
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर अब तक 300 से ज्यादा किताबें लिखी जा चुकी हैं, कई डॉक्यूमेंट्री बन चुकी हैं...और अब तक उनके जीवन पर एक अतिरेकी फिल्म भी बन चुकी है. हालांकि यह समझना कोई मुश्किल नहीं कि पीएम मोदी पर पिछले 5 सालों में इतनी सारी किताबें क्यों लिखी गईं... किताबों की इसी फेहरिस्त में एक किताब डॉ. कुलदीप चंद अग्निहोत्री की 'नरेंद्र मोदी होने का अर्थ' नाम से आई है. लेखक का दावा है कि यह रचना उनके दिल की आवाज है... स्वयं लेखक के शब्दों में, 'मेरी पुस्तक न तो शोध पद्धति का अनुसरण करती हुई शोधपरक रचना है, और ना ही यह बौद्धिक प्रणायाम, यह हृदय पक्ष से ताल्लुक रखने वाली स्वच्छंद अभिव्यक्ति है.'
'नरेंद्र मोदी होने का अर्थ' में डॉ. कुलदीप चंद अग्निहोत्री ने बीजेपी की ओर से उन्हें प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार चुने जाने के समय से, उनके 5 साल प्रधानमंत्री पद के कार्यकाल को विस्तार से समझने - समझाने की कोशिश की है. लेखक ने प्रधानमंत्री के रूप में मोदी के 5 साल के कार्यकाल को सकारात्मक ढंग से देखने का दावा करते हुए तथ्यात्मक ढंग से अपनी बात रखी है. लेखक का निष्कर्ष है कि देशहित में मोदी ने कई गंभीर फैसले लिए हैं, जिन फैसलों से देश की दशा न सिर्फ बदली है, बल्कि बेहतर भी हुई है. वह भी ऐसी दशा में जब विपक्ष हर मुमकिन ढंग से मोदी सरकार की छवि और उसके फैसलों पर गंभीर आरोप लगाता रहा है.
तीन खंडों में विभाजित यह पुस्तक इस बात की भी व्याख्या करती है कि कैसे कभी दो सांसदों वाली बीजेपी को नरेंद्र मोदी के नेतृत्व ने पूर्ण बहुमत तक पहुंचाया. ऐसी जगह जहां पहुंचना बिल्कुल आसान नहीं था, तमाम बाधाएं मुंह बाए तो खड़ी ही थीं, हर मोड़ पर चुनौतियों का पहाड़ खड़ा था. साल 1998 से लेकर 2004 तक दिल्ली में बीजेपी की अगुआई में नेशनल डेमोक्रेटिक एलायंस की सरकार थी, अटल बिहारी वाजपेयी प्रधानमंत्री थे लेकिन 2004 के लोकसभा चुनाव में एनडीए को हार का मुंह देखना पड़ा. हालांकि कांग्रेस और बीजेपी में सीटों की संख्या का अंतर महज 7 था, लेकिन कांग्रेस सरकार बनाने में कामयाब रही, और यह कामयाबी 10 सालों तक जारी रही. इन 10 सालों में केंद्र की मनमोहन सरकार पर गंभीर आरोप लगे. इन्हीं आरोपों को मुद्दा बनाकार बीजेपी ने अपनी जीत का रोडमैप तैयार कर लिया.
इसकी शुरूआत गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी को बीजेपी ने प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार चुनकर किया. मोदी नाम के शंखनाद के साथ ही कांग्रेस को चौतरफा घेरने के लिए खुद नरेंद्र मोदी एक बड़ी रणनीति के साथ मैदान में उतरे और कांग्रेस की कलई परत दर परत खोलने में जुट गए. अपने शानदार भाषणों और जी-तोड़ मेहनत के दम पर मोदी ने लोगों के दिल में वह जगह बनाई, जिसे 2014 के नतीजों के रूप में पूरी दुनिया ने देखा. दिल्ली की सत्ता पर मोदी की जोरदार एंट्री के बाद विपक्ष की छटपटाहट बढ़ने लगी.
फिर क्या था बौखलाए विपक्ष ने मोदी सरकार को घेरने की रणनीति अंदरखाने तैयार करने लगा. तरह- तरह के मुद्दे उछाले गए. कहानियां गढ़ी गईं. लेखक ने खंड एक के 3 से लेकर 6 भागों में उन मुदों को विस्तार और तर्कपूर्ण ढंग से पेश किया है, जिनको आधार बनाकर केंद्र की मोदी सरकार को निशाने पर लिया गया. असहिष्णुता, गौ हत्या, तीन तलाक, राम मंदिर मुद्दा और जेएनयू कांड जैसे गंभीर मुद्दों के पीछे की सच्चाई या साजिश को लेखक ने अपने ढंग से उजागर किया है.
किताब के दूसरे खंड में मोदी की विदेश नीति और दुनियाभर में बदलते भारत की तस्वीर तर्कपूर्ण और तुलनात्मक ढंग से प्रस्तुत किया गया है, लेखक ने बताया है कि भारत की विदेश नीति का सबसे कमजोर पक्ष, उसका पड़ोसी देशों, जिसके साथ भारत की ऐतिहासिक सांस्कृतिक साझेदारी है, के साथ उपेक्षापूर्ण व्यवहार रहा है और इसे बदलने की हर संभव कोशिश मोदी सरकार ने की है. भारत अपने उत्तरी सीमांत को लकर सजग हो गया है, और इस क्षेत्र में चीन के प्रत्यक्ष खतरे को उसने समझ लिया है. चीन, पाकिस्तान के साथ मिलकर भारत को घेरने का काम कर रहा है, इसमें कोई शक नहीं हैं कि मोदी के सत्ताकाल में विदेशों में भारत का रुतबा बढ़ा है. इतना ही नहीं विदेशों में बसे भारतीयों में भी आत्मगौरव का संचार भी हुआ है. लेखक ने दूसरे खंड में ही ब्रिटेन के ग्रेट गेम नीति का खुलासा भी किया है, जिसकी वजह से पाकिस्तान का जन्म हुआ था. खंड दो में ही मोदी की आर्थिक नीति की चर्चा भी हुई है. जिसमें आम आदमी के विकास के लिए सरकार द्वारा उठाये गये योजनाओं और नीतियों की चर्चा है.
लेखक ने किताब के तीसरे खंड में उस जन समर्थन की बात की है, जिसकी वजह से बीजेपी पूर्ण बहुमत से न सिर्फ केंद्र की सत्ता में है, बल्कि उन राज्यों में भी सरकार बनाने में कामयाब रही है, जहां पहले बीजेपी का नामो निशान नहीं था. 2014 से ही मोदी काल का उदय हुआ. इस काल में बीजेपी का ना सिर्फ वोट प्रतिशत बढ़ा बल्कि हर राज्य में उनकी लोकप्रियता भी बढ़ी है. लेखक का निष्कर्ष है कि मोदी की आर्थिक नीतियों से आम आदमी को लाभ हुआ है, आम आदमी को विश्वास है कि मोदी से आम आदमी, जो अब तक वंचित और पिछ़डा हुआ रहा की भलाई के लिए काम करना चाहते हैं.
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पुस्तकः नरेंद्र मोदी होने का अर्थ
लेखकः डॉ. कुलदीप चंद अग्निहोत्री
विधाः आलेख
प्रकाशकः प्रभात प्रकाशन
मूल्यः 500 रुपए