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देर रात में खाना सेहत के लिए होता है इतना खतरनाक, जानें क्यों

अगर आपको भी देर रात में स्नेक्स खाने की आदत हैं तो सावधान हो जाएं. क्योंकि आपकी यह आदत आपकी सेहत को खतरे में डाल सकती है. हाल ही में हुए एक अध्ययन की रिपोर्ट में यह खुलासा किया गया है कि देर रात में स्नेक्स खाने से डायबिटीज और दिल से जुड़ी बीमारी होने का खतरा काफी हद तक बढ़ जाता है.

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वंदना भारती
  • नई दिल्ली,
  • 09 नवंबर 2017,
  • अपडेटेड 4:49 PM IST

यह कहना गलत नहीं होगा कि पहले के मुकाबले अब लोगों का लाइफस्टाइल पूरी तरह से बदल चुका है. आम तौर पर देखा जाता है कि लोग सुबह देर तक सोते हैं और देर रात तक जागे रहते हैं.

अगर रात में देर तक जागेंगे तो भूख लगना भी लाजमी है. जिस वजह से देर रात में स्नेक्स खाने का ट्रेंड सा बन गया है. लेकिन शायद आपको यह जानकर हैरानी होगी कि देर रात में खाने की आदत सेहत के लिए बहुत खतरनाक साबित हो सकती है.

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अगर आपको भी देर रात में स्नेक्स खाने की आदत हैं तो सावधान हो जाएं. क्योंकि आपकी यह आदत आपकी सेहत को खतरे में डाल सकती है. हाल ही में हुए एक अध्ययन की रिपोर्ट में यह खुलासा किया गया है कि देर रात में स्नेक्स खाने से डायबिटीज और दिल से जुड़ी बीमारी होने का खतरा काफी हद तक बढ़ जाता है.

अध्ययन की रिपोर्ट में यह दावा किया गया है कि देर रात में खाना या स्नेक्स खाने से शरीर की बायोलॉजिकल क्लॉक बिगड़ जाती है. जिस कारण शरीर में ब्लड फैट का लेवल बढ़ने के साथ व्यक्ति कम उम्र में ही दिल की बीमारियों का शिकार हो जाता है.

यूनिवर्सिटी ऑफ मेक्सिको के प्रोफेसर रूड बुजिस के अनुसार हम हमेशा यह भूल जाते हैं कि जीने के लिए शरीर की बायोलॉजिकल क्लॉक का सही तरीके से काम करना कितना जरूरी होता है. अकसर देखने को मिलता है कि थकान महसूस करने पर लोग दिन में ही सो जाते हैं, देर रात तक उठे रहते हैं और रात में सोने के समय लोग स्नेक्स या खाना खाते हैं.

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प्रोफेसर बुजि की मानें तो ज्यादा समय तक इस तरह के लाइफस्टाइल के कारण लोग ऐसी बीमारियों के शिकार हो सकते हैं जो जीवन भर उनका पीछा नहीं छोड़ेंगी.

बता दें कि शोधकर्ताओं ने यह रिसर्च चूहों पर की है. जिन्हें दिन और रात दोनों समय में खिला कर देखा गया. जिसके नतीजे में पाया गया कि आराम करने के समय खाना खाने से चूहों में ब्लड फैट का लेवल काफी बढ़ गया.

एक्सपेरिमेंटल फिजियोलॉजी जर्नल में प्रकाशित इस अध्ययन की रिपोर्ट में यह भी दावा किया गया है कि जब शोधकर्ताओं ने चूहों के दिमाग से वो हिस्सा अलग किया जो 24 घंटे शरीर की बायोलॉजिकल क्लॉक को कंट्रेल करता है तो उससे ब्लड फैट के लेवल पर कोई असर नहीं पड़ा.

जिससे यह साफ होता है कि शरीर में ब्लड फैट का लेवल बढ़ने से मेटाबॉलिज्म बिगड़ने के साथ दिल की बीमारियों का भी खतरा बड़ जाता है.

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