
अमेरिका के नेशनल ब्यूरो ऑफ इकोनॉमिक रिसर्च ने जीवन की खुशी पर एक रिपोर्ट तैयार की है और यह दावा किया है कि जिंदगी में खुशी स्माइली फेस जैसी है. अध्ययन की रिपोर्ट के अनुसार लोग सबसे ज्यादा 16 से 20 और 65 से 85 साल की उम्र में खुश होते हैं. जबकि 45 से 55 साल के लोग सबसे कम खुश रहते हैं. खुशी का स्तर 21 से 55 साल तक घटती जाती है, फिर बढ़ती है.
यह रिपोर्ट 97 देशों के 13 लाख लोगों पर किए गए 7 सर्वे के आधार पर तैयार की गई है. इसमें भारत भी शामिल है.
ऐसे की रिसर्च ने दुनियाभर में खास ट्रेंड्स का ऑनलाइन आकलन किया. लोगों से सवाल पूछे. कुछ देशों में एक समान व लहरदार खुशी देखने को मिली.
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रिपोर्ट के अनुसार जिंदगी के 16वें और 80वें साल में खुशी शिखर पर होती है. 50वें साल में यह सबसे निचले स्तर पर होती है.
यह रिपोर्ट डेविड जी बलैंचफ्लॉवर और एंड्रू ओसवॉल्ड ने तैयार की है.
10 बातें जो खुशी को प्रभावित करती हैं
1. खुद की तुलना दूसरों से करना.
2. उम्मीद के मुताबिक चीजें न होना.
3. ये सोचना कि क्या हो सकता है.
4. ट्रेंड का मूल्यांकन करना.
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5. बेहतरी के बारे में अनुमान लगाना.
6. बीते कल व भविष्य को याद करना.
7. अपनी नवीनता को पहचानना.
8. खुद के काम को नंबर देना.
9. सुविधाओं का आकलन करना.
10. रोजाना के काम को नंबर देना.
जो बात सबसे ज्यादा खुशी देती है उसमें सबसे आगे हैं संतुष्टि. इसके अलावा व्यक्ति की खुशी उसकी आय और स्वास्थ्य भी प्रभावित करती है.
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45 से 55 साल के लोगों के सबसे ज्यादा तनाव में रहने और खुशी कम होने के पीछे का महत्वपूर्ण कारण हैं, उनकी जिम्मेदारियां. यह वो उम्र है, जिसमें किसी भी व्यक्ति के ऊपर सबसे ज्यादा जिम्मेदारियां होती हैं. विवाह के बाद का तनाव, बच्चों की जिम्मेदारी, जॉब की चिंता, परिवार को और खुद को वक्त ना दे पाना आदि.
जबकि 16 से 20 साल के युवा इन सभी जिम्मेदारियों से चिंतामुक्त होते हैं. इसलिए वो खुलकर जीते हैं. इसके अलावा उनके जीवन में स्पोर्ट्स का होना भी महत्वपूर्ण कारण है. वहीं 65 के बाद भी लोग अपनी सभी जिम्मेदारियों से मुक्त हो जाते हैं. ऐसे में वो भी ज्यादा खुश रहते हैं. जीवन में यदि खुशी का ग्राफ देखा जाए तो यू' शेप में ही बनता है. ठीक वैसा जैसा स्माइली का आकार होता है.