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नरेंद्र मोदी को सबसे बड़ा परिवर्तनकारी प्रधानमंत्री बताती एक किताब

लेखक लंबे समय तक आरएसएस से जुड़े रहे आर. बालाशंकर की इस किताब को मोदी की दिल और दिमाग से तारीफों वाली किताब कहा जा सकता है.

पुस्तक राष्ट्र-साधक नरेंद्र मोदी का कवर [सौजन्यः प्रभात प्रकाशन] पुस्तक राष्ट्र-साधक नरेंद्र मोदी का कवर [सौजन्यः प्रभात प्रकाशन]
आशीष कुमार गुप्ता
  • नई दिल्ली,
  • 13 अगस्त 2019,
  • अपडेटेड 9:57 AM IST

यह बात दरकिनार नहीं की जा सकती कि 'राष्ट्र-साधक नरेंद्र मोदीः आधुनिक भारत के शिल्पकार' पुस्तक के लेखक आर. बालाशंकर ने आम चुनाव से पहले बड़े दावे के साथ एक बात कही थी कि नरेंद्र मोदी ही फिर से प्रधानमंत्री बनेंगे, और हुआ भी वैसा ही. आप कह सकते हैं कि कमजोर विपक्ष और मोदी मैजिक की वजह से इस बात का आंकलन आसानी से किया जा सकता था, और बहुत से लोगों ने यह बात कही, लेकिन किताब के लेखक आर. बालाशंकर ने इस बात को तर्क और आंकड़ों के साथ पेश किया. इससे पहले 2014 के आम चुनाव से पहले भी वह मोदी की जीत का दावा कर चुके थे, और तब इस बात की घोषणा उनकी टीम द्वारा एक सर्वे के बाद की गई थी.

लेखक लंबे समय तक आरएसएस से जुड़े रहे हैं. इसलिए इस किताब को मोदी की दिल और दिमाग से तारीफों वाली किताब कहा जा सकता है. 21 अध्यायों में बंटी अपनी इस किताब के माध्यम से उन्होंने अलग-अलग उदाहरणों और आंकड़ों के साथ मोदी राज की ताराफे और उनके फैसलों को जस्टिफाई करने की पूरी कोशिश की है. चाहे वह नोटबंदी की बात हो, असहिष्णुता या फिर विपक्ष का राफेल वार, हर वह मुद्दा जो मोदी सरकार में सुर्खियां बना. बालाशंकर ने इस घटना का भी जिक्र किया है कि कैसे भारतीय जनता पार्टी के पास गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी के अलावा कोई दूसरा विकल्प प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार के लिए नहीं था, और कैसे इसकी तैयारियां पहले से शुरू हो गईं थीं, कि बहुत ही नाटकीय ढंग से 2012-13 में पार्टी ने नरेंद्र मोदी को मुख्य चुनाव प्रभारी घोषित किया. हालांकि इस राज से उन्होंने पर्दा नहीं उठाया है कि ऐसा कैसे हुआ और इसके पीछे कौन था. उन्होंने किताब को 'इस मुद्दे पर चर्चा करने का उचित स्थान नहीं बताकर' पल्ला झाड़ लिया है. अगर वह यह बताते तो किताब में पाठकों की रूचि और बढ़ जाती.

बालाशंकर ने उन मुद्दों पर खुलकर बात की है जिसकी वजह से बीजेपी के संस्थापक सदस्य और पार्टी के वरिष्ठ नेता लाल कृष्ण आडवाणी की लोकप्रियता उन दिनों बहुत नीचे आ गई थी. उनका दावा है कि मोदी 2012 में ही बीजेपी का सबसे लोकप्रिय चेहरा बन गए थे. लेखक बालाशंकर ने उदाहरण के साथ बताया है कि किसी भी प्रधानमंत्री ने ऐसी कोशिश नहीं की जैसी मोदी ने की. उनके शब्दों में 'मोदी के काम उनकी बातों से ज्यादा साफ दिखाई देते हैं', मोदी ने अपने कार्यकाल में 1200 से ज्यादा पुराने नियम बदले और 800 अन्य कानूनों की पहचान की गई. यहां एक दिलचस्प उदाहरण भी लेखक ने दिया है. 'इंडियन एयरक्राफ्ट अधिनियम 1934 के तहत पतंगों को भी एयरक्राफ्ट माना जाता था और आपको पतंग उड़ाने के लिए भी उसी तरह की अनुमति लेनी होती थी, जैसी हवाई जहाज के लिए.'

यह किताब मानती है कि नरेंद्र मोदी भारत के अब तक के सबसे परिवर्तनकारी प्रधानमंत्री रहे हैं. लोकप्रियता और पराक्रम में उन्होंने जवाहरलाल नेहरू और इंदिरा गांधी को पीछे छोड़ दिया है. सुधारों में वह पी.वी. नरसिम्हा राव और अटल बिहारी वाजपेयी का रिकॉर्ड तोड़ चुके हैं. उन्होंने भारतीयों में ऐसी आकांक्षा जगाई, जैसी पहले कभी नहीं देखी गई थी. मोदी के नेतृत्व में, भारत ने सबसे बड़ा सत्ता परिवर्तन देखा, जिसमें बी.जे.पी. का उदय सत्ताधारी दल के रूप में एक नई राजनीतिक कहानी तथा शैली के रूप में हुआ, जिसने कांग्रेस की छह दशकों की श्रेष्ठता को समाप्त कर दिया.

मोदी सरकार आधुनिक, डिजिटल, भ्रष्टाचार-मुक्त, जवाबदेह और विश्वसनीय बन गई तथा जनता को भी अभूतपूर्व रूप से भागीदार बना दिया है. यह जी.एस.टी., विमुद्रीकरण तथा भारत-केंद्रित कूटनीति लेकर आई. पुरानी प्रणालियों और नियमों को समाप्त किया, स्वच्छ भारत अभियान, कल्याणकारी योजनाओं और सड़कों तथा बंदरगाहों के निर्माण के लक्ष्य निश्चित किए.

मोदीकेयर, मुफ्त रसोई गैस, स्मार्ट सिटी और कारोबार में आसानी किस प्रकार जीवन बदल रहे हैं; मोदी और अरुण जेटली ने किस प्रकार एन.पी.ए. के कचरे को साफ किया; किस प्रकार सकारात्मक काररवाई के कारण अल्पसंख्यकों, ओ.बी.सी. तथा एस.सी.-एस.टी. समूहों को नया लाभ मिला; अमित शाह ने किस प्रकार बी.जे.पी. को चुनावों में उलट-पुलट देने वाली ताकत बनाया; कैसे नितिन गडकरी ने चार वर्षों में यू.पी.ए. के 10 वर्षों से भी अधिक सड़कें बनवाईं; मोदी ने किस प्रकार अमीरों की साँठगाँठ को समाप्त किया, जिसका पर्दाफाश राडिया टेप में हुआ था; कैसे मोदी ने प्रणालियों को बदला और एक नए भारत का निर्माण किया; मोदी के नेतृत्व को किस प्रकार नैतिकता, भावना और तर्क के आधार पर परिभाषित किया जा सकता है.

विदेशी नीति एक्सपर्ट ऐशले जे टेलिस के हवाले से लेखक ने लिखा है कि मोदी ने न सिर्फ भारत की कहानी को पुनर्जीवित कर दिया है, बल्कि भारत में दिलचस्पी भी बढ़ा दी है. मोदी की तुलना अब्राहम लिंकन, फ्रैंकलिन रूजवेल्ट और डेंग जियाओपिंग जैसे महान लोगों के साथ करते हुए आर बालाशंकर ने लिखा है कि सार्वजनिक जीवन में बहुत सारे लोग नियति से निपटते हैं पर कुछ ही लोग इतिहास बनाते हैं. लेखक ने बताया कि जब उन्होंने एक बार मोदी से उनके सफलता का राज पूछा तो मोदी ने कहा था, 'मैं स्वयं को मिटाने की क्षमता रखता हूं.' फिर बालाशंकर ने इसका मलतब भी समझाया है कि वे नतीजों की परवाह किए बिना एक कर्मयोगी की तरह काम करते हैं और कोशिश चाहे जैसी हो सफलता पाने के लिए अपनी पूरी ऊर्जा लगा देते हैं.

मॉब लिंचिंग जैसे मुद्दे पर मोदी सरकार का बचाव करते हुए आर बालाशंकर ने इस पुस्तक में लिखा है कि भारत में जो पहला लिंचिंग हुआ वह 1982 में पश्चिम बंगाल में हुआ था, जब मार्क्सवादियों ने 17 आनंदमार्गियों को दिनदहाड़े कोलकाता की सड़कों पर मार डाला था. मार्क्सवादी के शासन में अकेले पश्चिम बंगाल में मॉब लिंचिंग के 630 मामले हुए थे, और तब किसी ने सभ्यता से संबंधित मुद्दा नहीं उठाया था. जबकि मोदी ने ऐसी सभी हिंसा की सख्ती से निंदा की है और उनकी सरकार ने तुरंत ऐसे मामले में तेजी से ट्रायल करने और मौत की सजा देने का कानून बनाया.

मोदी ऐसे प्रधानमंत्री हैं, जिन्होंने अपने पूरे कार्यकाल में अभी तक एक बार भी छुट्टी नहीं ली है, लेखक ने इस बात का जिक्र करते हुए पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की छुट्टियों के बारे में बताया है, जब वह क्रिसमस के दौरान अंडमान तथा लक्षद्वीप पर इतावली मित्रों के साथ छुट्टियां बिताने गए थे. चैप्टर चार ‘अध्याय प्रधान सेवक’ में आपको मोदी की सफलता का फॉर्मूला मिलेगा, किस तरह से मोदी की जीतोड़ मेहनत रंग लाई और उन्होंने भारत के चुनावी अभियान का इतिहास बदल कर रख दिया. 15 सितंबर, 2013 से 10 मई, 2014 तक मोदी ने 3 लाख किलोमीटर से ज्यादा यात्राएं की और भी बहुत कुछ किया. गोहत्या जैसे अनसुलझे मुद्दे के लिए लेखक ने कांग्रेस की दुष्ट नीयत को जिम्मेदार ठहराया है. व्यक्तिगत पसंद किसी समाज के दायरे में नहीं आती, इस तर्क के साथ लेखक ने गौ हत्या पर प्रतिबंध के नियमों का बचाव किया है.

इस किताब में उस बात का भी जिक्र है, जब 1950 में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ पर से पाबंदी हटाए जाने के बाद सरदार वल्लभाई पटेल ने आरएसएस की कांग्रेस के साथ विलय की पेशकश की थी. आर बालाशंकर की मानें तो मोदी ने विशिष्ट सामाजिक कल्याण योजनाओं के जरिए भारत के लोगों का जीवन स्तर बेहतर बनाने की जैसी कोशिश की है, वैसी पिछले सात दशकों में किसी अन्य सरकार ने नहीं की. भारतीय सामाजिक-आर्थिक प्रतिमान को पूरी तरह बदलना ही मोदी सरकार का लक्ष्य है. लेखक ने यह भी चिंता जाहिर की है कि 2019 में अगर मोदी हारते हैं, तो देश हारेगा...हालांकि मोदी तो नहीं हारे. कुल मिलाकर यह पुस्तक भारतीय राजनीति में नरेंद्र मोदी के प्रभाव के विस्तार और भविष्य में इसकी दिशा का आकलन करती है.
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पुस्तकः राष्ट्र-साधक नरेंद्र मोदी
लेखकः आर बालाशंकर
विधाः राजनीति
प्रकाशकः प्रभात प्रकाशन
मूल्यः 500/ रुपए, हार्ड बाउंड
पृष्ठ संख्याः 296

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