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'यौन उत्पीड़न से बचना है तो ठीक कपड़े पहनें', मलेशिया के स्कूलों में पढ़ाया जा रहा है पाठ

मलेशिया में एलिमेंट्री स्कूलों की किताबों में बताया गया है कि लड़कियों को यौन उत्पीड़न से बचने के लिए शालीन तरीके से कपड़े पहनने चाहिए. अगर वे ऐसा नहीं करती हैं तो फिर वे अपने परिवार के लिए बदनामी ले आएंगी.

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प्रज्ञा बाजपेयी
  • नई दिल्ली,
  • 17 जनवरी 2019,
  • अपडेटेड 10:46 AM IST

भले ही हम 21वीं सदी में जी रहे हों और हर क्षेत्र में महिलाएं आगे बढ़ रही हों लेकिन अब भी कुछ लोग पुरातन रूढ़िवादी मानसिकता से चिपके हुए हैं. अक्सर रेप या छेड़छाड़ जैसी घटनाओं में महिलाओं को ही कसूरवार मान लिया जाता है, यही वजह है कि पीड़ित महिलाएं न्याय मांगने से भी हिचकिचाती हैं.

बचपन में हम जो कुछ भी पढ़ते हैं, उससे काफी हद तक हमारा व्यक्तित्व तय हो जाता है लेकिन मलेशिया के स्कूलों में बच्चों के नजरिए की नींव ही गलत रखी जा रही है. मलेशिया में एलिमेंट्री स्कूलों की किताबों में बताया गया है कि लड़कियों को यौन उत्पीड़न से बचने के लिए शालीन तरीके से कपड़े पहनने चाहिए. इस मुद्दे पर उठे विवाद के बाद अब मलेशिया की सरकार ने पाठ्य पुस्तकों में छपे इन ग्राफिक्स पर स्टीकर चिपकाने का निर्देश दिया है.

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सोशल मीडिया पर किताबों के स्क्रीनशॉट वायरल हो गए. इस चैप्टर का शीर्षक था- 'सेविंग वन्स मॉडेस्टी'. इसमें अमीरा नाम के एक काल्पनिक किरदार के जरिए यह संदेश दिया गया है कि सभ्य कपड़े पहनकर अपनी शीलता कैसे बचाए रखें. इसके लिए तमाम अजीब सलाह दी गई हैं.

इसमें बताया गया है कि कपड़े बदलते समय कमरे का दरवाजा हमेशा बंद रखें, सूनसान जगहों पर वक्त ना बिताएं, अगर वह यौन उत्पीड़न से खुद को बचाने में कामयाब नहीं होती है तो उससे परिवार की बदनामी होगी.

वुमेन्स ऐड ऑर्गैनाइजेशन की वाइस प्रेजिटेंड मीरा सामंथर ने कहा, हम हैरान हैं, पाठ्यक्रम में 9 साल की बच्चियों को सेक्सुअलाइज किया जा रहा है औऱ उन्हें अपने ही शरीर के प्रति शर्मिंदा होना सिखाया जा रहा है. आरोपी की जगह पीड़िता को गुनहगार बनाना सिखाया जा रहा है.

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