भूटान, जहां शहर से बहुत दूर हैं शहर. (फोटो: रजत सैन)
अगर जंगल में कोई पेड़ गिरे, और वहां कोई न हो, तो क्या पेड़ के गिरने की आवाज होगी. (बौद्ध धर्म का एक कोआन) (फोटो: रजत सैन)
जब मौन, अभिव्यक्ति बन जाए तो कुछ भी असत्य नहीं कहा जा सकता. (फोटो: रजत सैन)
दूर ऊंचाई पर 'शेर का घोंसला'. कि पहाड़ों ने उसे भी एक पंछी बना दिया. टाइगर्स नेस्ट के नाम से मशहूर ये जगह पर्यटकों का काफी ध्यान आकर्षित करती है. (फोटो: रजत सैन)
बुद्धत्व. सोने सा शुद्ध. (फोटो: रजत सैन)
एक भिक्षु, जिसने खुद को खोया और इतना ऊंचा उठ गया (फोटो: रजत सैन)
अस्तित्व! शून्य से निकला, फिर शून्य बन गया. (फोटो: रजत सैन)
जब मौन, अभिव्यक्ति बन जाए तो कुछ भी असत्य नहीं कहा जा सकता. (फोटो: रजत सैन)
भुटान की राजधानी थिम्पू. यहीं पर साल 2006 में शुरू हुआ था बुद्धा की प्रतिमा बनाने का काम जो कि साल 2015 तक चला. इसे बनाने में करीब 350 करोड़ रुपए लगे. आज इसे देखने देश विदेश से आए लोगों का जमावड़ा लगा रहता है. (फोटो: रजत सैन)
ये बोधिसत्व की प्रतिमा है. माने वो इंसान जो बुद्ध के पथ पर चलने की ठान ले. बुद्ध की प्रतिमा के इर्द-गिर्द आपको कई सारे बोधिसत्व देखने को मिल जाएंगे. (फोटो: रजत सैन)
दुकान हो या हाईवे, भुटान के राजा-रानी की तस्वीर आपको हर जगह देखने को मिलेगी. लोगों को इनसे इतना प्यार है कि इनकी तस्वीरें अपने घर में भी फ्रेम करवा कर लगवाते हैं. (फोटो: रजत सैन)
ये भुटान का पारो शहर है. प्रकृति जितनी खूबसूरत जान पड़ती है, उतने ही यहां के लोग. शायद इसीलिए इस देश का हेपीनेंस इंडेक्स बड़े-बड़े देशों को मात देता है. (फोटो: रजत सैन)
2018 की जनगणना के मुताबिक पूरे भुटान में करीब 7.5 लाख लोग ही रहते हैं. जो कि भारत के एक व्यवस्थित शहर चंडीगढ़ से भी काफी कम है. यहां के लोग काफी शांत और सभ्य मालूम पड़ते हैं और यहां कायदे-कानून से चलने पर काफी जोर दिया जाता है. (फोटो: रजत सैन)