एक्सपर्ट कहते हैं कि 20 साल की उम्र में महिलाएं सबसे ज्यादा फर्टाइल होती हैं. इसमें महिलाएं बड़ी आसानी से गर्भधारण कर सकती हैं. 20 की शुरुआत में और 20 की उम्र के बाद महिलाओं की प्रजनन क्षमता में अंतर लगभग शुन्य होता है. इस आयु वर्ग के दौरान गर्भावस्था के कुछ बेहतरीन फायदे हैं.
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आज के दौर में कुछ लोग एक निश्चित आयु के बाद फैमिली प्लानिंग को बेहतर मानते हैं. पर क्या आप जानते हैं कि फैमली प्लानिंग में उम्र एक बहुत बड़ा रोल अदा करती है. कॉन्सेप्शन साइकिल में पुरुष और महिला दोनों की उम्र महत्व रखती है. ये गर्भधारण, बच्चे के स्वास्थ्य और गर्भावस्था सभी के लिए महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है.
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चूंकि इस उम्र में महिलाओं के अंडों में कोई आनुवंशिक असामान्यताएं नहीं होती हैं. इसलिए, बच्चे में डाउन सिंड्रोम या कोई अन्य जन्म दोष होने की संभावना भी कम होती है.
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इस दौरान गर्भपात का खतरा कम होता है. इसके अलावा, समय से पहले बच्चा होना या जन्म के समय कम वजन वाला बच्चा होने की संभावना बहुत ही कम होती है. इस आयु में, मां को भी गेस्टेशनल डायबिटीज या हाई बल्ड प्रेशर जैसी किसी भी स्वास्थ्य संबंधी समस्या का खतरा बहुत ही कम होता है.
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पुरुषों की तुलना में महिलाओं की प्रजनन क्षमता- एक्सपर्ट के अनुसार, उम्र के साथ-साथ पुरुषों और महिलाओं की प्रजनन क्षमता का एक-दूसरे के शरीर पर अलग-अलग प्रभाव पड़ता है. महिलाओं में अंडों की एक सीमित संख्या होती है. ये सभी अंडे अंडाशय में होते हैं. इससे ये कहा जा सकता है कि उम्र के साथ पुरुषों की तुलना में महिलाओं की प्रजनन क्षमता ज्यादा तेजी से कम होती है.
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इस चरण के कुछ नुकसान भी हैं. पहली गर्भावस्था के दौरान प्री-एक्लेमप्सिया (एक प्रकार का प्रेगनेंसी कॉम्प्लीकेशन) का खतरा अधिक होता है. यदि किसी महिला को पीसीओडी या गर्भाशय संबंधी समस्याएं है, तो गर्भावस्था में दिक्कत हो सकती है.
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30 की उम्र में प्रजनन क्षमता- जीवन के इस चरण के दौरान यदि कोई महिला गर्भधारण करना चाहती है तो उसके गर्भधारण की संभावना 15 से 20 प्रतिशत प्रति माह बनी रहती है. लेकिन, अगर महिला को कोई स्वास्थ्य संबंधी समस्या है, तो ये संभावना और कम हो जाती है. 35 वर्ष की आयु में महिलाओं में गर्भधारण करने की क्षमता स्वाभाविक रूप से कम हो जाती है. ऐसा शरीर में अंडे की मात्रा और क्वालिटी में गिरावट के कारण होता है.
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इस उम्र में गर्भधारण करने से कई समस्याएं हो सकती हैं. इसमें सी-सेक्शन यानी सिजेरियन डिलिवरी की अधिक संभावनाएं होती हैं. नवजात शिशु में जेनेटिक समस्याओं का खतरा अधिक होता है. महिलाओं में गर्भपात और स्टिलबर्थ का खतरा अधिक होता है. इसके अलावा, एक्टोपिक प्रेगनेंसी का खतरा भी बढ़ जाता है.
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40 या उसके बाद में प्रजनन क्षमता- इस आयु वर्ग में, फर्टिलिटी एक्सपर्ट, गर्भधारण की संभावना को पूरी तरह से खारिज नहीं करते हैं. एक्सपर्ट्स के अनुसार, महिलाओं में प्रत्येक ओव्यूलेटरी साइकिल के दौरान, गर्भावस्था दर 40 और 44 के बीच 5 प्रतिशत तक गिर जाती है, जबकि 45 से अधिक की उम्र में इसमें 1 प्रतिशत की कमी आती है.
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सीडीसी के अनुसार, दुनिया भर में आधी महिलाएं 40 की उम्र के बाद प्रजनन संबंधी समस्याओं से गुजरती हैं. इस दौरान भी गर्भधारण में वही समस्याएं आती हैं जो 30 की उम्र में होती हैं. लेकिन, एक्सपर्ट्स का मानना की किसी को उम्मीद नहीं छोड़नी चाहिए.
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