
आज के समय में महिला और पुरुष के बीच शादी से पहले शारीरिक संबंध होना आम है. प्रेम में आकर अक्सर जोड़ों के बीच ऐसे रिश्ते बन जाते हैं. ये कुछ ऐसा है जिस पर हर व्यक्ति की राय अलग हो सकती है और उसे सही या गलत के खांचे में फिट करना ठीक नहीं है. ये इंसान की अपनी सोच और भावनाओं पर निर्भर करता है. हालांकि इस दौर में भी कई लोग शादी से पहले इस तरह के संबंध को अनैतिक मानते हैं. वहीं, धर्म-संस्कृति और रीति-रिवाज की बात की जाए तो लगभग हर एक धर्म और पंथ से जुड़े धार्मिक गुरु भी शादी से पहले शारीरिक संबंध को सही नहीं मानते हैं.
लेकिन कई बार कुछ लोग ईश्वर और धर्म का हवाला देकर कुछ ऐसा संदेश दे देते हैं जो उनके अनुयायियों के जीवन को बुरी तरह प्रभावित कर देता है. कुछ ऐसा ही हुआ अमेरिका के एक जोड़े के साथ जिन्हें बचपन में चर्च के पादरियों ने सिखाया कि शादी से पहले सेक्स पाप है और अगर वो ऐसा करेंगे तो ईश्वर उन्हें दंडित करेगा. पादरियों की सीख उनके मन में इस तरह बस गई कि वो शादी के कई सालों के बाद भी सेक्स को पाप मानते रहे.
ये है इस महिला की कहानी
अमेरिका की रहने वाली रेचेल गार्लिंग बताती हैं, ''मैं और मेरे पति हम दोनों बचपन से ही चर्च में पले बढ़े हैं, जब हम पहली बार मिले, तब हम किशोर थे. हमारी परवरिश विशुद्ध ईसाई परिवार में हुई. हमें बचपन में सिखाया गया कि शादी से पहले शारीरिक संबंध बनाना पाप है और हमें इस तरह के संबंध के लिए अपने सच्चे प्यार का इंतजार करना चाहिए. हम दोनों ही इस बात का अनुसरण करते हुए बड़े हुए. हम अपनी पवित्रता बनाए रखना चाहते थे और सब कुछ वैसे ही करना चाहते थे जैसा हमें सिखाया गया था''
रेचेल ने बाद में अपने बचपन के प्रेमी के साथ धार्मिक रीति-रिवाज के साथ शादी कर ली लेकिन उन दोनों के दिमाग से ही सेक्स के खिलाफ बचपन में बताई गई बातें नहीं निकल पाईं.
रेचेल कहती हैं, ''हमारी शादी को अब लगभग 20 साल हो चुके हैं और हम अब महसूस कर रहे हैं कि प्योरिटी कल्चर (अपने शरीर को पवित्रता रखना) बनाए रखने वाला वो कॉन्सेप्ट कितना गलत था. हमें प्योरिटी कल्चर का पालन करना सिखाया गया था जिसका मतलब शादी तक सेक्स नहीं करना है. बाइबल का एक संदर्भ लेकर इसे हमारे अंदर कूट-कूटकर भर दिया गया कि किसी के साथ इस तरह का संबंध बनाने से अच्छा उसके साथ विवाह करना है. इसका मतलब था कि हमें ये पाप नहीं करना चाहिए. अगर हम अपनी शारीरिक जरूरतों पर काबू नहीं कर पा रहे तो हमें शादी कर लेनी चाहिए.''
लोग अपनी पसंद के विचार दूसरों पर थोपते हैं
रेचेल ने बताया, ''हमने महसूस किया कि बचपन में जो हमें सिखाया गया वो कुछ लोगों के विचार थे जिन्हें उन्होंने अपनी मर्जी से बाइबल के संदर्भों के साथ मिला दिया था. वो बहुत सख्ती से ये संदेश देते थे कि ऐसा मत करना क्योंकि हमारा कौमार्य एक पवित्र उपहार है जिसे हमें अपनी शादी की रात को अपने जीवनसाथी को देना है. इसका गलत इस्तेमाल नहीं करना है क्योंकि ये एक पाप है.''
लेकिन इन बातों ने ना हमें केवल बेवकूफ बनाया बल्कि हमें ये सोचने पर भी मजबूर कर दिया कि सेक्स एक बुरी चीज है.
हमें कभी सेक्स एजुकेशन नहीं मिली
वो कहती हैं, ''हमें सेक्स के विज्ञान, सहमति, इसके स्वास्थ्य पर पड़ने वाले प्रभाव, सेक्स से मिलने वाले आनंद और स्त्री-पुरुष के संबंध के बारे में कुछ नहीं सिखाया गया. चर्च के लोगों के अनुसार, समलैंगिक होना न केवल वर्जित था बल्कि ये पाप भी था. वास्तव में चर्च से जुड़े कई युवा लीडर मजाक उड़ाते हुए कहते थे कि परमेश्वर ने एडम और ईव को बनाया, एडम और स्टीव को नहीं'. सेक्स करने का एकमात्र सही तरीका यही है कि एक पुरुष और एक महिला पहले चर्च में कसम खाएं और मौत तक एक-दूसरे का साथ निभाएं. विवाहित रिश्ते में ही सेक्स अच्छा होता है. ये बड़ा अजीबोगरीब था क्योंकि पहले बिलकुल सेक्स ना करना और फिर एक-साथ इतना ज्यादा, जिसके परिणामस्वरूप जल्दी-जल्दी बच्चे पैदा होते हैं.''
एक घटना ने बदल दी मेरी सोच
रेचेल ने कहा, ''मुझे याद है हमारे ही चर्च के दो युवा लीडर, जो एक-दूसरे को सालों से डेट कर रहे थे, वो ऐसी स्थिति में फंस गए जहां एक लड़की गर्भवती हो गई. इसके बाद हमारे चर्च के बाकी लीडर्स ने उन दोनों को सबके सामने अपने ईश्वर से अपने पाप के लिए क्षमा मांगने को मजबूर किया. इस घटना ने मुझे सोचने पर मजबूर कर दिया क्योंकि मुझे लगा कि हमारे लीडर्स को उन बातों का हर हाल में पालन करना चाहिए जो वो दूसरों को बता रहे हैं. लेकिन अगर वो ही खुद पर काबू नहीं कर पा रहे तो हम कैसे कर सकते हैं.''
सेक्स के बाद ईश्वर से मांगती थी माफी
वो अपने पुराने दिनों को याद करते हुए कहती हैं, ''मुझे याद है मैं जब भी अपने प्रेमी (जिससे बाद में मेरी शादी हो गई) के साथ सेक्स करती थी तो मैं ईश्वर से अपने पापों की माफी मांगती थी. मैं रिलेशन बनाने के बाद अपने कमरे में जाती थी और बाइबल पकड़कर ईश्वर से अपने पापों की माफी मांगती थी. लेकिन जब मुझे अपने चर्च के लीडर्स के बारे में पता चला तो उसके बाद मैंने कभी भी कमरे की हवाओं से माफी नहीं मांगी. मुझे याद है हम उस वक्त अपनी बाईं उंगली पर चांदी की रिंग पहनते थे जिन पर "ट्रू लव वेट्स" उकेरा गया था जो एक तरह का रिमाइंडर था कि हमें फिसलना नहीं है. हालांकि इसने वास्तव में काम नहीं किया.''
काफी देर बाद समझ पाई असलियत
उन्होंने कहा, ''वास्तव में उपदेश का मतलब ईश्वर की प्रार्थना के लिए अपने शरीर को पवित्र रखना था लेकिन हमने सीखा क्या कि सेक्स एक शर्मनाक चीज है. बचपन में हमारे कोमल मन पर ये बात इस तरह उकेरी गई कि हमारे लिए शादी के बाद भी इसे अपने अंदर से निकालना नामुमकिन हो गया. यहां तक कि हमें तब ऐसा करने की अनुमति थी लेकिन सेक्स पाप है. ये हमारे मन से निकल ही नहीं रहा था.''
रिचेल बताती हैं, ''सच कहूं तो अपनी कहानी बताते हुए भी मुझे महसूस हो रहा है कि मैं बचपन में सिखाए गए धार्मिक मूल्यों के साथ विश्वासघात कर रही हूं. मैं सोचती हूं क्या मैं ऐसा बोलकर ईश्वर को ठेस पहुंचा रही हूं कि हमारे लिए 'प्योरिटी कल्चर' का पालन करना कितना नुकसानदेय था. हालांकि मैं खुद को याद दिलाती रहती हूं कि हममें जो लोग उस 'ट्रू लव वेट्स' मूमेंट के शिकार हुए, उन्हें अपनी आवाज उठानी चाहिए. मैं उस 'प्योरिटी कल्चर' को जीवन भर नहीं ढो सकती जो हमारे वजूद, सेक्स आइडेंटिटी और हमारी सेक्स लाइफ को बर्बाद करती हो.''