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क्या है स्लीप डिवोर्स, कपल्स जिसका सहारा रिश्ते सुधारने में ले रहे हैं, समझें, कब पड़ सकती है आपको भी इसकी जरूरत?

स्लीप डिवोर्स वो एग्रीमेंट है, जिसमें कपल्स एक कमरे की बजाए सोने के लिए अलग कमरा, अलग बेड या अलग समय चुनते हैं. पश्चिमी देशों में इसे रिश्ते में अलगाव की तरह देखा जाता था, लेकिन अब वहां ये ट्रेंड बढ़ा है. अमेरिकी संस्था नेशनल स्लीप फाउंडेशन के मुताबिक, लगभग 12 से 25 प्रतिशत तक कपल्स अलग-अलग सो रहे हैं, लेकिन वे खुलकर ये बात नहीं बता पाते.

स्लीप डिवोर्स का चलन काफी पुराना है. सांकेतिक फोटो (Pixabay) स्लीप डिवोर्स का चलन काफी पुराना है. सांकेतिक फोटो (Pixabay)
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 02 मई 2023,
  • अपडेटेड 11:22 AM IST

कपल्स के रिश्ते में सबसे जरूरी बात क्या है, ये पूछने पर दुनिया-जहान के जवाब मिल जाएंगे, लेकिन नींद का जिक्र शायद ही कोई करेगा. जोड़े एक बेडरूम में रहते हैं. रातभर उनमें से एक खर्राटे लेता है, या कोई दूसरा रातभर लैपटॉप ठकठकाता रहता है. ऐसे में नींद पूरी नहीं हो पाती. नतीजा! अगली सुबह मामूली बात पर खिटपिट हो जाती है. अब इसी झगड़े को टालने के लिए स्लीप डिवोर्स का चलन बढ़ा है. टिकटॉक पर एक हैशटैग चल रहा है- sleepdivorce, जिसे साढ़े 3 लाख से ज्यादा बार देखा जा चुका है. 

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विक्टोरियन दौर में भी था इसका ट्रेंड

स्लीप डिवोर्स टर्म भले ही सुनाई देने में नया है, लेकिन इसका चलन काफी पुराना है. साल 1850 से अगले लगभग 100 वर्षों तक पति-पत्नी एक कमरे में तो होते थे, लेकिन होटलों की तर्ज पर वहां ट्विन-शेयरिंग बेड हुआ करते, यानी एक रूम में दो बिस्तर. ये इसलिए था कि अलग-अलग तरह के काम निपटाकर अलग समय पर कमरे में आए लोग एक-दूसरे को डिस्टर्ब किए बिना आराम से सो सकें.

लैंकेस्टर यूनिवर्सिटी की प्रोफेसर हिलेरी हिंड्स के अनुसार, ट्विन बेड-शेयरिंग कंसेप्ट 19वीं सदी में आया था, ताकि पति-पत्नी साथ भी रह सकें और चैन की नींद भी ले सकें. हिंड्स ने इसपर एक किताब भी लिखी-कल्चरल हिस्ट्री ऑफ ट्विन बेड्स. इसमें ये तक बताया गया है कि तब के डॉक्टर बेड शेयर करने के मानसिक नुकसान भी बताते थे. 

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अलग लाइफस्टाइल की वजह से बहुत से कपल अलग सोना पसंद करने लगे हैं. सांकेतिक फोटो (Unsplash)

बेड हाइजीन का हवाला दिया जाता था

साल 1861 में हेल्थ कैंपेनर और डॉक्टर विलियम विटी हॉल ने एक किताब में बेड शेयर करने के नुकसान बताते हुए किताब लिख डाली, जिसका नाम था- स्लीप- ऑर हाइजीन ऑफ द नाइट. इसमें हॉल ने दांत साफ रखने और नाखून कटे हुए होने की तरह ही साफ-सुथरे बेड पर अकेले सोने की सलाह दी थी ताकि शरीर कंफर्टेबल रहे. उनका तर्क था कि दो बिल्कुल अलग उम्र या अलग रुटीन वाले लोग अगर एक साथ सुला दिए जाएं तो एक की नींद पर बुरा असर होगा. या हो सकता है कि दोनों की ही नींद पूरी न हो सके. 

युद्ध के बाद हुआ बदलाव

बहुत सी चीजों की खोज या फिर शुरुआत दूसरे विश्व युद्ध के बाद हुई. डबल बेड भी लगभग इसी समय की देन है. कम से कम पश्चिम के बारे में ये कहा जा सकता है. तब युद्ध से लौटे सैनिक उदास थे. ऐसे में कंफर्ट देने के लिए पत्नियां या प्रेमिकाएं साथ रहने लगीं और जल्द ही ट्विन बेड्स को टूटती हुई शादी का प्रतीक माना जाने लगा. साल 1956 में सेपरेट बेड्स के कंसेप्ट को कोसते हुए फेमिनिस्ट लेखिका मेरी स्टोप्स ने अपनी किताब स्लीप में लिखा था- ट्विन शेयरिंग बेड शादीशुदा लोगों से नफरत करने वाले किसी शैतानी दिमाग की उपज है. इस तरह से किंग साइज बेड ने सेपरेट बेड्स की जगह ले ली. 

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नींद की कमी भी रिश्तों में तनाव की बड़ी वजह है. सांकेतिक फोटो (Unsplash)

नींद की कमी से जूझ रहे लोग
अब दोबारा हम वहीं लौट रहे हैं. इसकी वजह है नींद की कमी. पिछले साल स्लीप सॉल्यूशन्स देने वाली कंपनी वेकफिट ने ग्रेट इंडियन स्लीप स्कोरकार्ड (GISS) 2022 जारी किया. इसके नतीजे बताते हैं कि भारत में 55 प्रतिशत से ज्यादा लोग रात में 11 के बाद ही सोने जाते हैं और 8 घंटे से कम नींद लिए बगैर जाग जाते हैं. कितने यंग जोड़े नींद की कमी से जूझ रहे हैं, इसका कोई ताजा डेटा नहीं मिलता, लेकिन हेल्थ टेक्नोलॉजी कंपनी फिलिप्स इंडिया का 2019 का डेटा कहता है कि लगभग 93% भारतीय पूरी नींद नहीं लेते. इनमें भी 58% 7 घंटे से कम नींद ही ले पाते हैं. 

कम सोने का असर रिश्तों पर भी 

नींद की कमी का सीधा-सीधा असर रिश्ते पर होता है. नींद की कमी से जूझते जोड़े छोटी-मोटी बातों पर भी उलझ पड़ते हैं. साथ ही इससे कपल की इंटिमेसी भी प्रभावित होती है. यही वजह है कि अलग-अलग वर्क प्रोफाइल वाले पति-पत्नी अलग बेडरूम या अलग समय पर सोना प्रेफर कर रहे हैं. इसके अलावा भी कई दूसरे कारण हैं. जैसे जोड़े में एक खर्राटे लेता हो, बार-बार वॉशरूम जाने की आदत हो, या देर रात सोना पसंद करता हो, तब भी कपल्स स्लीप डिवोर्स की तरफ जा रहे हैं. 

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स्लीप डिवोर्स को कामयाब कैसे बना सकते हैं

अगर कोई एकदम से अपने पार्टनर से कहे कि वो अलग बेडरूम में सोना चाहता है तो बहुत मुमकिन है कि टेंशन पैदा हो जाए. अक्सर इसे रिश्तों में दरार की तरह देखा जाता है. ऐसे में कपल को बातचीत करके समझना होगा कि क्यों वो अलग सोना चाहते हैं. साथ ही इसे ट्रायल की तरह भी किया जा सकता है ताकि जब चाहें पुरानी व्यवस्था पर लौटा जा सके. 

 

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