
नार्वे के सुप्रसिद्ध लेखक जॉस्टिन गार्डर की बेस्टसेलर किताब 'सोफीज वर्ल्ड' का पहली बार हिन्दी में अनुवाद 'सोफी का संसार', भाई वीर सिंह साहित्य सदन में किया गया. राजकमल प्रकाशन द्वारा प्रकाशित किताब के लोकार्पण समारोह में मुख्य अतिथि थे इतिहासकार सुधीर चन्द्र, प्रोफेसर सत्यपाल गौतम तथा प्रोफेसर अनिल भट्टी एवं राजकमल प्रकाशन समूह के प्रबंध निदेशक अशोक माहेश्वरी. प्रो. सत्यपाल गौतम 'सोफी का संसार' के अनुवादक एवं संपादक हैं. कार्यक्रम का संचालन अम्बेडकर यूनिवर्सिटी में सहायक प्रोफेसर मृत्युंजय ने किया.
क्या खास है किताब में
दर्शन की जटीलताओं को बहुत ही आसान और मजेदार किस्सों में पाठकों के सामने लाती किताब 'सोफी वर्ल्ड' का अब तक विश्व की 60 भिन्न भाषाओं में अनुवाद हो चुका है. 'सोफी का संसार’ एक रहस्यपूर्ण और रोचक उपन्यास है, साथ ही पश्चिमी दर्शन के इतिहास और दर्शन की मूलभूत समस्याओं के विश्लेषण पर एक गहन तथा अद्वितीय पुस्तक भी. आधुनिक भारत के प्रसिद्ध दार्शनिक प्रोफेसर दयाकृष्ण के अनुसार दो प्रश्नों को सार्वभौमिक स्तर पर दर्शन के मूलभूत प्रश्न कहा जा सकता है. पहला प्रश्न है: 'मैं कौन हूँ?’ और, दूसरा है: 'यह विश्व अस्तित्व में कैसे आया?’ अन्य दार्शनिक प्रश्न इन्हीं दो मूल प्रश्नों के साथ जुड़े हुए हैं.
रहस्य और रोमांच से भरी है किताब
इन प्रश्नों से पाठक का परिचय उपन्यास के पहले ही अध्याय में एक रहस्यात्मक और रोचक प्रसंग के माध्यम से हो जाता है. किसी जटिल सैद्धान्तिक रूप में प्रस्तुत करने की बजाय 14-15 वर्ष की किशोरी सोफी को दैनिक जीवन के व्यावहारिक स्तर पर इन प्रश्नों को पूछने के लिए प्रेरित किया गया है. विश्व के अनेक दार्शनिकों और विचारकों ने इन प्रश्नों पर गम्भीर चिन्तन किया है. 'सोफी का संसार’ पाश्चात्य दार्शनिक जिज्ञासाओं के 2500 वर्ष लम्बे इतिहास को स्मृति, कल्पना तथा विवेक के अद्भुत संयोजन के माध्यम से प्रस्तुत करता है.
सुकरात से पहले के दार्शनिकों—येल्स, ऐनेक्सीमांदर, ऐनेक्सीमेनीज, परमेनिडीज, हैरेक्लाइटस, डैमोक्रिटीस इत्यादि दार्शनिकों की चर्चा से प्रारम्भ करते हुए यह उपन्यास अफलातून (प्लेटो), अरस्तू, आगस्तीन, एक्विनाज, देकार्त, स्पिनोजा, लाइब्निज, लॉक, बर्कले, ह्यूम, कांट, हेगेल, किर्केगार्ड, मार्क्स, डारविन तथा सात्र्र तक सभी महत्तवपूर्ण दार्शनिकों की जिज्ञासाओं तथा चिन्तन-विधियों की विश्लेषणात्मक समीक्षा प्रस्तुत करता है.
जॉस्टिन गार्डर के बारे में
जॉस्टिन गार्डर का जन्म नार्वे की राजधानी ओस्लो में 8 अगस्त, 1952 को एक शिक्षक परिवार में हुआ था. लेखक बनने का निर्णय उन्होंने 19 वर्ष की आयु में लिया और बाल-साहित्य की रचना प्रारम्भ कर दी. जॉस्टिन गार्डर का कहना है कि वह दोस्तोयेव्स्की, हरमन हैस, जार्ज लुई बोर्गेस तथा नार्वेजन लेखक नुत हैमरसन से प्रभावित हुए. उनका पहला कहानी-संग्रह 'निदान तथा अन्य कहानियां’ 1986 में प्रकाशित हुआ. तदोपरान्त उनके दो उपन्यास—'द फ्राग कैसल’ (1988) तथा 'द सॉलिटेयर मिस्ट्री’ (1990) में प्रकाशित हुए.
'सोफीज वर्ल्ड' के बाद लिखी कई किताबें
जॉस्टिन गार्डर लगभग दो दशकों के लिए ओस्लो में एक कॉलेज में दर्शनशास्त्र विषय के अध्यापक रहे. 'सोफी का संसार’ की अभूतपूर्व सफलता के पश्चात उन्होंने अपना पूरा समय लेखन को समर्पित करने का निर्णय लिया. तब से अब तक उनके 13 से अधिक उपन्यास तथा बाल-साहित्य कृतियां प्रकाशित हो चुकी हैं. जॉस्टिन गार्डर को 'सोफी का संसार’ तथा अन्य पुस्तकों के लिए अनेक अन्तर्राष्ट्रीय पुरस्कारों द्वारा सम्मानित किया जा चुका है.
सत्यपाल गौतम के बारे में
जन्म : 1951, पंजाब विश्वविद्यालय, चंडीगढ़ में तीन दशक (1974-2004) तक दर्शनशास्त्र में शोध-कार्य एवं अध्यापन के उपरान्त दिसम्बर 2004 से जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के दर्शन-अध्ययन केन्द्र में आचार्य के पद पर कार्यरत. फरवरी 2009 से 2012 तक महात्मा जोतिबा फुले रोहिलखंड विश्वविद्यालय में कुलपति. फिलॉसफी सेंटर, ऑक्सफोर्ड में फैकल्टी विजिटर (1996), चार्ल्स वैलेस फैलो, यू.के. (1998), विजिटिंग ऐक्सचेंज स्कॉलर, फ्रांस (2003), सैक्शनल प्रेजीडेंट (ऐथिक्स एंड सोशल फिलॉसफी), इंडियन फिलोसॉफिकल कांग्रेस (1996), सैक्शनल प्रेजीडेंट (फिलॉसफी), इंडियन सोशल साइंस कांग्रेस (1998), अध्यक्ष (कर्म-दर्शन खंड), वर्ल्ड फिलॉसफी कांग्रेस, एथेन्स (2003), ऑस्ट्रिया, हंगरी, पोलैंड, हॉलैंड, तुर्की, यूनान, जर्मनी, फ्रांस, यू.के., दक्षिणी कोरिया, यू.एस.ए. इत्यादि अनेक देशों में आमंत्रित. हिन्दी, पंजाबी एवं अंग्रेजी में अनेक लेखों तथा पुस्तकों का प्रकाशन. दर्शन, साहित्य एवं सामाजिक अध्ययन में विशेष रुचि.