
भाई और बहन के अटूट प्रेम के त्योहार रक्षाबंधन के आते ही बाजारों में रौनक भी लौट आई है. भाई चाहे सात समंदर दूर ही क्यों न हो, लेकिन इस दिन बहन की राखी उस तक पहुंच ही जाती है.
प्राचीन काल से चले आ रहे इस पर्व ने आज के दौर में आधुनिकता का चोगा भले ही धारण कर लिया हो, पर इस त्योहार का महत्व कम नहीं हुआ है. हर बहन और भाई को इस त्योहार का बेसब्री से इंतजार रहता है. बहनें अपने भाई की कलाई में बांधने के लिए खूबसूरत राखियों को खरीदने के लिए बाजार पहुंच रही हैं.
राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में भी बाज़ारों की रौनक देखते ही बनती है. दिल्ली के तमाम छोटे-बड़े बाजार खूबसूरत राखियों से अटे पड़े हैं. मोतियों, रूबी और रंग-बिरंगे पत्थरों को रेशमी धागे में पिरोकर बनाई गई राखियों की चमक से बाजार गुलज़ार हैं. बाजार में सस्ती राखियां भी हैं और डिजाइनदार महंगी राखियां भी.
चंदन की लकड़ी से बने गणेश हों या रूबी जैसे महंगे पत्थर से बने फूलों के आकार की राखी....सभी अपने आप में बेहद खूबसूरत हैं और लोग बाजार में जमकर खरीदारी का आनंद उठा रहे हैं.
दिल्ली के सदर बाजार में इन दिनों ग्राहकों की भीड़ के चलते पैर रखने तक की जगह नहीं है. यह देश की राजधानी का सबसे बड़ा होलसेल मार्केट है. यहां हर तरह की राखियां उपलब्ध हैं. यहीं से दुकानदार राखियां खरीदकर सरोजनी, लाजपत और जीके जैसे दूसरे बड़े-छोटे बाज़ारों में ले जाकर बेचते हैं. दिल्ली के हर बाजार में राखियों के दामों में फर्क भी है.
फेंगशुई रखियों की डिमांड ज्यादा
दिल्ली के मशहूर खान मार्केट स्थित कृति क्रिएशन की दुकान वैसे तो हर त्योहार में चीजों की खरीदारी को लेकर लोगों की पहली पसंद होती है. इस बार यहां इको फ्रेंडली राखी की धूम है. इस राखी की खासियत की बात करें, तो ये पूरी तरह से डिग्रेडेबल चीज़ों से बनी है और इसमें खूबसूरती से फूलों के बीजों को सजाया गया है.
इसको बाद में गमले में लगाया जा सकता है, जिससे निकलने वाले खुशबूदार फूल भाई को हर पल अपनी बहन की याद दिलाते रहंगे. इस राखी का मकसद मौजूदा प्रदूषित माहौल में पौधारोपण को बढ़ावा देना है.