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तनाव के चलते स्कूल नहीं जाते बच्चे- स्टडी

बच्चे स्कूल से छुट्टी तो कई बार लेते हैं. लेकिन अगर इस छुट्टी का कारण तनाव है तो ये चिंताजनक है. एक स्टडी ने दावा किया है कि कई बच्चे स्कूल इसलिए नहीं जाते क्योंकि वो तनाव से ग्रसित होते हैं.

प्रतीकात्मक तस्वीर प्रतीकात्मक तस्वीर
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 28 फरवरी 2019,
  • अपडेटेड 5:59 PM IST

आज हर कोई तनाव से ग्रसित है. तनाव एक ऐसी समस्या बन गई है कि जिससे सिर्फ बड़े नहीं बल्कि बच्चे भी ग्रसित होने लगे हैं. हमे ऐसा लगता है कि बच्चों को किसी भी प्रकार का तनाव नहीं होता, सारी चिंताएं सिर्फ हम बड़ों के लिए ही होती हैं. लेकिन ये धारणा गलत हैं. हर उम्र में अलग जिम्मेदारी होती है और अपनी चिंता होती है. एक नई स्टडी के मुताबिक, अगर आपका बच्चा स्कूल ना जाने के बहाने बनाता है और सिर्फ घर पर बैठना चाहता है, तो ये संभव है कि आपका बच्चा तनाव से परेशान हो.

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यूनिवर्सिटी ऑफ एक्सर्टनल मेडिकल स्कूल द्वारा की गई स्टडी के मुताबिक, अगर आपके बच्चे की स्कूल में उपस्थिति बहुत कम है तो इसका कारण तनाव हो सकता है. CAMA में प्रकाशित इस स्टडी से हम इस बात का अध्यन कर सकते हैं कि किस प्रकार से तनाव, बच्चों की स्कूल में उपस्थिति से जुड़ा हुआ है.

बता दें, इस स्टडी को कंडक्ट करते समय स्कूल की अटेंडेंस को 4 भागों में बांट दिया गया. आसान शब्दों में उन्होंने वो कारण चिन्हित किए जिसके चलते बच्चे स्कूल से छु्ट्टी लेते हैं. वो चार कारण थे- कभी-कभी स्कूल ना जाना, बीमारी के चलते छुट्टी, बिना किसी कारण के छुट्टी, स्कूल जाने से साफ इंकार. अब शोधकर्ताओं को अध्ययन करके पता चला कि बिना किसी कारण के जो छुट्टी ली जाती है, उसमें सबसे बड़ा कारण तनाव होता है.

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इस स्टडी की मुख्य शोधकर्ता कैटी फिनिंग के अनुसार, ये बहुत ही चिंताजनक बात है कि इतनी छोटी उम्र के बच्चे तनाव से ग्रसित हो रहे हैं. उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि ये तनाव बच्चों की पढ़ाई के साथ उनकी सामाजिक और आर्थिक विकास में भी बाधा बन सकता है. वे आगे कहती हैं 'हमे शुरुआती चरण में ही इस समस्या का पता चल गया है, अब हमारे को जल्द से जल्द कुछ समाधान निकालना चाहिए जिससे इन मासूम बच्चों की जिंदगी सवर सके.'

बता दें, बच्चों में इन लक्षण को समझना कई बार मुश्किल हो सकता है. इसलिए स्टडी के शोधकर्ता तमसिन फोर्ड के अनुसार कई बार बच्चे शिकायत कर सकते हैं कि उनको पेट या सर में दर्द है. ऐसी परिस्थिति में स्कूल के स्टाफ को इन लक्षणों को नजरअंदाज नहीं करना चाहिए क्योंकि ये संभव है कि इन लक्षणों का कारण तनाव हो.

हमे ये भी समझने की आवश्यकता है कि मामूली तनाव कोई बीमारी नहीं होती. थोड़ा तनाव तो किसी को भी हो सकता है. लेकिन अगर ये तनाव आपके बच्चे की लाइफ पर नकारात्मक असर डाल रहा है और उसकी काम करने की क्षमता प्रभावित हो रही है, तब ये चिंताजनक है.

वैसे बता दें, तनाव का इलाज संभव है और इस पर ठीक समय पर काबू भी किया जा सकता है. लेकिन तनाव को नकार देना इसका समाधान नहीं है, इससे दिक्कतें और बढ़ सकती हैं.

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वैसे कुछ संस्थाए इस बात पर भी जोर दे रहीं हैं कि अभी इस मुद्दे पर और अध्यन की आवश्यकता है. अभी ये भी देखना जरूरी है कि कही ऐसा तो नहीं कि स्कूल में कम उपस्थिति के चलते तनाव बच्चों को हो रहा हो.

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