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साहित्य आजतक का मंच कोलकाता के बाद शुक्रवार को लखनऊ आ पहुंचा. शनिवार को कार्यक्रम के दूसरे दिन 'मौजूदा दौर में दलित विमर्ष' में लेखक जयप्रकाश कर्दम, लेखक और प्रो रविकांत, लेखक और प्रोफेसर विवेक कुमार शामिल हुए. सभी ने मौजूदा दौर में दलित विमर्ष पर अपनी राय जाहिर की. भारत में दलितों के साथ भेदभाव की शुरुआत कैसे हुई इस पर प्रोफेसर रविकांत ने कहा कि इस देश में सदियों से जो उत्पीड़न रहा है उसे बदलने में वक़्त लगा. उन्होंने कहा कि आज दलित घोड़े पर नहीं चढ़ सकता. इस तरह की कई घटनाएं इस देश में हो रही हैं. उन्होंने हाथरस की घटना का भी जिक्र किया. रामचरितमानस को जलाए जाने पर उन्होंने कहा कि किसी भी रचना की आलोचना होनी चाहिए. हालांकि किसी भी ग्रंथ को जलाना ठीक नहीं है. रामचरितमानस को अलग-अलग लेखकों द्वारा लिखे जाने पर उन्होंने कहा कि रामचरितमानस साहित्यिक ग्रंथ है, धार्मिक ग्रंथ नहीं है.
रविकांत ने कहा कि ये देश सिर्फ संविधान से चलेगा. इसके ऊपर कोई किताब नहीं हो सकती. संविधान अगर गलत लोगों के हाथ में होगा तो इससे देश में मजबूती नहीं आएगी. उन्होंने कहा कि हम आपको भाई मानें तो आपको भी केवल चेहरा नहीं भाई मानना होगा. भाईचारा ही इस देश को जोड़ सकता है, वरना तोड़ने की तो बहुत कोशिश हो रही है.
लेखक रविकांत ने कहा, 1940 में बाबा साहब ने BBC से कहा था कि हिंदू राष्ट्र इस देश का अपमान होगा. उन्होंने कहा कि आज भी छुआछूत चल रही है.
दलित विमर्श की जगह दलित पर बात जरूरी
प्रोफेसर विवेक कुमार ने कहा कि दलित विमर्श की जगह दलित पर बात जरूरी है. उन्होंने कहा कि हमें समाज की सकारात्मक छवि को सामने लाना चाहिए. दलित साहित्य पर उन्होंने कहा कि आज के समय में ये किताबें भारत की असली सच्चाई बता रही हैं. विवेक कुमार ने कहा कि हमें बड़े-छोटे के बीच भेदभाव खत्म करना चाहिए. जब सब एक साथ मिलकर आएंगे और सहयोग करेंगे तब राष्ट्र निर्माण होगा.लेखक ने कहा कि इस देश में दलित समाज के सहयोग को भी याद रखना चाहिए. उनके योगदान का जिक्र होना चाहिए.
दलितों को आर्थिक तौर पर मजबूत होना होगा
जातिवाद खत्म कैसे होगा इस पर प्रोफेसर कर्दम ने कहा कि समाज धर्म से संचालित होता है. देश के नागरिकों को संविधान के प्रति ईमानदार और जागरूक होना चाहिए. संविधान को समझने के लिए पाठयक्रम में शामिल करना होगा. भेदभाव अचानक से खत्म नहीं होगा. इसे खत्म होने में समय लगेगा. दलितों को आर्थिक तौर पर मजबूत होना होगा. तब जाकर उनके भीतर स्वाभिमान आएगा. दलितों के खिलाफ हर भेदभाव पर बोलना होगा. इसमें सबको साथ आना होगा.
विवेक कुमार ने कहा कि हमारा मुकाबला उन समाजों से है जिन समाज के पास हजार वर्ष की सांस्कृतिक पूंजी है. हम अकेले अपना सांस्कृतिक पूंजी लेकर उनसे मुकाबला नहीं कर पाएंगे. जातिवाद खत्म करने के लिए सबको साथ आना होगा.