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पितृसत्ता वाली मानसिकता से महिलाओं को मिले आजादी, तभी होगी आदर्श स्थितिः अणुशक्ति सिंह

Sahitya Aaj Tak 2022: दिल्ली में 18 नवंबर से सुरों और अल्फाजों का महाकुंभ 'साहित्य आजतक 2022' शुरू हो गया है. इस तीन दिवसीय कार्यक्रम में कई जाने-माने लेखक, साहित्यकार व कलाकार शामिल हो रहे हैं. साहित्य के सबसे बड़े महाकुंभ 'साहित्य आजतक 2022' के मंच से दूसरे दिन कई जानी मानी हस्तियों ने भाग लिया. इस दौरान लेखिका अणुशक्ति सिंह और पूजा प्रियंवदा ने तमाम बातें कीं.

लेखिका अणुशक्ति सिंह. लेखिका अणुशक्ति सिंह.
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 19 नवंबर 2022,
  • अपडेटेड 7:31 PM IST

Sahitya AajTak 2022: साहित्य आजतक के मंच पर दूसरे दिन 'हंगामा है क्यों बरपा' सेशन में देश की जानी मानी लेखिका और शिक्षाविदों ने महिलाओं की  चर्चा की. इस दौरान पत्रकार और लेखिका अणुशक्ति सिंह और शिक्षाविद और अनुवादक पूजा प्रियंवदा ने तमाम बातें कीं. दोनों लेखिकाओं ने महिलाओं की पितृ सत्ता से आजादी पर खुलकर बात की.

इस दौरान पत्रकार और लेखिका अनुशक्ति सिंह ने कहा कि इतिहास को इस तरह से लिखा गया है कि स्त्रियां केवल दर्शक की भूमिका में रही हैं. आजकल कोई भी प्रोडक्ट बेचने के लिए हर तरह के विज्ञापनों में महिलाओं का ही इस्तेमाल किया जाता है.

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उन्होंने कहा कि स्त्री को आजादी अभी भी पूरी तरह से नहीं मिल पाई है. जहां हर महिला अपने फैसले खुद लेने लगे, उसे किसी से पूछने की जरूरत न पड़े, तभी स्वायत्तता की आदर्श स्थिति हो सकती है. पितृ सत्ता वाली मानसिकता कई महिलाओं में भी देखने को मिलती है.

उन्होंने कहा कि बहुत सारी महिलाएं बेहद कम उम्र में ही अपनी जान गंवा देतीं हैं. इसके लिए भी हालातों बदले जाने के लिए काम करने की जरूरत है. उन्होंने कहा कि आजकल एक उपन्यास को लिखने की रूपरेखा तय कर रही हूं.

लड़की को क्यों नहीं माना जाता माता-पिता की संपत्ति का हिस्सेदारः पूजा प्रियंवदा

वहीं इस दौरान शिक्षाविद, अनुवादक और स्तंभकार पूजा प्रियंवदा ने कहा कि औरतों को पितृसत्ता से आजादी पूरी तरह से मिलनी चाहिए. जब महिलाएं खुद फैसले लेना शुरू करना शुरू कर देतीं हैं तो हंगामा शुरू हो जाता है. आज भी कानून होने के बाद भी लड़कियों को अपने माता-पिता की संपत्ति का हिस्सेदार नहीं माना जाता है. कोई यह तय करने वाला कौन होता है कि हम क्या पहनें, कैसे रहें, क्या करें, क्या न करें.

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उन्होंने कहा कि लड़कियों को ये अहसास दिलाया जाता है कि एहसान मानो कि हमने तुम्हें पैदा होने दिया. अब तुम कैसे रहोगी, कैसे जियोगी, यह देखना है. बेटी और बेटे के लिए नियम अलग-अलग नहीं होने चाहिए. यह पूछने पर कि इन दिनों क्या लिख रही हैं, इस पर पूजा ने कहा कि आजकल वे सेक्सुअलिटी पर लिख रही हैं, इसी के साथ देश में बहुत सारे युवा हर साल सुसाइड कर लेते हैं. इस पर काफी कुछ लिखे जाने की जरूरत है.

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