
राजस्थान के धौलपुर जिले की ये 3 महिलाएं ज्यादा पढ़ी-लिखी नहीं हैं लेकिन अपने हौसले और जज्बे के दम पर तीन करोड़ की उत्पाद कंपनी चलाती हैं. इन ग्रामीण महिलाओं ने यह कारनामा महज ढाई साल में कर दिखाया है और इनके इस प्रयास से करीब 800 ग्रामीण महिलाओं को रोजगार भी मिल गया है. वाकई यह अपनेआप में एक मिसाल है.
एक लाख की लागत से शुरू की कंपनी
धौलपुर जिले के करीमपुर गांव की अनीता, हरिप्यारी और विजय शर्मा ने जब ये देखा कि उन्हें उनकी मेहनत का पूरा फल नहीं मिल रहा है तो उन्होंने खुद की कंपनी बनाने की ठान ली. शुरुआती रकम के लिए इन्होंने महिलाओं का स्वयं सहायता समूह बनाया. जिससे एक अक्टूबर 2013 को एक लाख की लागत से अपनी सहेली नाम की उत्पादक कंपनी बनाई.
800 ग्रामीण महिलाएं हैं शेयरधारक
मंजली फाउण्डेशन के निदेशक संजय शर्मा की तकनीकी सहायता से करीमपुर गांव में दूध का प्लांट लगाया. कंपनी के शेयर ग्रामीण महिलाओं को बेचना शुरू किए गए. वर्तमान में कंपनी की 800 ग्रामीण महिलाएं शेयरधारक हैं. महज ढाई वर्ष में कंपनी डेढ़ करोड़ की हो चुकी है. शेयरधारक महिलाएं कंपनी को दूध भी देती हैं.
राज्य सरकार से मिला प्रोत्साहन
कंपनी के बोर्ड में फिलहाल कुल 11 महिलाएं हैं, जिनकी आय 12 हजार रुपये प्रतिमाह है. कंपनी को राज्य सरकार ने 5 लाख रुपये प्रोत्साहन के रूप में दिए हैं, जिन्हें लोन के रूप में अन्य महिलाओं को देकर उन्हें शोषण से बचाना है. इस तरह वह इन महिलाओं को अपनी कंपनी को दूध देने के लिए प्रेरित करने का काम कर रही हैं.
ऐसे मिलता है महिलाओं को लाभ
गांव में दूधियां 20-22 रुपये प्रति लीटर में महिलाओं से दूध खरीदते थे, जबकि कंपनी 30-32 रुपये लीटर में खरीदती है. इस हिसाब से हर महिला को करीब 1500 रुपये प्रतिमाह की आय हो जाती है. इसके अलावा शेयर के अनुपात में कंपनी के शुद्ध लाभ में से भी हिस्सा मिलता है.