
एक्टर-निर्देशक अमोल पालेकर ने अपनी किताब 'व्यूफाइंडरः अ मेमॉयर' को लेकर बात की. अमोल ने कहा कि मैंने इस किताब में काफी सारी चीजें बताई हैं. कुछ खुलकर बताई हैं तो कुछ हल्की-फुल्की.
बुखार में जब आशा जी ने रिकॉर्ड किया गाना
अमोल ने अपनी किताब में आशा भोंसले को लेकर भी बात की. मैंने जब फिल्म बनाना तय किया. 'अनकही' फिल्म के लिए उसमें दो गाने फीमेल हैं और दो गाने मेल हैं. दोनों मेल गाने पंडित भीमसेन जोशी से गंवाएं. फीमेल गाने के लिए आशा जी के पास हम गए. आशा जी को सारी बात बताई और कहा कि मैं फिल्म बनाने जा रहा हूं. उसमें अगर आप गाना गाएंगी तो बहुत अच्छी बात होगी. मैंने खुद वो फिल्म प्रोड्यूस की थी. आशा जी से मैंने अपेक्षा पूछी कि आप कितनी फीस लेंगी. आशा जी ने कहा कि जयदेव जी का अगर संगीत है तो मेरी 2 शर्ते हैं. पहले ये कि मैं 3 रिहर्सल किए बिना नहीं गाऊंगी. दूसरी ये है कि मैं जयदेव जी के यहां जाकर रिहर्सल नहीं करूंगी. सुबह 8 बजे मुझे फोन आया कि आशा जी को बुखार है और आज की सारी रिकॉर्डिंग कैंसिल हो चुकी हैं. उस समय किसी के पास कोई फोन नहीं हुआ करते थे.
मैं सीधा स्टूडियो पहुंचा और मैंने सारी बात बताई. जयदेव जी ने कुछ नहीं कहा. आशा जी जो गाना गाने वाली थीं उसमें बैकग्राउंड में काफी दिग्गज म्यूजीशियन्स बजाने वाले थे. दिग्गज कलाकार वहां आ चुके थे और सभी तैयारी कर रहे थे. उस समय म्यूजीशियन्स के साथ जयदेव जी ने 1-2 रिहर्सल किए और मुझे कहा कि पूछो कि आशा जी से पूछो वो कैसी हैं. मैंने एक चिट्ठी लिखी और आशा जी के पास पहुंचाई गई. आशा जी आधे घंटे में आ गई थीं. आशा जी को 1-2 बुखार था. स्टूडियो वो आईं और बूथ में चली गईं. जयदेव जी से उन्होंने पूछा कि टेक करें. इतना बढ़िया टेक हुआ कि टेक खत्म होते-होते जयदेव जी रो रहे थे. जैसे ही टेक खत्म हुआ तो जयदेव जी ने कहा ओके. आशा जी ने कहा कि एक और टेक हम ले सकते हैं. लेकिन जयदेव जी ने मना कर दिया. कहा यही बढ़िया है. आशा जी को जयदेव जी ने गले लगाया और आशा जी ने उनके पैर छुए.
मैं आशा जी के घर पहुंचा तो उनसे पूछा कि कितनी फीस देनी है. आशा जी ने मेरा हाथ पकड़कर कहा कि ऐसे गाने नसीब से मिलते हैं. तुमने मेरी झोली में गाना डाल दिया, इसलिए मैं शुक्रगुजार हूं. आशा जी ने उस गाने के लिए कोई फीस नहीं ली.
रिजेक्शन पर बोले अमोल पालेकर
अमोल ने कहा- मुझे जहां भी लगा कि जो हो रहा है वो सही नहीं हो रहा. तो उसके खिलाफ मैंने हमेशा आवाज उठाई. मैंने सवाल पूछे कि ये ऐसा क्यों हो रहा है. मुझे ठीक नहीं लग रहा. आप समझाइए कि इसमें क्या है. मैंने ये सवाल हमेशा अपने गुरुदेव से की. थियटर में मुझे सत्यदेव लेकर आए थे. उनसे ही मैंने सीखा. उनसे जब कोई गलती हुई तो मैंने सवाल पूछा और कहा कि आपने ये सही नहीं किया और क्यों किया. ये ताकत मुझमें कहां से आई मुझे नहीं पता. शायद जिन दिग्गजों का नाम जो मैंने लिया, उनसे ही मुझे ये ताकत मिली. बड़े-बड़े लोगों के साथ बैठकर, चर्चा सुनकर, मेरा दिमाग खुला. मुझे लगा कि बिल्कुल इसी रास्ते पर जाना चाहिए. अगर नहीं गया तो जहां से शुरुआत की ती वो गलत साबित हो जाएगा.