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क्यों अमेरिका से लेकर यूरोप तक दे रहा लोगों को अपने यहां मुफ्त में बसने का न्यौता? ये है शर्त

छोटे शहर को छोड़कर बड़ी जगह बसना चाहें तो जेब से काफी पैसे ढीले करने होते हैं. लेकिन क्या हो अगर हम कहें कि आप तो विदेश जा बसिए और खर्चा-पानी वहां की सरकार देगी! जी हां, इटली के बेहद खूबसूरत गांवों से लेकर कई अमेरिकी राज्य तक युवाओं को अपने यहां बसने का न्योता दे रहे हैं. बदले में उन्हें अच्छे-खासे पैसे मिलेंगे.

लोगों को अपने यहां बसने का आमंत्रण दे रहे अधिकतर देशों की इकनॉमी काफी मजबूत है. सांकेतिक फोटो (Pixabay) लोगों को अपने यहां बसने का आमंत्रण दे रहे अधिकतर देशों की इकनॉमी काफी मजबूत है. सांकेतिक फोटो (Pixabay)
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 04 जनवरी 2023,
  • अपडेटेड 2:25 PM IST

बहुत से कम आबादी वाले देशों में लोग गांव छोड़कर शहरों में जा बसे ताकि लोगों के करीब रह सकें. ऐसे में गांव के गांव खाली हो गए. वहां सड़कें और मकान तो हैं लेकिन किसी काम के नहीं. ऐसे में देश की सरकारें ऑफर दे रही हैं कि युवा लोग आएं और गांव एक बार फिर से बस सकें. मिसाल के तौर पर स्विटजरलैंड को ही लें. बहुत से लोगों का सपना होता है कि वे नेचुरल ब्यूटी के लिए मशहूर स्विस देश जरूर जाएं. वे इसपर भारी पैसे भी खर्चते हैं. लेकिन स्विस सरकार ही अपने कई क्षेत्रों में लोगों को बसने का ऑफर दे रही है. 

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वहां के ल्यूक जिले में आने वाले इलाके अल्बिनेन में फिलहाल लगभग 3 सौ लोग ही बाकी हैं, उनमें भी ज्यादातर बुजुर्ग हो चुके. कुल मिलाकर आबादी बढ़ने की संभावना भी बहुत कम है. यही वजह है कि ये स्विस टाउन लगभग 46 लाख रुपए देकर अपने यहां युवा जोड़ों को बसने के लिए बुला रहा है. 

कोरोना के बाद ये कंसेप्ट बढ़ा ही है क्योंकि अब भी बहुत सी कंपनियां कर्मचारियों को वर्क फ्रॉम होम दे रही हैं. इस मौके को खासकर युवा वर्केशन की तरह देख रहे हैं, यानी वर्क भी, और वेकेशन भी. वे अपना घर छोड़कर दूसरे राज्यों और देशों में भी मूव करने को तैयार हैं. बूढ़ी होती आबादी से जूझते देशों के लिए भी ये मौका है. वे पढ़े-लिखे और कमाते-खाते इन युवाओं से सुविधाओं का वादा करके अपने शहरों में बुला रही है. इन शहर-गांवों को जूम टाउन भी कहा जा रहा है क्योंकि लोग जूम कॉल पर ही आपस में कनेक्ट हो रहे हैं. 

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कोरोना के बाद से लोगों का वर्केशन पर जोर है, जिसमें काम के साथ छुट्टियां भी मन जाएं. सांकेतिक फोटो (Pixabay)

ये अकेली डील नहीं, बल्कि कई विकसित देश ऐसे ऑफर दे रहे हैं. जैसे अमेरिका की बात करें तो साल 2023 में अगर आप ओकलाहोम राज्य जाते हैं तो 10 हजार डॉलर मिलेगा. कंसास जाने पर 15 हजार डॉलर, जबकि टेनेसी में भी रिलोकेशन सपोर्ट प्रोग्राम चल रहा है. हालांकि इसमें कई शर्तें हैं और अमेरिकी लोगों को ही प्राथमिकता दी जाएगी. कुछ और शर्तें भी हैं, जैसे टेनेसी में उन्हीं को रहने मिलेगा, जो कंप्यूटर प्रोग्रामर या डेवलपर हों. ऐसा इसलिए कि वे इस स्किल को अपने यहां इस्तेमाल करना चाहते हैं.

बसने का आमंत्रण दे रहे देशों में स्पेन, इटली, चिली, मॉरिशस, ग्रीस और क्रोएशिया तक हैं. नया बिजनेस शुरू करने का जुनून हो तो आयरलैंड मुफीद जगह है. आयरिश सरकार इसके लिए फंडिंग भी देगी, बशर्तें कंपनी आयरलैंड में रजिस्टर्ड हो और दावेदार ये वादा कर सके कि वो कम से कम 10 लोगों को नौकरी दे सकता है. आयरलैंड के चूंकि ब्रिटेन और यूरोपियन यूनियन दोनों से ही संबंध हैं इसलिए स्टार्ट-अप को काफी फायदा मिल सकता है. कुल मिलाकर, लगभग सारा यूरोप आपको हमेशा-हमेशा के लिए बुला रहा है. 

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इटली के सिसली में बड़े मकान तो हैं, लेकिन काफी पुराने होने की वजह से इनका मेंटेनेंस बहुत भारी पड़ सकता है. सांकेतिक फोटो (Pixabay)

खाली पड़े इन कस्बे-गांवों में जाकर मुफ्त का घर और रिलोकेशन के पैसे यूं ही नहीं मिलेंगे, बल्कि इसकी अलग शर्तें हैं. जैसे लगभग सभी जगहों पर बसने से पहले कम से कम 10 साल तक वहीं रहने का वादा. साथ ही बसने की इच्छा जताने वाले की उम्र 30-35 से ज्यादा नहीं होनी चाहिए. परिवार बढ़ाने की इच्छा भी एक शर्त है. ऐसा इसलिए ताकि बूढ़ी हो रही आबादी वाले देशों में युवा, प्रोडक्टिव फोर्स बढ़ सके.

वैसे जितना समझ आ रहा है, यूरोपियन देशों में ये रिलोकेशन उतना भी आसान नहीं, बल्कि अच्छी-खासी मेहनत मांगता है और शायद काफी सारे पैसे भी. उदाहरण के लिए इटली के कई गांव 1 डॉलर में अपने यहां घर बेच रहे हैं. यानी लगभग 100 रुपए में आपको हवादार, बढ़िया घर मिल जाएगा. लेकिन जाने के बाद शायद आपको जोर का झटका लगे. 

इटली के घरों का ये सौदा आपको महंगा पड़ सकता है क्योंकि ये सैकड़ों साल पुराने घर हैं. वे तस्वीरों में भले सुंदर लगें लेकिन असल में ज्यादातर घरों की नींव तक कमजोर हो चुकी. मौसम की मार से दीवारें खराब हो गई हैं. यहां पानी और बिजली का बंदोबस्त भी काफी परेशान कर सकता है क्योंकि लोगों के काफी सालों पहले चले जाने के कारण वहां कोई सुविधा भी बाकी नहीं. बता दें कि 19वीं सदी के मध्य में काफी सारे यूरोपियन देश, खासकर इटली और फ्रांस की बड़ी आबादी अमेरिका चली गई. उनके घर-दुकान सब पीछे छूट गए. वंशजों ने भी उसपर कोई दावा नहीं किया और फिर सरकार ने कब्जा कर लिया. अब यही खाली पड़े मकान बेहद कम कीमत पर बेचे जा रहे हैं. 

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