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साहित्य आजतक 2022: हंस राज हंस के सूफी अंदाज से हुआ दूसरे दिन का आगाज, राग मालकौंस की धुन पर झूमी जनता

'साहित्य आजतक 2022' शुक्रवार से शुरू हो चुका है. पहले दिन कुतले खान ने अपने लोकगीतों के फ्यूजन से शुरुआत की थी और दिन का अंत असीस कौर की सुरीली परफॉरमेंस से हुआ था. मशहूर गायक हंस राज हंस ने दूसरे दिन की शुरुआत राग मालकौंस पर एक सुरीले गीत से की और स्वर्गीय गजल गायक जगजीत सिंह को भी याद किया.

साहित्य आजतक 2022 में हंस राज हंस साहित्य आजतक 2022 में हंस राज हंस
aajtak.in
  • नई दिल्ली ,
  • 19 नवंबर 2022,
  • अपडेटेड 2:58 PM IST

साहित्य के सितारों के महाकुंभ, साहित्य आजतक 2022 की शुरुआत हो चुकी है. नई दिल्ली के मेजर ध्यानचंद स्टेडियम में चल रहे इस इवेंट में शुक्रवार को जनता की काफी भीड़ जुटी और साहित्य प्रेमियों ने नामी गिरामी लेखकों से लेकर, कई बेहतरीन शख्सियतों को सुना. 

शनिवार को इवेंट का दूसरा दिन है और पहले दिन की ही तरह एक बार फिर से दिन का सुरीला आगाज हुआ है. शुक्रवार को राजस्थान के जाने-माने गायक कुतले खान ने अपने लोकगीतों की धुन से समां बांधा था. शनिवार को मशहूर सूफी गायक हंस राज हंस ने एक बार फिर से दिन की बेहतरीन शुरुआत की है. राग मालकौंस पर आधारित एक गीत से हंस राज हंस ने दिन की सूफियाना शुरुआत की. अपनी परफॉरमेंस में उन्होंने अपने मित्र, स्वर्गीय गजल गायक जगजीत सिंह को भी याद किया. 

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सुर का समां और निदा फाजली की गजल 
हंस राज हंस ने जो पहला गीत गाया उसके बोल थे 'प्यार नहीं है सुर से जिसको, वो मूरख इंसान नहीं है'. इस पहले गीत से बने माहौल को और गहरा बनाने के लिए उन्होंने फिर निदा फाजली की लिखी एक मशहूर गजल गायी. गजल के बारे में हंस राज हंस ने बताया कि उन्होंने ये गजल, स्वर्गीय गजल गायक जगजीत सिंह की पहली बरसी पर गायी थी, जि. इस गजल के बोल हैं 'गरज बरस प्यासी धरती पर फिर पानी दे मौला'.    

पॉलिटिक्स में आने को लेकर किया मजाक 
अपनी सूफियाना गायकी के लिए मशहूर हंस राज हंस, लोकसभा सांसद भी हैं. राजनीति में आने को लेकर एक चुटकी लेते हुए हंस राज हंस ने कहा, 'आजकल मेरी राहें थोड़ी बदल गई हैं. आप एक महीना वहां चले जाएं, न आपका गाने का मन करेगा न सुनने का.' 

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हंस राज हंस ने अपनी परफॉरमेंस को आगे बढ़ाते हुए कव्वाली के अंदाज में, अमीर खुसरो का लिखा एक कलाम गाया. इवेंट पर मौजूद श्रोता इसे बहुत एन्जॉय करते दिखे और शायद ही किसी के दोनों हाथ ताली बजाने के लिए न मिले हों. हंस राज हंस ने अपनी परफॉरमेंस में विरासतों को बचाने और सहेजने का संदेश भी दिया. अपनी परफॉरमेंस के अंत में उन्होंने 'दमादम मस्त कलंदर' भी गाया, जिसे उन्होंने सूफी गीतों का 'जन गण मन' कहा.

साहित्य आजतक 2022 का दूसरा दिन शानदार शुरुआत के साथ आगे बढ़ने लगा है. अगर आप भी दिल्ली में हैं तो अपने वीकेंड को बेहतरीन बनाने के लिए साहित्य के इस समागम में जरूर पहुंचें.

 

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