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कर्नाटक हाई कोर्ट का फैसला, गृहणियां भी करती हैं कामकाजी महिला जैसा काम

पति ने कोर्ट में अपनी पत्नी के गृहणी होने का तर्क दिया था और कहा कि उसके पास फ्लाइट की जगह ट्रेन से सफर करने के लिए पूरा समय है.

गृहणियां भी करती हैं काम गृहणियां भी करती हैं काम
प्रज्ञा बाजपेयी
  • नई दिल्ली,
  • 04 मई 2018,
  • अपडेटेड 7:48 PM IST

अधिकतर पति यही सोचते हैं कि गृहणी महिलाओं के पास कोई काम नहीं होता है और वे घर पर बैठकर आराम करती हैं. कर्नाटक हाईकोर्ट ने इसी सोच के खिलाफ गृहणी महिलाओं के पक्ष में एक फैसला सुनाया है. एक केस की सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा कि गृहणियां भी किसी कामकाजी महिला से कम काम नहीं करती.

दरअसल बेंगलुरु के गौरव राज जैन ने फैमिली कोर्ट के अपने ही एक फैसले को हाई कोर्ट में चुनौती दी थी. गौरव का कोर्ट में तलाक का केस चल रहा है. फैमिली कोर्ट ने उनकी पत्नी श्वेता को तलाक केस की सुनवाई के लिए मुजफ्फरनगर से बेंगलुरु आने के लिए फ्लाइट का किराया 32,114 रुपये देने का आदेश दिया था.

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इस पर गौरव ने कोर्ट में अपनी पत्नी के गृहणी होने का तर्क दिया और कहा कि उसके पास फ्लाइट की जगह ट्रेन से सफर करने के लिए पूरा समय है. उनकी इस याचिका को हाई कोर्ट ने खारिज कर दिया.

जज जस्टिस राघवेंद्र एस चौहान ने कहा कि ये लोगों को गलतफहमी है कि गृहणियों के पास काम नहीं होता. उन्होंने कहा, कि गृहिणी किसी कामकाजी व्यक्ति के बराबर ही काम रहती है. अपने परिवार की पूरी जिम्मेदारी गृहिणी पर होती है. जज ने ये भी कहा कि पति को कोई हक नहीं कि वो तय करे कि पत्नी किस साधन से यात्रा करेगी.

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