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युद्ध क्षेत्र में यौन हिंसा के खिलाफ लड़ेंगे नाटो, एंजेलिना

संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी उच्चायुक्त की विशेष दूत एंजेलिना जोली ने बुधवार को उत्तर अटलांटिक संधि संगठन (नाटो) के महासचिव जेन्स स्टॉल्टेनबर्ग से मुलाकात की और वे युद्ध क्षेत्रों में यौन हिंसा के खिलाफ मुकाबला करने के लिए साथ मिलकर काम करने पर सहमत हो गए हैं.

युद्ध क्षेत्र में यौन हिंसा युद्ध क्षेत्र में यौन हिंसा
प्रज्ञा बाजपेयी
  • नई दिल्ली,
  • 09 फरवरी 2018,
  • अपडेटेड 5:22 PM IST

संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी उच्चायुक्त की विशेष दूत एंजेलिना जोली ने बुधवार को उत्तर अटलांटिक संधि संगठन (नाटो) के महासचिव जेन्स स्टॉल्टेनबर्ग से मुलाकात की और वे युद्ध क्षेत्रों में यौन हिंसा के खिलाफ मुकाबला करने के लिए साथ मिलकर काम करने पर सहमत हो गए हैं. जेन्स ने कहा कि नाटो न सिर्फ सैन्य खतरों के खिलाफ सुरक्षा प्रदान करने वाला गठबंधन है, बल्कि लोकतंत्र, व्यक्तिगत स्वंतत्रता, कानून के शासन और संयुक्त राष्ट्र के चार्टर के मौलिक मूल्यों पर आधारित एक राजनीतिक गठबंधन भी है, इसलिए महिलाओं के अधिकारों की रक्षा करना नाटो की जिम्मेदारी है.

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समाचार एजेंसी सिन्हुआ ने स्टॉल्टेनबर्ग के हवाले से बताया, विशेष दूत जोली और मैंने साथ मिलकर काम करने का फैसला किया है. हम तीन बातों -प्रशिक्षण, निगरानी एवं रिपोर्टिग और जागरूकता- पर फोकस कर रहे हैं.

उन्होंने कहा कि नाटो ने कोसोवो और अफगानिस्तान में सैन्य अभियानों के दौरान पहले से ही लैंगिक सलाहकार तैनात कर रखे थे.

ब्रसेल्स के नाटो मुख्यालय का पहली बार दौरा करने वाली जोली ने निंदा करते हुए कहा कि युद्ध क्षेत्रों में महिलाओं और बच्चों के खिलाफ यौन हिंसा का इस्तेमाल दुनियाभर में हिंसा और असुरक्षा का प्रमुख कारण बन गया है. सैन्य या राजनीतिक लक्ष्यों को हासिल करने के लिए दुष्कर्म को युद्ध के हथियार के रूप में बदल दिया गया है.

स्टॉल्टेनबर्ग ने कहा कि नाटो को अपराध के इन सबसे अंधेरे चेहरों पर जरूर रोशनी डालनी चाहिए.

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जोली, जो युद्ध क्षेत्रों की महिलाओं की मानवीय मदद के मामले में 16 वर्षों से सक्रिय हैं, उन्होंने यौन हिंसा की शिकार महिलाओं, बच्चों, पुरुषों और लड़कों की दर्दभरी दास्तां सुनी.

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