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ये हैं 'ग्रीन लेडी ऑफ बिहार', जिसे कहते हैं पर्यावरण का पहरेदार

कहते हैं जिसमें हिम्मत और जीवन में कुछ भी कर गुजरने का जज्बा हो तो उसके लिए कोई भी काम नामुमकिन नहीं होता है. उसी हिम्मत और हौसले की जीती जागती मिसाल बन गई हैं बिहार की जया देवी.

जया देवी जया देवी
प्रज्ञा बाजपेयी
  • नई दिल्ली,
  • 19 दिसंबर 2017,
  • अपडेटेड 4:55 PM IST

कहते हैं जिसमें हिम्मत और जीवन में कुछ भी कर गुजरने का जज्बा हो तो उसके लिए कोई भी काम नामुमकिन नहीं होता है. उसी हिम्मत और हौसले की जीती जागती मिसाल बन गई हैं बिहार की जया देवी. जया बिहार के नक्सल प्रभावित मुंगेर जिले के धरहरा प्रखंड के बंगलवा गांव की रहने वाली हैं. चौथी क्लास तक पढ़ने वाली जया देवी आज अपने कामों की बदौलत न केवल दूसरों के लिए मिसाल बनी हैं, बल्कि लोग आज उनको पर्यावरण का पहरेदार तक मानते हैं. मुंगेर में उनकी पहचान आज 'ग्रीन लेडी ऑफ बिहार' की है.

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जया देवी 34 वर्ष की हैं. उन्हें बचपन से ही पढ़ाई का बहुत शौक था, लेकिन उनके गांव में लड़कियों को ज्यादा पढ़ने लिखने की अनुमति नहीं दी जाती थी बल्कि कम उम्र में ही उनकी शादी कर दी जाती थी, ऐसा ही कुछ जया के साथ भी हुआ.

जया की शादी सरादि गांव के एक लड़के के साथ मात्र 12 वर्ष की आयु में हो गई थी और उसके बाद उनके पति मुंबई कमाने चले गए थे. इसके बाद जब उनके पिता का देहांत हो गया, तो वह भी अपने मायके चली आई. इस बीच उनका परिवार बढ़ता गया. उनका पारिवारिक जीवन तो जरूर खुश था, परंतु संपूर्ण तौर पर वो अपनी जिंदगी से खुश नहीं थी और समाज के लिए कुछ करना चाहती थी.

नक्सल प्रभावित इलाका रहने के कारण लोग किसी भी अन्याय के खिलाफ आवाज नहीं उठा पाते थे. जया ने तब सोचा कि अगर आवाज नहीं उठाई गई तो लड़कियों और महिलाओं का इसी तरह शोषण होता रहेगा. जिसके बाद जया देवी ने सबसे पहले स्वयं सहायता समूह के काम करने के तरीके के बारे में 15 दिन का प्रशिक्षण लिया और लोगों को बचत करना सिखाने लगी. प्रारंभ में उन्होंने महिलाओं को प्रतिदिन एक मुट्ठी अनाज बचाने के लिए जागरूक किया था. इस कार्य के बाद जया के साथ कई महिलाएं जुड़ती गई और फिर सप्ताह में पांच रुपये बचाने का निर्णय लिया गया.

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यही नहीं जया ने गांव में शिक्षा का प्रसार करने के लिए साक्षरता अभियान भी चलाया. इसके लिए उन्होंने अखबारों और प्रचार के दूसरे तरीकों के जरिए लोगों से बच्चों की पुरानी किताबें मांगी और उन किताबों को गांव के बच्चों के बीच बांटने का काम किया. इस दौरान उन्होंने गांवों में शिक्षा के प्रति जागरूकता लाया.

हर साल सूखे के कारण फसलों के बर्बाद होने से परेशान किसानों के लिए भी जया ने कई काम किए. उन्होंने एग्रीकल्चर टेक्नोलॉजी मैनेजमेंट एजेंसी के गवर्निंग सदस्यों को बारिश के पानी को बचाने की सलाह दी तथा बंजर जमीन पर पेड़ लगाने के लिए कहा. इसके बाद जया ने 'रेन वटर हार्वेस्टिंग' का प्रशिक्षण भी प्राप्त किया. जया देवी ने कई योजनाओं के तहत अन्य गांवों में भी बारिश का पानी बचाने के लिए तालाब, चेक डैम व पत्थरमिट्टी के अवरोध बांध भी बनवाए.

ये हैं जया की उपलब्धियां

'ग्रीन लेडी' के नाम से चर्चित मुंगेर की जया आज राष्ट्रीय स्तर पर चर्चित हैं. जया को पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने विज्ञान भवन में आयोजित समारोह में साल 2016-17 का नेशनल लीडरशिप अवार्ड से सम्मानित किया था. जया को भारत सरकार द्वारा राष्ट्रीय युवा पुरस्कार से भी नवाजा गया है और दक्षिण कोरिया में आयोजित युवा कार्यकर्ता प्रशिक्षण कार्यक्रम में उन्हें भारत का प्रतिनिधित्व करने का मौका भी मिला है.

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