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'3 बड़े गीतकारों के संघर्ष की कहानी...', साहित्य आजतक में राकेश आनंद बख्शी, मिलन प्रभात गुंजन और इंद्रजीत सिंह की जुबानी

शब्द-सुरों का महाकुंभ 'साहित्य आजतक 2023' का शुभारंभ शुक्रवार को दिल्ली के मेजर ध्यानचऺद नेशनल स्टेडियम में हुआ. आज (शनिवार) कार्यक्रम का दूसरा दिन है. इसमें 'गीतों के जादूगर' शीर्षक पर 'नग्मे, किस्से, बातें यादें-आनंद बख्शी' के लेखक राकेश आनंद बख्शी, 'नीरज की यादों का कारवां' के लेखक मिलन प्रभात गुंजन और धरती कहे पुकार के, 'शैलेंद्र पर एक किताब' के लेखक इंद्रजीत सिंह ने अपनी बात रखी. 

साहित्य आजतक के मंच पर राकेश आनंद बख्शी, मिलन प्रभात गुंजन और इंद्रजीत सिंह. साहित्य आजतक के मंच पर राकेश आनंद बख्शी, मिलन प्रभात गुंजन और इंद्रजीत सिंह.
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 25 नवंबर 2023,
  • अपडेटेड 12:15 PM IST

Sahitya AajTak 2023: शब्द-सुरों का महाकुंभ 'साहित्य आजतक 2023' का शुभारंभ शुक्रवार को दिल्ली के मेजर ध्यानचऺद नेशनल स्टेडियम में हुआ. आज (शनिवार) कार्यक्रम का दूसरा दिन है. इसमें 'गीतों के जादूगर' शीर्षक पर 'नग्मे, किस्से, बातें यादें-आनंद बख्शी' के लेखक राकेश आनंद बख्शी, 'नीरज की यादों का कारवां' के लेखक मिलन प्रभात गुंजन और धरती कहे पुकार के, 'शैलेंद्र पर एक किताब' के लेखक इंद्रजीत सिंह ने अपनी बात रखी. 

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पिता आनंद बक्शी की संघर्ष यात्रा और सफलता का जिक्र करते हुए राकेश आनंद बक्शी कहते हैं, एक किस्सा याद आता है. जब वो मुंबई में काम की तलाश कर रहे थे तो उन्हें रोशन साहब मिले. एक दिन उन्होंने घर पर आने के लिए कहा. मगर, उस दिन भारी बारिश हुई. इस वजह से मुंबई थम गई.

'आज मोहब्बत बंद है' गाने से जुड़ा दिलचस्प किस्सा

ये बात सोचकर वो बहुत परेशान हो गए. उन्होंने अपनी किताब को पॉलिथीन में पैक किया और पैदल ही उनके घर के लिए निकल पड़े. समय पर उनके घर पहुंच गए. उन्हें देखकर रोशन साहब हैरान रह गए क्योंकि बारिश बहुत हो रही थी. इसके बाद उन्होंने गाने सुने और एक फिल्म में काम मिला. ये था उनका संघर्ष.

सफलता के बाद आनंद जी से जुड़े किस्से का जिक्र करते हुए उन्होंने बताया, एक बार पिता जी को मैंने बोला कि आपके पास 4 ही अवार्ड हैं और मॉनिनेशन 40 हैं. इस पर उन्होंने कहा कि मुझे जो अवार्ड मिलने थे मिल गए हैं. गाना वो अच्छा जो किसी के काम आ जाए.

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एक बार किसी ने बक्शी साहब से पूछा कि आप इतनी गहरी बात आसान शब्दों में कैसे लिख लेते हैं. इस पर उन्होंने कहा कि मैं आठवीं पास हूं. जितना कुछ सीखा है वही लिखता हूं. एक बार की बात है, एक बार बड़ी फिल्म में पीरियड पर गाना लिखने की बात आई तो उन्होंने लिखा, 'पास नहीं आना दूर नहीं जाना तुमको कसम है आज मोहब्बत बंद है'... ये बताता है कि वो जीनियस थे.

गोपाल दास नीरज के बेटे मिलन प्रभात गुंजन ने पिता के संघर्ष को याद करते हुए बताया कि उनका संघर्ष 6 साल की उम्र से शुरू हुआ. यूपी के एटा में बुआ के घर जाकर उन्होंने पढ़ाई की. हाईस्कूल वहीं से किया. नौकरी करने दिल्ली गए. वहां एक टाइम खाना खाते थे. बहुत बड़े संघर्ष के बाद मुकाम हासिल किया.

कन्यादान फिल्म के गीत और गाड़ी से जुड़ा किस्सा

मिलन प्रभात गुंजन बताते हैं, शंकर जयकिशन के पिता जी एक फिल्म कर रहे थे. उन्होंने गाना लिखने के लिए कहा. कई बार गाना लिखा गया. मगर उनको पसंद नहीं आया. एक बार पिता जी लिखकर ले गए तो शंकर ने उसे फाड़ दिया.

इसके बाद पिता जी ने रात में गाना लिखा 'लिखे जो खत तुझे तेरी याद में'. ये गाना सनुकर शंकर ने कहा ये चलेगा. इसके बाद राजिंदर भाटिया ने कहा अब आपको क्या चाहिए. इस पर पिता जी ने कहा कार. उन्होंने कार दी और पिता जी उस कार को लेकर अलीगढ़ पहुंचे. 

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एक बार की बात है, प्रेम पुजारी फिल्म के लिए गाना लिखना था. वो बर्मन साहब से मिलने गए और गाने की सिचुएशन सुनी. शर्त थी कि इसमें पहले वर्ड रंगीला होना चाहिए. पिता जी ने लिखा, 'रंगीला रे...'. इसके बाद उन्होंने बर्मन साहब के साथ 5 फिल्में की.

गीतकार शैलेंद्र के संघर्ष और सफलता की कहानी, इंद्रजीत सिंह की जुबानी

कवि और गीतकार शैलेंद्र के संघर्ष को याद करते हुए इंद्रजीत सिंह ने कहा, मेरा मानना है संघर्ष ही जीवन में उत्थान लाता है. आर्थिक और सामाजिक रूप से वो हाशिए पर थे. उन्होंने अन्याय, उत्पीड़न को अपने गीतों में ढाला. 'आज सपनों की रोटी पकाएंगे हम...' इतनी सुंदर कविता उनके संघर्ष की कहानी कहती है. शैलेंद्र जी की तरह बक्शी साहब भी बहुत सरल लिखते थे.

एक कार्यक्रम का जिक्र करते हुए इंद्रजीत सिंह कहते हैं, शैलेंद्र जी ने मंच पर इतिहास से जुड़ी एक कविता पढ़ी. इस पर लोगों ने जमकर तालियां बजाई. इस तरह से वो पहली बार बॉम्बे में कवि के तौर पर स्थापित हुए. यहीं से उन्हें आग फिल्म के क्लाइमेक्स लिखने के लिए प्रपोजल मिला.

उनकी डायरी में मैंने उनके संघर्षों के किस्से पढ़े. 2 अप्रैल 1948 में उनकी शादी हुई. उस समय उनको 150 सैलरी मिलती थी. पत्नी जब प्रेग्नेंट हुईं तो वो राजकपूर साहब के पास पहुंचे और 500 रुपये मांगे क्योंकि पत्नी को मायके भेजना था. इसके बाद उन्होंने दो गाने लिखे.

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'पतली कमर है तिरछी नजर' गाने से जुड़ा किस्सा याद करते हुए इंद्रजीत बताते हैं, ये गाना सुनकर उनके पिता जी काफी नाराज हुए थे. आलोचक रामविलास शर्मा ने भी उनकी क्लास ली. कहा कि एक ओर तुम इतना प्रगतिवादी लिखते हो और दूसरी तरफ ये गाना लिख दिया. 

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