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बीमारी के चलते एक साल के बच्चे को होती है सेक्स की इच्छा

उसके जननांग एक वयस्क की तरह विकसित हैं. जिस उम्र में बच्चों को किसी चीज की समझ नहीं होती है, इस बच्चे को सेक्स की इच्छा होती है. उसका टेस्टोस्टेरॉन लेवल किसी 25 साल के शख्स जितना है.

हॉर्मोनल कंडिशन से पीड़‍ित है बच्चा (ग्राफ‍िक इमेज) हॉर्मोनल कंडिशन से पीड़‍ित है बच्चा (ग्राफ‍िक इमेज)
भूमिका राय
  • नई दिल्ली,
  • 31 मई 2016,
  • अपडेटेड 4:44 PM IST

एक साल का बच्चा...छोटे-छोटे हाथ, छोटी-छोटी उंगलियां, नन्हे-नन्हे पैर...मासूम सी आंखें...छोटी सी नाक...बावजूद इसके वो अपनी उम्र के हर बच्चे से बहुत अलग है.

एक साल की उम्र में उसे एक ऐसी बीमारी हो गई है कि वो अपनी उम्र के बच्चों की तरह होकर भी उनसे अलग है. उसके जननांग एक वयस्क की तरह विकसित हैं. जिस उम्र में बच्चों को किसी चीज की समझ नहीं होती है, इस बच्चे को सेक्स की इच्छा होती है. उसका टेस्टोस्टेरॉन लेवल किसी 25 साल के शख्स जितना है. उसके चेहरे और शरीर पर वयस्कों की तरह बाल हैं. उसके जननांगों के बाल बढ़े हुए है...ये बच्चा एक रेयर हॉर्मोनल कंडिशन precocious puberty से पीड़ि‍त है.

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डेली मेल की खबर के अनुसार, अतुल ( बदला हुआ नाम) के माता-पिता को करीब छह महीने पहले उसकी इस हालत को लेकर शक हुआ. उसके जननांग असामान्य तरीके से बढ़ रहे थे जबकि उसका बाकी शरीर तुलनात्मक रूप से काफी छोटा था.

बच्चे की मां ने हिंदुस्तान टाइम्स को दिए इंटरव्यू में बताया कि शुरुआत में उन्हें लगा कि बच्चा काफी लंबा-चौड़ा है, इसलिए ऐसा हो रहा हो. यही सोचकर माता-पिता उसे डॉक्टर के पास नहीं ले गए. पर लगभग छह महीने बाद ये साफ हो गया कि कुछ गड़बड़ तो जरूर है.

अतुल की मां का कहना है कि उनकी मदर-इन-लॉ ने बहुत से बच्चों की देखरेख की है. उन्होंने कहा कि बच्चे की ग्रोथ नॉर्मल नहीं है और यही वक्त था जब डॉक्टर के पास जाने का फैसला किया. Precocious Puberty एक रेयर कंडिशन है. पांच साल की उम्र में मां बनने वाली पेरू की लीना मेडिना को भी यही प्रॉब्लम थी. शुरुआत में उनके माता-पिता को लगा था कि लीना के पेट में कोई ट्यूमर है लेकिन वो गर्भवती थीं.

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अतुल की डॉक्टर वैशाखी रस्तोगी ने समाचार पत्र को बताया कि ये एक गंभीर समस्या है और इसकी वजह से बच्चा आक्रामक हो सकता है. कई बार उसे कंट्रोल कर पाना मुश्क‍िल हो जाता है. दूसरी कंडिशन में ऐसा भी हो सकता है कि बच्चे का पूरा विकास ही नहीं हो और वो तीन या चार फुट का ही रह जाए.

फिलहाल तो बच्चे को इन लक्षणों से राहत दिलाने के लिए दवाइयां दी जा रही हैं. डॉक्टरों का कहना है कि उसे ये दवाइयां कम से कम तब तक तो देनी ही पड़ेंगी जब तक वो ये समझने के लायक न हो जाए कि उसे क्या बीमारी है.

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