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क्या है फ्लोटिंग किडनी? जानिए शरीर में क्यों सरक जाता है गुर्दा?

करीब 6 साल से युवती को पेट दर्द की शिकायत रहती थी. जब भी वह अपनी जगह से उठती या बैठती थी तो उसे ऐसा लगता था जैसे उसके पेट में कोई गेंद इधर-उधर जा रही हो. पर असल में वह उसकी किडनी थी.

फ्लोटिंग किडनी फ्लोटिंग किडनी
केशवानंद धर दुबे/संदीप कुमार सिंह
  • नई दिल्ली,
  • 23 अप्रैल 2018,
  • अपडेटेड 2:04 PM IST

आमतौर पर हमारे शरीर का कोई भी अंग अपनी जगह से नहीं हिलता. पर एक युवती द्वारा बार-बार शरीर की स्थिति बदलने पर एक अजीब चीज अनुभव की जाती थी. उसकी दाईं किडनी अपनी जगह से गिर जाती थी.

बीएमजे केस रिपोर्ट में प्रकाशित मामले के अनुसार, 28 वर्षीय युवती 'नेफ्रोप्टोसिस' नामक बीमारी से पीड़ित थी, जिसको कुछ लोग 'फ्लोटिंग किडनी' के नाम से भी जानते हैं. करीब 6 साल से युवती को पेट दर्द की शिकायत रहती थी. जब भी वह अपनी जगह से उठती या बैठती थी तो उसे ऐसा लगता था जैसे उसके पेट में कोई गेंद इधर-उधर जा रही हो. पर असल में वह उसकी किडनी थी.

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जब वह इसके लिए डॉक्टर के पास गई तो उसने बताया कि गर्भवती होने के दौरान उसको ज्यादा दर्द नहीं होता था, खासकर आखिरी तीन महीनों में. हेनरी फॉर्ड अस्पताल में यूरोलॉजिस्ट डॉ अक्षय सूद ने बताया कि उनके पहले के सारे टेस्ट साधारण आए थे, पर एक नए इमेजिंग टेस्ट के बाद यह बात सामने आई कि शरीर की स्थिति बदलने पर उनकी किडनी 2 इंच से ज्यादा नीचे तक गिर जाती है.

फ्लोटिंग किडनी की शिकायत के उपचार के लिए मरीज को नेफ्रोपेक्सी नामक ट्रीटमेंट कराना होता है, जिसमें ग्रसित अंग को शरीर की पिछली हड्डी से बांध कर यह सुनिश्चित किया जाता है कि वह अपनी जगह से ना हिले.

डॉ सूद और उनके साथियों ने रिपोर्ट में लिखा कि मरीज बहुत ही आभारी था कि उसके रोग को 6 साल बाद समाप्त किया जा सका.

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डॉ सूद के अनुसार नेफ्रोप्टोसिस महिलाओं में आम है, खासकर वो जो पतली होती हैं क्योंकि उनके शरीर में उतनी चर्बी नहीं होती कि किडनी को उसकी जगह पर बनाए रखे. साथ ही पुरुषों में भी इस बीमारी के लक्षण देखे जा सकते हैं. 

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