Advertisement

इस देश में महिलाओं से ज्यादा कमाना हुआ कानूनन अपराध

दरअसल आइसलैंड सरकार ने यह फैसला पिछले साल विश्व महिला दिवस के दिन (8 मार्च) को लिया था. इस साल 1 जनवरी 2018 से यह कानून आइसलैंड में लागू हो चुका है.

प्रतीकात्मक तस्वीर प्रतीकात्मक तस्वीर
रोहित
  • नई दिल्ली,
  • 06 जनवरी 2018,
  • अपडेटेड 5:19 PM IST

हमें सुनने में अटपटा भले लगता हो लेकिन यह बिल्कुल सच है. आइसलैंड की सरकार ने यह फैसला लिया है कि सभी कम्पनियां अपने कर्मचारियों को बराबर सैलरी देंगी. वैसे इसमें अटपटा कुछ है नहीं लेकिन हमें इसलिए लगता है क्योंकि हमारे यहां महिलाओं को पुरुषों के मुकाबले कम भुगतान किया जाता है. हालांकि एक ही पद पर काम करने वाले पुरुष और महिला की सैलरी में ये अंतर क्यों होता है ये तो देने वाले ही बता सकते हैं.

Advertisement

दरअसल आइसलैंड सरकार ने यह फैसला पिछले साल विश्व महिला दिवस के दिन (8 मार्च) को लिया था. इस साल 1 जनवरी 2018 से यह कानून आइसलैंड में लागू हो चुका है. आइसलैंड की सरकार के अनुसार, 25 या इससे अधिक कर्मचारियों की कम्पनियों को बराबर सैलरी देने वाले कागजात दिखाने होंगे. अगर महिला और पुरुष की सैलरी में अंतर पाया गया तो कम्पनी पर भारी जुर्माना लगेगा.

आइसलैंड ने यह कदम लिंग के आधार पर सैलरी में भेदभाव को पूरी तरह खत्म करने के उद्देश्य से लागू किया है. आपको बता दें कि वर्ल्ड इकनॉमिक फोरम की सूची में महिलाओं के अधिकारों का ख्याल रखने के मामले में आइसलैंड पिछले 9 सालों से टॉप पर है.

गौरतलब है यूरोप और यूके में पुरुषों के महिलाओं के मुकाबले 16.9 प्रतिशत का अंतर सैलरी में है. वहीं अपने देश में 2017 के आंकड़ों के मुताबिक यह अंतर 25 प्रतिशत का है.   

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement