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करें पर्किंसंस रोग से बचने की तैयारी, खूब खाएं ये चीजें

पीडी केंद्रीय तंत्रिका तंत्र का एक आम क्रोनिक डिजेनरेटिव विकार है. यह बुढ़ापे की उम्र से गुजर रही आबादी की एक लाचार कर देने वाली बीमारी है, जो व्यक्ति की चलने-फिरने की क्षमता को प्रभावित करती है.

फोटो: Getty फोटो: Getty
रोहित
  • ,
  • 13 जून 2018,
  • अपडेटेड 10:24 PM IST

एक शोध में सामने आया है कि पर्किंसंस रोग (पीडी) शुरू करने में बैक्टीरियोफेज की एक निश्चित भूमिका हो सकती है. शोध में स्वस्थ लोगों की तुलना में रोगियों में लाइटिक लैक्टोकोकस फेगेस की मात्रा अधिक थी. इससे न्यूरोट्रांसमीटर उत्पादन करने वाले लैक्टोकोकस में 10 गुना कमी दर्ज हुई, जो संकेत देता है कि न्यूरोडिजेनरेशन में फेगेस की भूमिका होती है.

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पीडी केंद्रीय तंत्रिका तंत्र का एक आम क्रोनिक डिजेनरेटिव विकार है. यह बुढ़ापे की उम्र से गुजर रही आबादी की एक लाचार कर देने वाली बीमारी है, जो व्यक्ति की चलने-फिरने की क्षमता को प्रभावित करती है. इसीलिए इसे मूवमेंट डिसऑर्डर भी कहा जाता है. इससे दुनिया में एक करोड़ से अधिक लोग प्रभावित हैं और इससे प्रभावित मरीजों में एक प्रतिशत से अधिक 60 वर्ष से ऊपर के होते हैं.

एचसीएफआई के अध्यक्ष डॉ. के.के. अग्रवाल ने कहा, "जेनेटिक और पर्यावरणीय कारक पीडी के लिए जिम्मेदार हो सकते हैं. यह युवा और बुजुर्गो दोनों में हो सकती है. भारत में, इस स्थिति के बारे में बहुत कम जागरूकता है, जिसके कारण इसे समय पर इलाज नहीं मिल पाता है. पार्किं संस रोग के कुछ प्राथमिक लक्षणों में कंपकंपी, शरीर में जकड़न, सुस्ती और संतुलन बनाने में परेशानी प्रमुख है.

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एक और उन्नत चरण में, लोग चिंता, अवसाद और डिमेंशिया से पीड़ित हो सकते हैं. इस स्थिति का जल्द से जल्द निदान या पहचान करना और किसी न्यूरोलॉजिस्ट से परामर्श करना महत्वपूर्ण है, जो मूवमेंट से जुड़े विकारों में माहिर हों. केवल गंभीर मामलों में ही सर्जरी की सिफारिश की जाती है."

इस स्थिति के कुछ प्रमुख लक्षणों में हाथों, बाहों, पैरों, जबड़े और चेहरे पर कंपकंपी होना प्रमुख है. इसमें चाल धीमी होने के अलावा मरीज को चलने और संतुलन बनाने में परेशानी होती है.

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पर्किं संस के मरीजों को अपने आहार में फल, सब्जियां और लीन मीट शामिल करना चाहिए. इसके अलावा अगर आपको विटामिन की खुराक की आवश्यकता है, तो पहले अपने डॉक्टर से पूछ लें. इसके साथ ही व्यायाम और अच्छे आहार के साथ अपनी उम्र और ऊंचाई के हिसाब से अपना वजन बनाए रखें. फाइबर की जरूरत के लिए ब्रोकोली, मटर, सेब, सेम, साबुत अनाज वाली ब्रेड और पास्ता जैसे खाद्य पदार्थ लें. साथ पानी खूब पिएं.

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