी तक डॉक्यूमेंट्स आने का इंतजार है.
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