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अब गमले में उगाइए सोलर ट्री और दूर कीजिए बिजली की किल्लत

यूं तो सोलर पैनल लगाने के लिए काफी जगह चाहिए होती लेकिन इस तकनीकी की मदद से आप कम जगह में ज्यादा एनर्जी प्राप्त कर सकते हैं.

सोलर ट्री सोलर ट्री
संजय शर्मा
  • नई दिल्ली,
  • 22 जुलाई 2016,
  • अपडेटेड 6:46 PM IST

गर्मी में तो यूं भी बिजली की कमी कुछ ज्यादा ही खलती है. बैकअप पर बिजली मिल तो जाती है लेकिन इतनी महंगी कि बल्ब जलाने में भी डर लगता है. इस डर को दूर करने का सबसे बेहतरीन विकल्प है सोलर एनर्जी.

आप सोच रहे होंगे कि सोलर पैनल लगाने के लिए तो काफी जगह की जरूरत होगी और आज के समय में जगह की ही तो सबसे ज्यादा कमी है. पर अब घबराने की जरूरत नहीं है. आप चाहें तो गमले के साइज में भी सोलर पैनल लगा सकते हैं. या यूं कहें कि सोलर ट्री उगा सकते हैं. डेढ़ फुट के गमले में आप ये सोलर ट्री आसानी से उगा सकते हैं.

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विज्ञान और तकनीकी मंत्री डॉ हर्षवर्धन ने बताया कि औद्योगिक अनुसंधान परिषद और सीएमईआरआई के वैज्ञानिकों के अथक प्रयास से ही ये तकनीक विकसित हो सकी है. वैज्ञानिक डॉक्टर एस मैती की अगुआई में वैज्ञानिकों की एक टीम ने इस सोलर ट्री को बनाया है. इसकी मदद से कम जगह में ज्यादा से ज्यादा सोलर एनर्जी प्राप्त की जा सकती है.

कोलकाता के दो युवकों ने ये तकनीक सरकार से हासिल की और इसका व्यावसायिक उत्पादन शुरू किया. स्टार्ट अप इंडिया और डिजिटल इंडिया के तहत vibes solar solution india LLP ने सस्ते सोलर प्रोडक्ट भी तैयार किये हैं ताकि गांव कस्बों और शहरों तक सौर ऊर्जा को आसानी से उपलब्ध कराया जा सके.

यूं तो सोलर पैनल लगाने के लिए काफी जगह चाहिए होती लेकिन इस तकनीकी की मदद से आप कम जगह में ज्यादा एनर्जी प्राप्त कर सकते हैं.

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ये हैं वो वजहें जिनसे कम जगह में मिलती है ज्यादा एनर्जी:

- आमतौर पर पारंपरिक सौर ऊर्जा की एक SPV (solar photo voatic) प्लेट लगाने में प्रति किलो वॉट के लिए 100-125 स्क्वायर फीट जमीन की जरूरत होती है. इतनी जमीन की कीमत करोड़ों रुपये होती है. जबकि इस सोलर प्लांट को 1.5X1.5 फुट की जगह में ही फिट किया जा सकता है.

- पारंपरिक सोलर पार्क में एक किलोवाट ऊर्जा के लिए प्लेट लगाने की लागत 75 से 80 हजार रुपये आती है. हालां‍कि सोलर ट्री की लागत करीब एक लाख पंद्रह हजार से सवा लाख रुपये तक आती है लेकिन ये नहीं भूलना चाहिए कि इससे करोड़ों रूपये की जमीन की बचत होती है. जिसे दूसरे कामों के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है.

- इसका रखरखाव काफी आसान है. इसे बनाने वालों ने इस पेड़ के मूल तने पर एक फव्वारा भी लगाया है. इसे पानी के पाइप से जोड़ देने पर फुहारें सभी प्लेटों की सफाई भी कर देती हैं.

फिलहाल, सरकार इन सोलर ट्रीज की श्रृंखला को देश की नदियों के घाटों पर लगाने की योजना बना रही है. ताकि सौर ऊर्जा से घाट रोशन हो सकें. इसके अलावा इस ऊर्जा से मोटर बोट भी चलाई जा सकती हैं. ऐसा हो जाने पर मोटर बोट मालिकों को भी काफी सहूलियत हो जाएगी और वो कभी भी अपनी मोटर बोट चार्ज कर पाएंगे. इस सोलर पैनल के रख-रखाव के लिए एक किट है जिससे ये पूरी तरह सुरक्षित रहेगी.

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इस पूरी परियोजना पर डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट तैयार की जा रही है.

आने वाले समय में विज्ञान और तकनीकी मंत्रालय के बाद जल्दी ही कई सरकारी, पीएसयू और निजी कॉर्पोरेट ऑफिसों के अलावा स्कूल, कॉलेज और रेजिडेंशियल सोसाइटीज इस सोलर ट्री से जगमगाएंगे. इससे पर्यावरण को भी बहुत फायदा होगा.

CSIR और CMERI की इस साझा विकसित तकनीक के व्यावसायिक उत्पादक अमित नरसरिया का दावा है कि ये पूरी तरह से देसी तकनीक है. दुनिया में इस किस्म का ये पहला प्रयोग है जिसमें पेड़ की तरह सोलर प्लेट्स लगी हैं. मतलब, कम जगह में अधिकतम एनर्जी.

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