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समय से पहले जन्मे बच्चों में हो सकता है इस बीमारी का खतरा...

प्री-मेच्योर बच्चे कई बार मां के खराब स्वास्थ्य के कारण या फिर किसी मेडिकल एमरजेंसी के कारण होते हैं. ऐसे में बच्चे सामान्य बच्चों की तुलना में कम वजन के साथ पैदा होते हैं. ऐसे बच्चों को भविष्य में 'ओस्टियोपेनिया' का खतरा होने की संभावना होती है.

प्री-मेच्योर बच्चों में स्वस्थ संबंधी कई समस्याएं देखी जा सकती हैं प्री-मेच्योर बच्चों में स्वस्थ संबंधी कई समस्याएं देखी जा सकती हैं
वन्‍दना यादव
  • न्‍यूयार्क,
  • 17 जुलाई 2016,
  • अपडेटेड 4:35 PM IST

समय से पहले पैदा हुए कम वजन वाले प्री-मेच्योर शिशुओं (वीएलबीडब्ल्यू) को भविष्य में 'ओस्टियोपेनिया' होने का खतरा होता है. इसमें बच्चों की हड्डियां कमजोर (ओस्टियोपेनिया) हो जाती हैं और इनके भविष्य में टूटने का खतरा बना रहता हैं. यह निष्कर्ष एक नए शोध सामने आया है.

इस शोध के निष्कर्ष निकालने के लिए 34 वीएलबीडब्ल्यू बच्चों पर शोध किया गया. शोध के शुरुआत में सभी शिशुओं के औसत बोन मास की तुलना की गई. इस दौरान सभी समूहों में इसमें कमी पाई गई हालांकि सभी बच्चों के वजन में बढ़ोतरी देखी गई.
वहीं जिन 13 शिशुओं ने रोजाना दो बार व्यायाम किया उनके बोन मास में होने वाली कमी की दर बेहद कम देखी गई. वहीं बाकी बचे जिन 12 शिशुओं ने रोजाना एक बार कसरत की या जिन्हें अलग रखा गया, उनके बोन मास में कमी की दर पहले समूह की तुलना में अधिक देखी गई.

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तेल-अवीव यूनिवर्सिटी के इता लितमानोवित्ज ने कहा, 'हमारा अध्ययन यह दर्शाता है कि वीएलबीडब्ल्यू शिशुओं में बोन मास का संबंध व्यायाम से है और इस पर अधिक शोध की जरूरत है.' इस शोध को पत्रिका ‘कैल्सिफाइड टिशू इंटरनेशनल एंड मस्क्यूलोस्केलेटल रिसर्च’ में प्रकाशित किया गया है.

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