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महिला दिवस: 75 साल है महिला की उम्र, लेकिन जवानों के भी छुड़ा देती है छक्के

केरल की 75 वर्षीय दिलेर और जुझारू मीनाक्षी अम्मा आज भी मार्शल आर्ट कलारीपयट्ट का निरंतर अभ्यास करती हैं और इसमें इतनी पारंगत हैं कि अपने से आधी उम्र के मार्शल आर्ट योद्धाओं के छक्के छुड़ा देती हैं.

मीनाक्षी गुरुक्कल मीनाक्षी गुरुक्कल
रोहित
  • ,
  • 08 मार्च 2018,
  • अपडेटेड 8:41 AM IST

आमतौर पर जिस उम्र को महिलाएं अपनी जिंदगी की सांझ मानकर हताश होकर बैठ जाती हैं, केरल की 75 वर्षीय दिलेर और जुझारू मीनाक्षी अम्मा आज भी मार्शल आर्ट कलारीपयट्ट का निरंतर अभ्यास करती हैं और इसमें इतनी पारंगत हैं कि अपने से आधी उम्र के मार्शल आर्ट योद्धाओं के छक्के छुड़ा देती हैं.

कलारीपयट्ट की प्रशिक्षक होने के नाते पद्मश्री मीनाक्षी गुरुक्कल (गुरु) के नाम से भी पहचानी जाती हैं. कलारीपयट्ट तलवारबाजी और लाठियों से खेला जाने वाला केरल का एक प्राचीन मार्शल आर्ट है. मीनाक्षी अम्मा कहती हैं कि कलारीपयट्ट ने उनकी जिंदगी को हर प्रकार से प्रभावित किया है. वह 75 साल की हैं, इस उम्र में भी वह इसका निरंतर अभ्यास करती हैं.

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मीनाक्षी गुरुक्कल और उनके खास हुनर को सबसे पहले पहचान उस समय मिली, जब कलारीपयट्ट के खेल में अपने से करीब आधी उम्र के एक पुरुष के साथ लोहा लेते और उस पर भारी पड़ते एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ था.

गुरुक्कल मीनाक्षी अम्मा कहती हैं- 'आज जब लड़कियों के देर रात घर से बाहर निकलने को सुरक्षित नहीं समझा जाता और इस पर सौ सवाल खड़े किए जाते हैं, कलारीपयट्ट ने उनमें इतना आत्मविश्वास पैदा कर दिया है कि उन्हें देर रात भी घर से बाहर निकलने में किसी प्रकार की झिझक या डर महसूस नहीं होता.'

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सात साल की उम्र से इस कला का प्रशिक्षण हासिल करने वाली मीनाक्षी अम्मा बताती हैं कि आमतौर पर लड़कियां किशोरवय उम्र में प्रवेश करते ही इस मार्शल आर्ट का अभ्यास छोड़ देती हैं, लेकिन अपने पिता की प्रेरणा से उन्होंने इस विधा का अभ्यास जारी रखा और वह इससे ताउम्र जुड़ी रहना चाहती हैं.

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