
छोटे बच्चे अक्सर ही बिस्तर गीला कर देते हैं क्योंकि वह इतने बड़े नहीं होते कि अपनी बात बता सकें और यह एक नॉर्मल प्रक्रिया है. कई बार कुछ बच्चे सोते-सोते ऐसा करते हैं लेकिन बढ़ती उम्र के साथ ये आदतें भी ठीक हो जाती हैं. ध्यान देने वाली बात ये है कि अगर बच्चा बार-बार बिस्तर गीला करता है तो ये आर्जीनीन वैसोप्रेसिन हार्मोन के कारण हो सकता है और कई बार ऐसा जेनेटिक बीमारी के कारण भी होता है.
पेरेंट्स की आदत का पड़ता है प्रभाव
कई चाइल्ड स्पेशलिस्ट चिकित्सकों का मानना है कि माता-पिता में से अगर किसी एक ने बचपन में ऐसा किया हो तो बच्चे के भी बिस्तर गीला करने के आसार लगभग 50 फीसदी हो जाते हैं. अगर मां और पिता दोनों की बचपन में बिस्तर में पेशाब करने की आदत थी तो बच्चे की बिस्तर गीला करने की संभावना 75 फीसदी होती है. वहीं अगर मां-पिता दोनों में से किसी ने भी बचपन में बिस्तर गीला नहीं किया था तो बच्चों में इसकी संभावना घटकर 15 फीसदी हो जाती है.
क्या कहते हैं बाल रोग विशेषज्ञ
चाइल्ड स्पेशलिस्ट्स का मानना है कि बिस्तर गीला करने के पीछे कई अन्य वजहों के अलावा ज्यादातर आनुवांशिक कारण होते हैं. कई बार बिस्तर पर पेशाब करने वाले बच्चों में आर्जीनीन वैसोप्रेसिन हार्मोन का स्तर नींद में नीचे चला जाता है जो किडनी के द्वारा यूरिन की प्रक्रिया को धीमा करता है इसलिए नींद में इस हार्मोन का स्तर नीचे चला जाता है और यूरिन तेजी से बनने लगती है. इस कारण से ब्लेडर जल्दी भर जाता है.
चिकित्सकों का मानना है कि 85 फीसदी बच्चे पांच साल की उम्र होने तक यूरिन पर कंट्रोल करना सीख जाते हैं. लड़कियों की तुलना में लड़कों में बिस्तर गीला करने की प्रवृत्ति ज्यादा होती है और इस कारण लड़के 12 साल की उम्र तक बिस्तर गीला करते हैं.
कब करें डॉक्टर से संपर्क
स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने यह भी कहा है कि बच्चों के बिस्तर पर यूरिन का संबंध कब्ज या अटेंशन डेफिसिट हाइपरएक्टिविटी डिसऑर्डर (एडीएचडी) से भी हो सकता है, इसलिए माता-माता के लिए जरूरी है कि वे ऐसी स्थिति में बच्चे को बाल-चिकित्सक के पास ले जाएं.