
थायरॉयड की समस्या आज के समय में आम हो गई है, खासतौर पर महिलाओं में. हर पांच में से तीन महिलाएं इस बीमारी की चपेट में आ रही हैं और इस बीमारी के होने के बाद प्रेग्नेंसी में कई तरह की दिक्कतें आती हैं. थायरॉयड की समस्या के गंभीर होने पर मां और बच्चे दोनों को खतरा हो सकता है.
आइए जानें, प्रेग्नेंसी के दौरान कैसे बचा जाए इस समस्या और इसके साइड इफेक्टस से...
- थायरॉयड से निजात पाने के लिए उसका सही इलाज जरूरी है इसलिए गर्भवती महिला को गर्भावस्था के दौरान हर महीने थायरॉयड की जांच करवानी चाहिए.
- गर्भावस्था के दौरान थायरॉयड के इलाज के लिए दी जाने वाली डोज जरूरत के हिसाब से घटाई या बढ़ाई भी जा सकती हैं, जिससे होने वाले बच्चे को किसी भी नुकसान से बचाया जा सकें.
- हाइपोथायरॉयड होने से गर्भपात की संभावना बढ़ जाती हैं. इतना ही नहीं भ्रूण के गर्भ में ही मृत्यु होने का खतरा भी बढ़ जाता है. ऐसा होने से रोकने के लिए अपने खानपान को संतुलित करें और ज्यादा हो तो आप डॉक्टर की सलाह भी ले सकती हैं.
- थायरॉयड के कारण बच्चे के शारीरिक और मानसिक विकास पर बहुत प्रभाव पड़ता है, बच्चा असमान्य भी हो सकता है. बॉडी को एक्टिव बनाएं रखें और डॉक्टर की सलाह पर योग और हल्के वर्कऑउट की आदत डालें.
- थायरॉयड पीडि़त प्रेग्नेंट महिलाओं के बच्चों को यानी नवजात शिशुओं का नियोनेटल हाइपोथायरॉयड की समस्या हो सकती हैं.