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राजकोट में महिला सशक्तिकरण के लिए तलवार रास

नवरात्र के पहले दिन ही आम लोगों को तलवार रास देखने को मिला. महिलाओं ने दोनों हाथों मे तलवार लेकर गरबा खेला. भगिनी सेवा फाउन्डेशन चैरिटेबल ट्रस्ट की संचालक कादंबरीबा जाडेजा राजघराने से ताल्लुक रखती हैं.

राजकोट में तलवार रास करती महिलाएं राजकोट में तलवार रास करती महिलाएं
गोपी घांघर
  • अहमदाबाद,
  • 22 सितंबर 2017,
  • अपडेटेड 2:36 PM IST

नवरात्र के त्यौहार पर तरह-तरह के रास-गरबा देखने को मिल रहे हैं, लेकिन रास गरबा के साथ लड़कियां अपनी सुरक्षा करना भी सीखें. ऐसा प्रयोग पहली बार देखने को मिला है. राजकोट के राजघराने के आंगन में भगिनी सेवा फाउन्डेशन चैरिटेबल ट्रस्ट ने लड़कियों को तलवार रास की ट्रेनिंग देकर नई परंपरा की शुरुआत की है. इससे लड़कियों को रास के साथ-साथ तलवारबाजी सीखने को मिल रहा है, ताकि वो खुद की रक्षा कर सकें.

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इस मौके पर महिलाओं ने दोनों हाथों में तलवार लेकर गरबा खेला. भगिनी सेवा फाउन्डेशन चैरिटेबल ट्रस्ट की संचालक कादंबरीबा जाडेजा राजघराने से ताल्लुक रखती हैं. उन्होंने यहां तलवार रास के जरिए राजपूत घराने की परंपरा को जीवित रखने का प्रयास किया है. पहले इस संस्था ने 25 लडकियों को तलवारबाजी सिखाई. अब तक यह संस्था 300 से ज्यादा महिलाओं को तलवार सिखा चुकी है.

इसे महिला सशक्तिकरण की दिशा में बड़ी कामयाबी माना जा रहा है. तलवारबाजी सीखने से लड़कियों में आत्मविश्वास भी बढ़ रहा है. इससे वो समाज में फैली बुराइयों से मुकाबला करने को भी तैयार हो रही हैं. सबसे अहम बात यह है कि आम लोगों के लिए इस परंपरा की शुरुआत नवरात्रि के अवसर पर की गई है. मां दुर्गा को शक्ति का अवतार माना जाता है और नवरात्रि में उनकी पूजा की जाती है.

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यह संस्था पिछले 12 साल से इस दिशा में कार्यरत है और पिछले नौ साल से तलवार रास का आयोजन करा रही है, लेकिन अभी तक इसमें सिर्फ राजघराने की महिलाएं ही हिस्सा लेती थीं. अब इसमें आम महिलाएं भी हिस्सा ले सकती हैं. इसमें 10 साल से लेकर 50 साल की उम्र तक की महिलाएं हिस्सा ले रही हैं. कई महिलाएं, तो तलवारबाजी में इतना माहिर हो चुकी हैं कि वो पुरुषों को भी मात दे रही हैं.

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