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अबॉर्शन के बाद ये दिक्कतें होना खतरे की घंटी, तुरंत जाएं डॉक्टर के पास

सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में साफ किया कि महिला की वैवाहिक स्थिति जो भी हो, उसे सुरक्षित और कानूनी तरीके से अबॉर्शन कराने का अधिकार है. किसी महिला से 24 सप्ताह के गर्भ का अबॉर्शन कराने का अधिकार सिर्फ इसलिए नहीं छीना जा सकता है क्योंकि वो विवाहित नहीं है.

अबॉर्शन कराने के बाद भी कई बातों का ध्यान देना जरूरी (प्रतीकात्मक तस्वीर- गेटी) अबॉर्शन कराने के बाद भी कई बातों का ध्यान देना जरूरी (प्रतीकात्मक तस्वीर- गेटी)
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 29 सितंबर 2022,
  • अपडेटेड 8:43 PM IST

भारत में आज भी शादी होते ही महिलाओं के लिए बच्चा पैदा करना जिंदगी का सबसे जरूरी काम बन जाता है, भले ही उसका मन या उसका शरीर इसकी इजाजत ना दे. कई बार उसे अपनी मर्जी से नहीं बल्कि पूरे परिवार की ख्वाहिश की वजह से मां बनना पड़ता है. वहीं, अगर किसी स्थिति में महिला को अबॉर्शन कराना पड़े तो इसके लिए भी उसे उसे पूरे परिवार की मंजूरी लेनी पड़ती है. अगर कोई महिला शादी से पहले प्रेग्नेंट हो जाए तो ये उसके कोई जिंदगी की सबसे डरावनी स्थिति होती है. उसे अबॉर्शन के लिए कई चोर दरवाजे ढूंढ़ने पड़ते हैं. कई बार समाज और परिवार के डर से खुद से अबॉर्शन करने से लड़कियों की जान भी खतरे में पड़ जाती है. लेकिन गर्भावस्था और अबॉर्शन पर सुप्रीम कोर्ट के आज के ऐतिहासिक फैसले के बाद समाज में महिलाओं की स्थिति बदलने की उम्मीद की जा सकती है. गर्भावस्था और अबॉर्शन पर सुप्रीम कोर्ट ने साफ कर दिया है कि महिला शादीशुदा हो या न हो, उसे अबॉर्शन कराने का अधिकार है. 

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अदालत ने कहा कि महिला की वैवाहिक स्थिति जो भी हो, उसे सुरक्षित और कानूनी तरीके से अबॉर्शन कराने का हक है. कोर्ट ने कहा कि एक महिला से 24 सप्ताह के गर्भ को गर्भपात कराने का अधिकार सिर्फ इसलिए नहीं छीना जा सकता है क्योंकि वह विवाहित नहीं है. जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस एएस बोपन्‍ना और जस्टिस जेबी पारदीवाला की बेंच ने कहा कि ऐसा करना संविधान के अनुच्छेद 14 का उल्लंघन होगा. 

जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस एएस बोपन्ना की बेंच ने ये फैसला दिया. अदालत ने ये भी कहा कि मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेग्नेंसी कानून में विवाहित और अविवाहित महिला में अंतर नहीं किया गया है. सुप्रीम कोर्ट के फैसले का मतलब है कि अब अविवाहित महिलाओं को भी 24 हफ्ते तक अबॉर्शन का अधिकार मिल गया है.

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ऐसे शुरू हुआ ये मामला

सुप्रीम कोर्ट में यह मामला इस साल जुलाई में पहुंचा था. 23 हफ्ते की गर्भवती अविवाहित महिला ने दिल्ली हाई कोर्ट के आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था. उसने कहा था कि हाई कोर्ट ने यह कहते हुए गर्भपात की अनुमति देने से मना कर दिया है कि नियमों के तहत सिर्फ विवाहित महिलाओं को ही इसका अधिकार दिया गया है.

प्रेग्नेंसी के 24 हफ्ते तक है अबॉर्शन की अनुमति

देश में अबॉर्शन पर साल 1971 में कानून बना था. तब प्रेग्नेंसी के 20 हफ्ते तक अबॉर्शन कराया जा सकता था. 2021 में इस कानून में संशोधन किया गया था जिसके बाद इस समय-सीमा को 20 हफ्ते से बढ़ाकर 24 हफ्ते कर दिया गया था. यानी प्रेग्नेंसी के 24 हफ्ते तक अबॉर्शन कराया जा सकता है. 

हालांकि कानून में कुछ स्थितियों में 24 हफ्ते बाद भी अबॉर्शन की अनुमति दी गई थी. कानून में कहा गया कि ऐसा उस स्थिति में हो सकता है जब महिला या बच्चे के मानसिक या शारीरिक स्वास्थ्य को किसी तरह का खतरा हो, लेकिन इसके लिए मेडिकल बोर्ड की मंजूरी जरूरी होगी.

अब तक 24 हफ्ते तक अबॉर्शन कराने की कानूनी मान्यता थी. लेकिन इस स्थिति में अविवाहित महिलाओं को अबॉर्शन कराने की इजाजत नहीं थी. अब सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद सहमति से संबंध बनाने के बाद कोई महिला गर्भवती होती है तो वो 24 हफ्ते तक अबॉर्शन करवा सकती है, फिर चाहे वो शादीशुदा हो या न हो. अबॉर्शन को लेकर अविवाहित महिलाओं के लिए कानूनी अड़चन का हटना राहत की बात है लेकिन इसके बावजूद गर्भपात के मामले में महिलाओं को कई और बातों को लेकर सतर्क रहने की जरूरत है. आइए जानते हैं अबॉर्शन के बाद और साइड इफेक्ट्स को लेकर महिलाओं को कौन सी सावधानियां बरतने की जरूरत है.

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गर्भपात के बाद महिलाएं क्या-क्या बरतें सावधानी 

दवाइयों (मेडिकल) और सर्जकिल दोनों तरह के अबॉर्शन के बाद महिलाओं को खास सावधानी बरतने की जरूरत होती है. हालांकि मेडिकल अबॉर्शन में महिलाओं को सर्जिकल अबॉर्शन के मुकाबले कई दिनों तक ब्लीडिंग होती है. ये एक हफ्ते से लेकर 10 दिन तक हो सकती है. वहीं, पेट और कमर में दर्द, उल्टी, ब्रेस्ट पेन, ठंड लगना, चक्कर आना, डायरिया और वैजाइनल डिस्चार्ज जैसे कुछ सामान्य लक्षण मेडिकल और सर्जकिल दोनों तरह के अबॉर्शन में दिखाई देते हैं. 

अबॉर्शन के हल्के साइड इफेक्टस से ऐसे निपटें
मेडिकल और सर्जिकल दोनों प्रकार के अबॉर्शन से होने वाले हल्की-फुल्की समस्याओं से आप घर बैठकर भी निपट सकती हैं जैसे अगर आपको पेट या उसके निचले हिस्से में दर्द हो रहा है तो आप हीटिंग पैड या बोतल में गर्म पानी भरकर उससे दर्द वाले अंगों की सिकाई कर सकते हैं. आप दर्द से राहत के लिए घर पर मौजूद पेन किलर जैसे इबुप्रोफेन या एसिटामिनोफेन (टाइलेनॉल) जैसी दवाएं ले सकती हैं. अगर आपको ऐंठन हो रही है तो उस जगह की मालिश करें. ब्रेस्ट में दर्द होने पर टाइट-फिटिंग ब्रा पहन सकती हैं. अगर उल्टी या दस्त हों तो खूब पानी, चाय, कॉफी और हॉट लिक्विड डाइट लें. अपने दोस्त या परिवार के लोगों के पास रहें ताकि जरूरत पड़ने पर वो आपकी मदद के लिए तैयार रहें.

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वहीं, अगर किसी महिला को अबॉर्शन के बाद गंभीर समस्याएं होती है तो इससे उसे जान का खतरा भी हो सकता है. यहां हम आपको बताएंगे कि गर्भपात के बाद अगर किसी महिला में ये संकेत नजर आएं तो उसे बिना देर किए तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए. 

हेवी ब्लीडिंग
अबॉर्शन के बाद थोड़ी बहुत ब्लीडिंग सभी महिलाओं को होती है और ये चार-पांच दिन से लेकर दो सप्ताह तक हो सकती है. कई बार ब्लीडिंग पीरियड्स में होने वाले ब्लड फ्लो की तरह भी होती है लेकिन अगर ब्लीडिंग बहुत ज्यादा हो तो आपको तुरंत डॉक्टर को दिखाना चाहिए. अबॉर्शन के दौरान किसी तरह की इंजरी हो जाने या गर्भ में भ्रूण का कुछ अंश रह जाने की वजह से भी ब्लीडिंग हो सकती है. ऐसे में इस समस्या को बिलकुल भी हल्के में नहीं लेना चाहिए.

बुखार
अगर किसी महिला को 104 डिग्री या उसके ऊपर बुखार आता है तो इंफेक्शन का संकेत हो सकता है. ऐसे में आपको तुरंत डॉक्टर से चेकअप कराना चाहिए. 

मतली
गर्भपात के बाद मतली या चक्कर आना सामान्य है. सर्जिकल अबॉर्शन के बाद 24 घंटे तक ऐसा हो सकता है वहीं, मेडिकल अबॉर्शन के बाद कुछ दिन तक उल्टी आ सकती है लेकिन अगर ये परेशानी ज्यादा समय तक रहे तो ये किसी तरह का इंफेक्शन का संकेत हो सकता है. इस स्थिति में डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए.

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गंभीर पीठ दर्द
अगर किसी को बहुत ज्यादा पीठ में दर्द हो रहा है तो ऐसा गर्भाशय में थक्के बनने के कारण भी हो सकता है. 

तेज महक वाला डिस्चार्ज
अगर अबॉर्शन के बाद ब्लीडिंग के अलावा हेवी वैजाइनल डिस्चार्ज हो रहा है जिससे तेज महक आ रही है तो इस स्थिति में भी महिला को डॉक्टर को सूचित करना चाहिए.

 

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