
कोरोना वायरस का दहशत पूरी दुनिया में फैल चुका है. भारत में भी इसके आंकड़े लगातार बढ़ते जा रहे हैं. भारत में कोरोना वायरस से पीड़ित लोगों की संख्या 100 से ज्यादा हो गई है. कई राज्यों ने कोरोना को महामारी घोषित कर दिया है. विश्व स्वास्थ्य संगठन से लेकर सीडीसी (Centers for Disease Control and Prevention) की तरफ से लोगों को कई सावधानियां बरतने की विशेष सलाह दी जा रही है.
कोरोना वायरस की चपेट में बच्चों से लेकर बुजुर्ग तक आ जा रहे हैं. ऐसे में सबसे ज्यादा चिंता में प्रेग्नेंट महिलाएं हैं. उनके मन में कोरोना वायरस को लेकर कई तरह के सवाल उठ रहे हैं जैसे कि क्या प्रेग्नेंसी में कोरोना वायरस के संक्रमण का खतरा ज्यादा बढ़ जाता है? या अगर मां को कोरोना वायरस है तो क्या होने वाला बच्चे भी इसका शिकार हो सकता है?
क्या प्रेग्नेंट महिलाओं में कोरोना वायरस का खतरा ज्यादा है?
सीडीसी का कहना है कि अभी इस बात को लेकर कोई पुख्ता जानकारी सामने नहीं आई है कि प्रेग्नेंट महिलाओं में आम लोगों के मुकाबले कोरोना वायरस होने का खतरा ज्यादा है या नहीं. हालांकि प्रेंग्नेसी के दौरान महिलाओं के शरीर में कई तरह के हार्मोनल बदलाव होते हैं, इसलिए उन्हें कोई भी इंफेक्शन या फ्लू आसानी से हो सकता है. इसलिए प्रेग्नेंसी में महिलाओं को स्वास्थ्य पर ज्यादा ध्यान देने की सलाह दी जाती है.
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क्या प्रेग्नेंट महिला से भ्रूण या नवजात में जा सकता है वायरस?
लंदन में एक नवजात बच्चे को कोरोना वायरस हो गया है. सबसे कम उम्र में संक्रमण का यह पहला मामला है. हालांकि बच्चा अब खतरे से बाहर है. डॉक्टर इस बात का पता लगाने की कोशिश कर रहे हैं कि बच्चा गर्भ में ही कोरोना से संक्रमित हो गया था या पैदा होने के बाद इसका शिकार हुआ है.
सीडीसी की एक रिपोर्ट में लिखा गया है कि अभी तक के मामलों में कोरोना वायरस से पीड़ित जिन महिलाओं ने जन्म दिया है, उनके बच्चों को कोरोना वायरस नहीं था. साथ ही मां के दूध में भी ये वायरस नहीं पाया गया है.
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कोरोना वायरस से खुद को कैसे बचाएं प्रेग्नेंट महिलाएं?
कोरोना वायरस के संक्रमण से बचने के लिए प्रेग्नेंट महिलाओं को कुछ खास बातों का ध्यान रखना चाहिए. खांसी के दौरान अपने मुंह को ढक कर रखें. टिश्यू ना होने पर खांसी के समय अपने हाथ की बाजू से मुंह ढकें. बीमार लोगों से बिल्कुल भी न मिलें. भीड़ वाली जगहों पर ना जाएं.
समय-समय पर हाथ धोते रहें और सैनिटाइजर का इस्तेमाल करते रहें. सावधानी रखें लेकिन घबराएं नहीं क्योंकि स्ट्रेस आपके बच्चे के लिए घातक हो सकता है.